लखनऊः गोमती नदी के किनारे लक्ष्मण टीला स्थित लॉर्ड शेष नागेश टीलेश्वर महादेव मंदिर में पूजा अर्चना व मालिकाना हक दिलाए जाने को लेकर निचली अदालत के आदेश के विरुद्ध दाखिल सिविल निगरानी याचिका पर अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 30 मई की तिथि नियत की है. निचली अदालत ने काल बाधित होने के प्रतिवादी के दावे पर लार्ड शेष नागेश टीलेश्वर महादेव की ओर से दाखिल वाद को निरस्त करने से इंकार कर दिया था, जिसके विरुद्ध यह निगरानी दाखिल की गई है.
पत्रावली के अनुसार वर्ष 2013 में लार्ड शेष नागेश टीलेश्वर महादेव की ओर से सिविल जज (जूनियर डिविजन) साउथ लखनऊ की अदालत में नियमित वाद दायर किया गया था. जिसमें यूनियन ऑफ इंडिया व अन्य पक्षकार बनाए गए थे. इसी नियमित वाद में अदालत से अनुरोध किया गया था कि टीले वाली मस्जिद के अंदर लॉर्ड शेष नागेश का मंदिर है, जिसको नुकसान पहुंचाया गया है. इस टीले वाले स्थान का मालिकाना हक दिलाया जाए. इसके साथ पूजा अर्चना की अनुमति दिए जाने के अनुतोष की मांग भी की गई थी. इस नियमित वाद के विरुद्ध आपत्ति दाखिल की गई थी कि वाद काल बाधित है. इस पर सिविल जज साउथ की अदालत ने 25 सितम्बर 2017 को एक आदेश पारित कर कहा कि पक्षकारों को सुनने के बाद व मौजूदा परिस्थितियों के अनुसार संपूर्ण वाद को निरस्त नहीं किया जा सकता.
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इस आदेश के खिलाफ मौलाना सैयद शाह फजलुरहमान की ओर से मौलाना काजी सैयद शाह फजलुर मन्नान द्वारा जिला जज की अदालत में 11 अक्टूबर 2017 को सिविल निगरानी याचिका दाखिल की गई. जिसे अदालत ने विचारार्थ स्वीकार कर पक्षकारों को नोटिस जारी किया था. उल्लेखनीय है कि सिविल निगरानी याचिका में लार्ड शेष नागेश टीलेश्वर महादेव, लक्ष्मण टीला शेषनाग तीर्थ भूमि स्थान, वीके श्रीवास्तव व नौ अन्य को पक्षकार बनाते हुए पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, प्रमुख सचिव, जिलाधिकारी, पुलिस महानिदेशक, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक (पश्चिमी), थाना प्रभारी चौक व सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को पक्षकार बनाया गया है. इस प्रकरण में अदालत से विवादित स्थल का सर्वे कराए जाने का भी अनुरोध किया गया है.