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बिजली की चोरी करना दुकानदार को पड़ा भारी, कोर्ट ने सुनाई डेढ़ साल कारावास की सजा - लेसा के निरीक्षक अविनाश चन्द्र पांडेय

ईसी एक्ट के विशेष जज पुष्कर उपाध्याय ने बिजली की चोरी करने के मामले में अरविन्द कुमार मित्तल नाम के एक दुकानदार को दोषी करार दिया है. कोर्ट ने दुकानदार को डेढ़ साल कारावास की सजा (Court sentenced to imprisonment) सुनाई है.

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Published : Nov 29, 2022, 10:16 PM IST

लखनऊ : ईसी एक्ट के विशेष जज पुष्कर उपाध्याय ने बिजली की चोरी करने के मामले में अरविन्द कुमार मित्तल नाम के एक दुकानदार को दोषी करार दिया है. कोर्ट ने दुकानदार को डेढ़ साल कारावास की सजा (Court sentenced to imprisonment) सुनाई है. इसके साथ ही विद्युत अधिनियम की धारा 135 के तहत दुकान मालिक अरविन्द कुमार मित्तल पर पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

इस मामले की एफआईआर 7 जून 2008 को विद्युत प्रर्वतन दल, लेसा के निरीक्षक अविनाश चन्द्र पांडेय ने थाना कृष्णा नगर में दर्ज कराई थी. वह अपनी टीम के साथ एलडीए काॅलोनी, कानपुर रोड पर बिजली का कनेक्शन चेक कर रहे थे. इस दौरान एक मकान के नीचे कोल्ड ड्रिंक्स की दुकान, सेनेटरी व टाइल्स का गोदाम तथा पीसीओ में घरेलू बिजली का इस्तेमाल करते हुए पाया गया. जांच में तीन किलोवाट की बिजली चोरी पाई गई. विद्युत विभाग के विशेष वकील रवीन्द्र कुमार दूबे के मुताबिक, अरविन्द को 51 हजार 551 रुपए का जुर्माना अदा करने को कहा गया, लेकिन उसने असमर्थता व्यक्त की. विवेचना के पश्चात उसके खिलाफ विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 135 ई के तहत आरोप पत्र दाखिल हुआ.


पूर्व विधायक तोड़फोड़ और मारपीट के मामले में बरी : छात्रसंघ चुनाव परिणाम के बाद तोड़फोड़ व मारपीट के 35 साल पुराने मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष एसीजेएम अम्बरीश कुमार श्रीवास्तव ने पूर्व विधायक राकेश सिंह राणा को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया है. अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि अभियोजन पक्ष आरोपी राकेश सिंह राना, अरुण कुमार निगम व मोहसिन खां के विरुद्ध लगाए गए आरोप साबित नहीं कर सका और न ही ऐसा कोई साक्ष्य पत्रावली पर मौजूद है जिससे कि आरोपियों को दोषी करार दिया जा सके. घटनाक्रम के अनुसार, इस मामले की रिपोर्ट प्रभारी निरीक्षक हजरतगंज राजवीर सिंह त्यागी द्वारा 22 दिसंबर 1987 को दर्ज कराई गई थी. जिसमें कहा गया था कि लखनऊ विश्वविद्यालय में 16 दिसंबर 1987 को छात्र संघ का चुनाव हुआ था तथा 17 दिसंबर को चुनाव परिणाम आया था, चुनाव परिणाम की खुशी में छात्र नेताओं ने जुलूस निकाला तथा जुलूस को जीपीओ तक ले जाने की जिद कर रहे थे. इसी बीच रोकने पर उत्तेजित छात्रों ने प्रशासन मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए हिंसा पर उतारू हो गए.

यह भी पढ़ें : जानिए कौन है यूपी की पहली महिला पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह व SRK के बेटे की जांच करने वाले अशोक मुथा जैन

लखनऊ : ईसी एक्ट के विशेष जज पुष्कर उपाध्याय ने बिजली की चोरी करने के मामले में अरविन्द कुमार मित्तल नाम के एक दुकानदार को दोषी करार दिया है. कोर्ट ने दुकानदार को डेढ़ साल कारावास की सजा (Court sentenced to imprisonment) सुनाई है. इसके साथ ही विद्युत अधिनियम की धारा 135 के तहत दुकान मालिक अरविन्द कुमार मित्तल पर पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

इस मामले की एफआईआर 7 जून 2008 को विद्युत प्रर्वतन दल, लेसा के निरीक्षक अविनाश चन्द्र पांडेय ने थाना कृष्णा नगर में दर्ज कराई थी. वह अपनी टीम के साथ एलडीए काॅलोनी, कानपुर रोड पर बिजली का कनेक्शन चेक कर रहे थे. इस दौरान एक मकान के नीचे कोल्ड ड्रिंक्स की दुकान, सेनेटरी व टाइल्स का गोदाम तथा पीसीओ में घरेलू बिजली का इस्तेमाल करते हुए पाया गया. जांच में तीन किलोवाट की बिजली चोरी पाई गई. विद्युत विभाग के विशेष वकील रवीन्द्र कुमार दूबे के मुताबिक, अरविन्द को 51 हजार 551 रुपए का जुर्माना अदा करने को कहा गया, लेकिन उसने असमर्थता व्यक्त की. विवेचना के पश्चात उसके खिलाफ विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 135 ई के तहत आरोप पत्र दाखिल हुआ.


पूर्व विधायक तोड़फोड़ और मारपीट के मामले में बरी : छात्रसंघ चुनाव परिणाम के बाद तोड़फोड़ व मारपीट के 35 साल पुराने मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष एसीजेएम अम्बरीश कुमार श्रीवास्तव ने पूर्व विधायक राकेश सिंह राणा को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया है. अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि अभियोजन पक्ष आरोपी राकेश सिंह राना, अरुण कुमार निगम व मोहसिन खां के विरुद्ध लगाए गए आरोप साबित नहीं कर सका और न ही ऐसा कोई साक्ष्य पत्रावली पर मौजूद है जिससे कि आरोपियों को दोषी करार दिया जा सके. घटनाक्रम के अनुसार, इस मामले की रिपोर्ट प्रभारी निरीक्षक हजरतगंज राजवीर सिंह त्यागी द्वारा 22 दिसंबर 1987 को दर्ज कराई गई थी. जिसमें कहा गया था कि लखनऊ विश्वविद्यालय में 16 दिसंबर 1987 को छात्र संघ का चुनाव हुआ था तथा 17 दिसंबर को चुनाव परिणाम आया था, चुनाव परिणाम की खुशी में छात्र नेताओं ने जुलूस निकाला तथा जुलूस को जीपीओ तक ले जाने की जिद कर रहे थे. इसी बीच रोकने पर उत्तेजित छात्रों ने प्रशासन मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए हिंसा पर उतारू हो गए.

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