लखनऊ: उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद की उपायुक्त नीलम सिंह और पांच कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग को लेकर कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है. प्रार्थना पत्र में उप्र आवास एवं विकास परिषद के कर्मचारी राजेंद्र प्रसाद, अभिषेक शुक्ला, देवेंद्र सिंह, विनोद पांडेय, रामेश्वर दयाल के साथ उपायुक्त नीलम सिंह को भी विपक्षी पक्षकार बनाया गया है. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रवि कुमार गुप्ता ने मकान आवंटित करने के बहाने लाखों की रकम हड़पने के इस कथित मामले में दाखिल मुकदमे की उक्त अर्जी पर थाना पीजीआई से आख्या तलब करने का आदेश दिया है.
कोर्ट ने यह आदेश चंद्र प्रकाश तिवारी के प्रार्थना पत्र पर दिया है. इस प्रार्थना पत्र में उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद के कर्मचारी राजेंद्र प्रसाद, अभिषेक शुक्ला, देवेंद्र सिंह, विनोद पांडेय और रामेश्वर दयाल के साथ ही उपायुक्त नीलम सिंह को भी विपक्षी पक्षकार बनाया गया है. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 4 सितंबर की तिथि नियत की है.
वादी का कहना है कि वृंदावन योजना में मकान आवंटित करने के एवज में जुलाई, 2017 से जून, 2020 तक वादी से 13 लाख 60 हजार रुपए नगद व चेक के माध्यम से लिए गए हैं. वादी ने आरोप लगाया गया है कि उसके द्वारा इतनी बड़ी रकम देने के बावजूद न तो मकान का आवंटन हुआ और न ही उनकी रकम वापस की गई. प्रार्थना पत्र में गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा गया है कि उन्हें बाद में पता चला कि उनके द्वारा दी गई रकम के एवज में उन्हें कूटरचित रसीद दी जाती रही. कोर्ट ने मामले में की गम्भीरता को देखते हुए, पुलिस को 4 सितम्बर तक अपनी आख्या देने का आदेश दिया है.