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Court News : रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार लेखपाल को नहीं मिली जमानत, कोर्ट ने कही गंभीर बात - Bribed Lekhpal of Lucknow

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विशेष अदालत (Special Court for Prevention of Corruption Act) ने हैसियत प्रमाण पत्र बनवाने के एवज में रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार लेखपाल अविनाश चंद्र ओझा को जमानत से देने से इंकार कर दिया है. कोर्ट का कहना है कि सरकारी कर्मचारी पर आरोप गंभीर है. ऐसे में वह जमानत का हकदार नहीं है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 31, 2023, 11:13 AM IST

लखनऊ : हैसियत प्रमाण पत्र बनवाने के लिए 15 हजार रुपये घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार लेखपाल अविनाश चंद्र ओझा की जमानत अर्जी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विशेष अदालत ने खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त सरकारी कर्मचारी है. जिस पर रिश्वत लेने जैसा गंभीर आरोप है. लिहाजा इस स्तर पर उसे जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता.


सरकारी वकील ने जमानत अर्जी के विरोध करते हुए कोर्ट को बताया कि इस मामले की रिपोर्ट वादी अमन त्रिपाठी ने 14 सितंबर 2023 को पुलिस अधीक्षक सतर्कता अधिष्ठान से की थी. पुलिस को दी रिपोर्ट में उसने कहा था कि उसके पिता विनोद कुमार त्रिपाठी ने हैसियत प्रमाण पत्र बनवाने के लिए सदर तहसील लखनऊ में आवेदन किया था. आरोप लगाया गया है कि उसके आवेदन पर हल्का लेखपाल की रिपोर्ट लगनी थी, लेकिन लेखपाल अविनाश चंद्र ओझा रिपोर्ट लगाने के नाम पर 15 हजार रुपये की मांग कर रहे थे, जबकि उनके पूरे कागज सही थे. इस मामले की जांच करने के बाद मामला सही पाए जाने पर 18 सितंबर 2023 को आरोपी लेखपाल को भ्रष्टाचार निवारण की टीम द्वारा 15 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ मौके पर गिरफ्तार किया गया था.


अभियुक्त की ओर से दलील दी गई कि उसे इस मामले में झूठा फंसाया जा रहा है. कहा गया कि मामले का वादी अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए बिना सभी औपचारिकताएं पूर्ण किए हैसियत प्रमाण पत्र बनवाना चाहता था. अभियुक्त ने इससे इनकार किया तो सतर्कता अधिष्ठान के साथ मिलकर उसे झूठा फंसा दिया. कहा गया कि अभियुक्त पर अब तक की सेवा में कोई आरोप नहीं लगा है और उसका सेवाकाल बेदाग रहा है. हालांकि कोर्ट ने अभियुक्त की इन दलीलों को खारिज कर दिया.

लखनऊ : हैसियत प्रमाण पत्र बनवाने के लिए 15 हजार रुपये घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार लेखपाल अविनाश चंद्र ओझा की जमानत अर्जी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विशेष अदालत ने खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त सरकारी कर्मचारी है. जिस पर रिश्वत लेने जैसा गंभीर आरोप है. लिहाजा इस स्तर पर उसे जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता.


सरकारी वकील ने जमानत अर्जी के विरोध करते हुए कोर्ट को बताया कि इस मामले की रिपोर्ट वादी अमन त्रिपाठी ने 14 सितंबर 2023 को पुलिस अधीक्षक सतर्कता अधिष्ठान से की थी. पुलिस को दी रिपोर्ट में उसने कहा था कि उसके पिता विनोद कुमार त्रिपाठी ने हैसियत प्रमाण पत्र बनवाने के लिए सदर तहसील लखनऊ में आवेदन किया था. आरोप लगाया गया है कि उसके आवेदन पर हल्का लेखपाल की रिपोर्ट लगनी थी, लेकिन लेखपाल अविनाश चंद्र ओझा रिपोर्ट लगाने के नाम पर 15 हजार रुपये की मांग कर रहे थे, जबकि उनके पूरे कागज सही थे. इस मामले की जांच करने के बाद मामला सही पाए जाने पर 18 सितंबर 2023 को आरोपी लेखपाल को भ्रष्टाचार निवारण की टीम द्वारा 15 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ मौके पर गिरफ्तार किया गया था.


अभियुक्त की ओर से दलील दी गई कि उसे इस मामले में झूठा फंसाया जा रहा है. कहा गया कि मामले का वादी अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए बिना सभी औपचारिकताएं पूर्ण किए हैसियत प्रमाण पत्र बनवाना चाहता था. अभियुक्त ने इससे इनकार किया तो सतर्कता अधिष्ठान के साथ मिलकर उसे झूठा फंसा दिया. कहा गया कि अभियुक्त पर अब तक की सेवा में कोई आरोप नहीं लगा है और उसका सेवाकाल बेदाग रहा है. हालांकि कोर्ट ने अभियुक्त की इन दलीलों को खारिज कर दिया.


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