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सत्यानंद संस्थान के अंशुमान पांडेय का प्रार्थना पत्र कोर्ट ने किया खारिज - लखनऊ हाईकोर्ट की खंडपीठ

सत्यानंद उच्च शिक्षा संस्थान के सचिव अंशुमान पांडेय को अल्प अवधि जमानत देने से हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने इंकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि आरोपित का पहले से डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान में इलाज चल रहा है.

लखनऊ हाईकोर्ट.
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Published : Feb 19, 2021, 10:01 PM IST

लखनऊः सात साल तक फरार रहे सत्यानंद उच्च शिक्षा संस्थान, गोमती नगर के सचिव अंशुमान पांडेय को अल्प अवधि जमानत देने से हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने इंकार कर दिया है. आरोपी ने इलाज कराने के लिए मेडिकल आधार पर अल्प अवधि जमानत याचिका दायर की थी. इस याचिका पर न्यायालय ने कहा कि आरोपित का पहले से डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान में इलाज चल रहा है. न्यायालय ने संस्थान को भी निर्देश दिए हैं कि अभियुक्त का इलाज पूरा होते ही उसे वापस जेल भेज दिया जाए.

यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल सदस्यीय पीठ ने अभियुक्त अंशुमान पांडेय की अल्प अवधि जमानत प्रार्थना पत्र पर पारित किया. अभियुक्त की ओर से पेश सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रूक्मिनी बोबडे ने उसे मेडिकल आधार पर शार्ट टर्म के लिए रिहा करने का अनुरोध किया था. वहीं अपर शासकीय अधिवक्ता राव नरेंद्र सिंह ने प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए कहा कि अभियुक्त के खिलाफ पांच मुकदमों का अपराधिक इतिहास है. वह भगोड़ा घोषित होने के बाद भी गिरफ्तारी से बचता रहा. काफी मशक्कत के बाद पुलिस ने उसे कुछ समय पहले गिरफ्तार किया है. ऐसे में अभियुक्त येन-केन प्रकारण बाहर आना चाहता है.

अभियुक्त के खिलाफ गोमती नगर थाने में वर्ष 2013 में एफआईआर दर्ज कराई गई थी. वादी का कहना था कि सत्यानंद संस्थान में वह लाइब्रेरियन के पद पर तैनात था, जबकि अभियुक्त वहां सचिव के पद पर था. वेतन रुका होने की वजह से जब वादी अपना वेतन मांगने अभियुक्त के घर गया तो अभियुक्त ने उसे गोली मार दी. अभियुक्त ने वादी पर चार फायर किए थे.

लखनऊः सात साल तक फरार रहे सत्यानंद उच्च शिक्षा संस्थान, गोमती नगर के सचिव अंशुमान पांडेय को अल्प अवधि जमानत देने से हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने इंकार कर दिया है. आरोपी ने इलाज कराने के लिए मेडिकल आधार पर अल्प अवधि जमानत याचिका दायर की थी. इस याचिका पर न्यायालय ने कहा कि आरोपित का पहले से डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान में इलाज चल रहा है. न्यायालय ने संस्थान को भी निर्देश दिए हैं कि अभियुक्त का इलाज पूरा होते ही उसे वापस जेल भेज दिया जाए.

यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल सदस्यीय पीठ ने अभियुक्त अंशुमान पांडेय की अल्प अवधि जमानत प्रार्थना पत्र पर पारित किया. अभियुक्त की ओर से पेश सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रूक्मिनी बोबडे ने उसे मेडिकल आधार पर शार्ट टर्म के लिए रिहा करने का अनुरोध किया था. वहीं अपर शासकीय अधिवक्ता राव नरेंद्र सिंह ने प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए कहा कि अभियुक्त के खिलाफ पांच मुकदमों का अपराधिक इतिहास है. वह भगोड़ा घोषित होने के बाद भी गिरफ्तारी से बचता रहा. काफी मशक्कत के बाद पुलिस ने उसे कुछ समय पहले गिरफ्तार किया है. ऐसे में अभियुक्त येन-केन प्रकारण बाहर आना चाहता है.

अभियुक्त के खिलाफ गोमती नगर थाने में वर्ष 2013 में एफआईआर दर्ज कराई गई थी. वादी का कहना था कि सत्यानंद संस्थान में वह लाइब्रेरियन के पद पर तैनात था, जबकि अभियुक्त वहां सचिव के पद पर था. वेतन रुका होने की वजह से जब वादी अपना वेतन मांगने अभियुक्त के घर गया तो अभियुक्त ने उसे गोली मार दी. अभियुक्त ने वादी पर चार फायर किए थे.

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