लखनऊ: सरकारी कामकाज के दौरान बिक्री कर अधिकारी से मारपीट कर जानमाल की धमकी देने के आरोप में दोषसिद्ध करार किए गए पूर्व राज्य सभा सांसद और व्यापारी नेता बनवारी लाल कंछल की दोषसिद्धि पर रोक लगाने से अपीलीय अदालत ने इंकार कर दिया है. कोर्ट ने पाया कि कंछल का आपराधिक इतिहास रहा है. जिला जज अश्वनी कुमार त्रिपाठी ने कहा कि सभी परिस्थितियों पर गौर करने के उपरांत दोषसिद्धि कर रोक लगाने की अपीलार्थी की अर्जी खारिज की जाती है.
उल्लेखनीय है कि उक्त मामले में इसे एवर्ष फरवरी माह में कंछल को दोषी करार देते हुए मजिस्ट्रेट कोर्ट ने दो वर्ष कारावास की सजा सुनाई थी. हालांकि अपीलीय अदालत ने सजा पर 1 मार्च को ही रोक लगा दी थी. अपील का सरकारी वकील मनीष त्रिपाठी ने विरोध किया था. कहा गया कि इस मामले की रिपोर्ट बिक्री कर अधिकारी अरुण कुमार त्रिपाठी ने 6 अक्टूबर 1991 को हजरतगंज थाने में दर्ज कराई थी. घटना के दिन वादी बिक्री कर कार्यालय मीराबाई मार्ग परिसर में राजकीय कार्य कर रहे थे, उसी समय बनवारी लाल कंछल ने अपने साथियों के साथ आकर वादी को मारा और अन्य लोगों ने गाली देना शुरू कर दिया.
इसे भी पढ़े-सीधी भर्ती वाले दरोगाओं और इंस्पेक्टरों को मिलेगा प्रशिक्षण अवधि का पूरा वेतन, हाईकोर्ट ने दिया आदेश
उनका कहना था कि रोड चेकिंग के दौरान लखनऊ में माल से लदी गाड़ियां क्यों पकड़ते हो? कहा गया कि इसी शोर-शराबे के दौरान बिक्री कर भवन में उपस्थित अन्य बिक्री कर अधिकारी और कर्मचारी भी मौके पर आए, जिसके कारण कंछल और उसके साथी यह कहते हुए भाग गए कि यदि फिर कभी गाड़ी पकड़ी तो जान से मार देंगे. अदालत को यह भी बताया गया कि इसके पहले भी आरोपियों ने सचल दल कार्यालय में बिक्री कर अधिकारी डीसी चतुर्वेदी के साथ गालीगलौज की थी. कार्यालय में रखी हुई कुर्सियां पटक कर तोड़ दी थी. साथ ही धमकी भी दी थी कि जो अधिकारी लखनऊ में माल पकड़ेगा उसे जान से मार दिया जाएगा.
यह भी पढ़े-आयुष कॉलेजों में एडमिशन घोटाला: अभियुक्त आलोक कुमार त्रिवेदी की जमानत याचिका खारिज