लखनऊ : राजधानी व उसके आसपास के शैक्षणिक संस्थाओं के छात्र-छात्राओं को केंद्र व राज्य सरकार से मिलने वाली पोस्ट मैट्रिकुलेशन छात्रवृत्तियों के सौ करोड़ रुपये को धोखाधड़ी करके हड़पने के मामले में वांछित हाइजिया ग्रुप शैक्षिक संस्थान के चेयरमैन सैयद इशरत हुसैन जाफरी की अग्रिम जमानत अर्जी को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अनुरोध मिश्रा ने खारिज कर दिया है.
कोर्ट में सरकारी वकील ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि 'आरोपी पर सरकार द्वारा अल्पसंख्यक, गरीब व असहाय छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृति को हड़पकर घोटाले में शामिल होने का आरोप है. मामले की रिपोर्ट दरोगा दयाशंकर द्विवेदी ने हज़रतगंज में दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया था कि मामले की प्रारंभिक जांच में पता चला कि लखनऊ के एसएस इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, ऑरेगॉन एजुकेशनल सोसाइटी, हाईजिया कॉलेज ऑफ फार्मेसी, हाईजिया इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मेसी, लखनऊ इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड एजुकेशन, फ़र्रुख़ाबाद के डॉ. ओम प्रकाश इंस्टिट्यूट, हरदोई के जीविका कॉलेज ऑफ़ फ़ार्मेसी, आरपीपी इण्टर कॉलेज, ज्ञानवती इंटर कॉलेज और जगदीश प्रसाद वर्मा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय गौसगंज में विभिन्न योजना से मिलने वाली पोस्ट मेट्रिकुलेशन छात्रवृत्तियों को कूटरचित दस्तावेज तैयार करके छात्रों का खाता एक ईमेल आईडी पर खोलकर हड़प लिया गया.
बताया गया कि आरोपी ने अल्पसंख्यक वर्ग के गरीब छात्रों के लिए मिलने वाली छात्रवृत्ति को अन्य अयोग्य छात्रों के नाम पर दिखाकर हड़प लिया है. आरोप है कि आरोपी की संस्था हाइजिया ग्रुप ने सरकारी नियमों और दिशा निर्देशों का उल्लंघन कर एजेंटों के यूजर आईडी व पासवर्ड का प्रयोग किया और छात्रवृत्तियों को फिनो बैंक के एजेंट के साथ मिलकर एटीएम से निकल लिया, आरोपी और उसके सहयोगी ने अपात्र लोगों के खाते खोले और उनमें से कई लोगों को खाते खुलने की सूचना भी नहीं थी. कहा गया कि रवि गुप्ता ने छात्रों के खाते से रकम निकाली थी. हाइजिया ग्रुप ने विभिन्न छात्रों के पैसे निकालने के लिए हज़ारों डेबिट व सिम कार्ड की व्यवस्था की और इसके अलावा तीन हज़ार फर्जी खाते भी खोले.