लखनऊ: भूख, अभाव परिवार को पालने की जिम्मेदारी ने गरीब मजबूर लोगों को कोरोना काल में बाहर निकलने और काम करने के लिए मजबूर कर दिया है. यह मजबूरी इस कदर मजबूत है कि बच्चों के दो वक्त के निवालों के लिए जान जोखिम में डालकर काम करना पड़ रहा है. आधुनिकता के इस दौर में हमारे अपने इतना पीछे छूट गए हैं कि वह कोरोना वायरस से बजने के लिए मास्क भी खरीद नहीं पा रहे हैं. भले ही तमाम लोग को इन गरीबों की मजबूरी नजर न आती हो, लेकिन जिन में इंसानियत जिंदा है वह इसे भांप लेते हैं.
ऐसी ही इंसानियत की मिसाल पेश कर रहे हैं सतीश कुमार मिश्रा, जो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग में वरिष्ठ लिपिक के पद पर तैनात हैं. अपने पेशे और परिवार की जिम्मेदारियों के बीच वह अपने आसपास के गरीब व मजबूर लोगों के प्रति जिम्मेदारी निभा रहे हैं. कोविड-19 से गरीबों को सुरक्षित बनाने के लिए इन्होंने जिम्मेदारी उठाई है. अपनी मां चंद्रावती से मिला सिलाई का हुनर और संस्कारों से सतीश कुमार मिश्रा ने अपनी तनख्वाह के पैसों से एक सिलाई मशीन खरीदी. मास्क बनाने वाला कपड़ा खरीदा और अपने व्यस्ततम जीवन में से सुबह-शाम 2-2 घंटे गरीबों के प्रति समर्पित कर यह रोज मास्क बनाते हैं और ऑफिस आते जाते गरीबों को मास्क उपलब्ध कराते हैं, जिससे यह गरीब कोरोना से सुरक्षित रह सकें.
सतीश कुमार मिश्रा दिन में 8 घंटे अपने विभाग में ड्यूटी देते हैं और सुबह व शाम 2-2 घंटे सिलाई मशीन पर काम कर गरीबों के लिए मास्क तैयार करते हैं. सतीश कुमार मिश्रा द्वारा किए जा रहे इस कार्य को लेकर ईटीवी भारत ने इनसे बात की. उन्होंने कहा कि जब मैं ऑफिस आता जाता था तो मुझे तमाम गरीब व जरूरतमंद लोग नजर आते थे, जिनके पास मास्क नहीं होता था. मुझे अंदर से आवाज आई कि क्यों न मैं अपनी मां द्वारा सिखाए गए सिलाई के हुनर का प्रयोग लोगों की मदद करने में करूं.
इसके बाद मैंने एक सिलाई मशीन खरीदी. मास्क बनाने वाला कपड़ा खरीदा और अब मैं रोज 4 घंटे मास्क की सिलाई का काम करता हूं और उसके बाद ऑफिस जाते समय और ऑफिस से घर वापस लौटते समय जरूरतमंदों को यह मास्क उपलब्ध कराता हूं. इस काम को करने में मुझे काफी खुशी मिलती है. सतीश कुमार मिश्रा के इस कार्य में उनकी पत्नी कमलेश मिश्रा भी उनका पूरा सहयोग करती हैं.
ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने बताया कि ऑफिस आते जाते समय उन्होंने गरीबों को देखा उसके बाद घर में बताया कि वह सिलाई कर गरीबों में मास्क वितरित करना चाहते हैं. यह जानकर हम लोगों को काफी खुशी हुई, हालांकि इस बात का डर जरूर था कि दिनभर नौकरी करने के बाद ये यह काम कैसे कर पाएंगे, लेकिन इन्होंने कहा मैं इस काम को करूंगा इसके लिए सुबह और शाम का समय तय किया गया और ऑफिस जाने से पहले व ऑफिस आने के बाद यह नियमित तौर पर मास्क सिलाई का काम करते हैं. इतनी लगन के साथ गरीबों की मदद करते हुए इन्हें देखकर हमें काफी खुशी मिलती है.