लखनऊ: राजधानी में परवान चढ़ा कोरोना टीकाकरण अभियान दूर-दूराज के क्षेत्रों तक पहुंचते-पहुंचते ठंडा पड़ता जा रहा है. शहरी क्षेत्र में लक्ष्य के मुकाबले जहां 45.4 फीसदी टीकाकरण हो चुका है तो ग्रामीण क्षेत्र में महज 17.8 फीसदी लोगों को ही टीके की दोनों डोज लगी हैं. शहरी सीमा से जैसे-जैसे दूरी बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे टीकाकरण का प्रतिशत भी कम हो रहा है. यही वजह है कि लखनऊ मुख्यालय से सबसे दूर स्थित विकास खंड माल में महज 5.1 फीसदी लोगों को ही टीके की दोनों डोज लग पाई हैं. ग्रामीण टीकाकरण का प्रतिशत बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के पास दावे तो हैं पर ठोस योजना जमीन पर नजर नहीं आ रही है.
लखनऊ की कुल आबादी 55 लाख के करीब है. इसमें से करीब 34 लाख शहरी और 21 लाख ग्रामीण आबादी है. कुल 55 आबादी में से 18 साल से ऊपर के करीब 38 लाख लोगों को कोरोना टीका लगाया जाना है. इस आबादी को शहर के सभी आठ विकास खंड तथा शहरी क्षेत्र में बांटा गया है. हर क्षेत्र के लिए अलग-अलग लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इस लक्ष्य के मुकाबले सबसे अच्छा प्रदर्शन शहर से सटे चिनहट क्षेत्र का है, जहां 49.1 फीसदी लोगों को टीका लगा है. वहीं शहरी क्षेत्र में 45.4 फीसदी लोगों को टीके की दोनों डोज लग चुकी हैं. इसके बाद जैसे-जैसे शहर से दूरी बढ़ रही है, टीकाकरण का प्रतिशत भी लक्ष्य के मुकाबले कम हो रहा है.
कोरोना संक्रमण के खिलाफ लड़ाई में जिला प्रतिरक्षण अधिकारी की आंकड़ेबाजी से पहले ही स्वास्थ्य विभाग की फजीहत हो रही है. स्वास्थ्य विभाग पांच श्रेणियों में टीकाकरण के आंकड़े जारी करता है. जिला प्रतिरक्षण अधिकारी द्वारा तैयार आंकड़ों के अनुसार टीकाकरण की हर श्रेणी में महिलाओं की भागीदारी ठीक 40 फीसदी ही है. व्यवहारिक रूप में ऐसा संयोग संभव नहीं है कि सभी श्रेणियों में महिलाओं की भागीदारी एक समान 40-40 फीसदी ही हो. यह सवाल उठने पर जिला प्रतिरक्षण अधिकारी ने पोर्टल से दोबारा डाटा तैयार करने की बात कही थी.
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जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. एमके सिंह ने कहा कि लखनऊ जनपद टीकाकरण में सबसे आगे चल रहा है. अब हमारा फोकस ग्रामीण क्षेत्र पर है. आई-केयर की गाड़ियां गांव-गांव जाकर कैंप लगाएंगी. अगले आठ से दस दिनों में ग्रामीण क्षेत्रों का प्रतिशत भी बढ़ा हुआ नजर आएगा.