लखनऊः उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण और सर्दी के चलते स्कूल करीब एक महीने से बंद हैं. इन स्कूलों को दोबारा खोलने का दबाव बनना शुरू हो गया है. एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स (Association of Private Schools) उत्तर प्रदेश की ओर से शुक्रवार को मुख्य सचिव को पत्र भेजकर स्कूलों को जल्द से जल्द खोलने की मांग उठाई गई है. उधर, अभिभावकों की ओर से इस पर आपत्ति जताई गई है.
एसोसिएशन का दावा है कि कोरोना महामारी के कारण स्कूलों को तो बंद कर दिया गया किन्तु मार्केट, सब्जी मण्डी, दुकानों, बस, रेल, पार्क आदि को खुला रखा गया और यहां पर जो भीड़ के हालात मीडिया में प्रकाशित हो रहे हैं, उससे साफ दिखता है कि इन सार्वजनिक स्थानों पर कोविड प्रोटोकॉल का बिलकुल ही पालन नहीं किया जा रहा है. जब कि सभी स्कूलों को बंद कर दिया गया. जहां कोविड प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है. एसोएिसशन के अध्यक्ष अतुल कुमार का कहना है कि अभी बीच में जब स्कूल खोले गये थे, उस समय न केवल बच्चों की पढ़ाई सुचारू रूप से चल रही थी, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में एक भी बच्चे को कोरोना होने की खबर नहीं आई थी. ऐसे में स्कूलों को बंद किया जाना बच्चों के साथ न्यायपूर्ण नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार को प्रदेश के सभी स्कूलों को खोलने का आदेश देकर बच्चों के साथ न्याय करना चाहिए.
हालांकि, अभिभावकों की ओर से इसको लेकर आपत्ति दर्ज कराई जा रही है. उनका कहना है निजी स्कूल संचालक सिर्फ फीस के चक्कर में इस तरह का दवाब बना रहे हैं. इसको लेकर कुछ अभिभावक सोशल मीडिया पर भी गुस्सा निकाल रहे हैं.
स्कूल खोलने और बंद रखने की बहस के बीच उत्तर प्रदेश में एक पत्र भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. जिसमें स्कूलों को 15 फरवरी तक बंद दिए जाने की बात कही गई है. हालांकि, शासन ने इसका खंडन भी कर दिया है.
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