लखनऊ: कोरोना की तीसरी लहर के बीच सरकारी और गैर-सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों की संख्या कम हो गई हैं. इसके साथ ही हजारों ऑपरेशन टाले जा चुके हैं. सिविल, बलरामपुर और लोकबंधु में करीब 200 से ज्यादा मरीजों ने खुद ही ऑपरेशन की तारीख़ बढ़ा दी है. केवल जटिल ऑपरेशन किए जा रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना के कारण कई मरीज अपने ऑपरेशन की तारीखों में बदलाव कर रहे है. फिलहाल सभी जगहों पर गंभीर और जरूरी मरीजों के ही ऑपरेशन किए जा रहे हैं.
सिविल अस्पताल में कुल 401 बेड है. इसमें 30 बेड इमरजेंसी वार्ड में हैं. कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच यहां भी मरीज गंभीर हालातों में आ रहे है. हमेशा भरे रहने वाले इमरजेंसी में वार्ड में 14 से ज्यादा बेड खाली है. वहीं वार्डों में भर्ती मरीजों की संख्या 170 के करीब है. आम दिनों में यहां पर हर दिन 20 से ज्यादा छोटे-बड़े ऑपरेशन होते थे, लेकिन अब हर दिन 8-10 ही ऑपरेशन हो रहे है. अस्पताल के सीएमएस डॉ. आरपी सिंह ने बताया कि ऑपरेशन करने से पहले मरीजों की आरटीपीसीआर जांच करवाई जाती है. इसके बाद ही उन्हें ओटी में शिफ्ट किया जाता है. कई मरीजों ने कोरोना के कारण ऑपरेशन की तारीख बढ़ा ली है.
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आशियाना स्थित लोकबंधु अस्पताल लखनऊ ( Lok Bandhu hospital Lucknow) मेें 16 बेड की इमरजेंसी और गायनी, आर्थो सहित कई विधाओं के लिए अलग अलग वार्ड बने है. अस्पताल के सीएमएस डॉ अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया कि मौजूदा समय 300 बेड पर मरीजों की भर्ती की जा रही है. वहीं उन्होंने बताया कि ठंड और कोरोना के कारण ओपीडी में मरीजों की संख्या कम हुई है. इसके कारण भर्ती होने वाले मरीजों में भी कमी है. तीसरी लहर के कारण सिर्फ गंभीर मरीज ही ऑपरेशन के लिए आ रहे है. कई ऑपरेशन की तारीखों मे बदलाव भी हुआ है. सतर्कता बरतते हुए ऑपरेशन से पहले मरीजों की कोरोना जांच की जा रही है, रिपोर्ट निगेटिव आने पर ऑपरेशन किया जा रहा है.
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बलरामपुर अस्पताल में हर दिन 40-50 ऑपरेशन होते थे. कोरोना की तीसरी लहर के दौरान यहां संख्या 20-25 पर सिमट गई है. वहीं ओपीडी और इमरजेंसी में आने वाले मरीजों में भी कमी आई है. इमरजेंसी वार्ड में 15 से ज्यादा बेड खाली है. हालांकि, पहली और दूसरी लहर की तुलना में इस बार ऑपरेशन एकदम बंद नहीं किए गए हैं. अस्पताल के सीएमएस डॉ. जे पी गुप्ता ने बताया कि ठंड और कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण ओपीडी में मरीज कम आ रहे है. वहीं कई ऐसे मरीज थे जिनकी छोटी-मोटी सर्जरी होनी थी ऐसे मरीजों ने अपने ऑपरेशन का समय बढ़ा लिया है. पहली और दूसरी लहर में स्थिति ज्यादा गंभीर थी. हालांकि तीसरी लहर में ऐसा नहीं देखा जा रहा है फिर भी सतर्क रहने की जरूरत है.
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