लखनऊ : कोरोना की तीसरी लहर (Corona Third Wave) को लेकर अस्पताल में तैयारी तेज है. विशेषज्ञों ने दो महीने पहले ही आशंका जतायी है कि अगस्त के आखिरी दिनों में कोरोना की तीसरी लहर दस्तक दे सकती है. बुधवार को अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद (Amit Mohan Prasad) ने कहा कि सीरो सर्वे (Sero Servey) की जो रिपोर्ट आयी है उसके मुताबिक सभी उम्रवर्ग के लोगों में एंटीबॉडी (Antibody) पायी गयी है. इसमें वयस्क से लेकर बच्चे तक शामिल हैं. ऐसे में यह कहना सही नहीं होगा कि कोरोना की तीसरी लहर में बच्चे अधिक प्रभावित होंगे.
अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद ने अपनी बात को स्पष्ट किया कि रोजाना तीन लाख से अधिक लोगों का टीकाकरण हो रहा है. ऐसे में जब घर के वयस्क संक्रमण से बचे रहेंगे तो बच्चे भी संक्रमण से बचे रहेंगे. सावधानी घर के बड़े सदस्यों को ज्यादा बरतनी है. छोटे बच्चों की इम्यूनिटी मजबूत होती है. बच्चे रोग को हराने में सक्षम हैं.
लोहिया अस्पताल के पीडियाट्रिक डॉक्टर श्रीके सिंह बताते हैं कि बच्चों की इम्यूनिटी बहुत मजबूत होती है. बस उनके खानपान और थोड़ी-सी देखरेख की जरूरत होती है. कोरोना की दूसरी लहर में महज एक प्रतिशत ही बच्चे प्रभावित हुए थे, लेकिन उनमें भी संक्रमण के पूरे लक्षण नहीं थे. इससे कह सकते हैं कि पैरेंट्स अगर बच्चे की सही देखरेख करें तो बच्चे प्रभावित नहीं होंगे. खास कर घर के बड़े सदस्यों को टीकाकरण करवाना चाहिए ताकि अगर तीसरी लहर आती है तो बच्चों पर असर न पड़े. न घर के बड़े बीमार होंगे और न ही उनके द्वारा बच्चे संक्रमण की चपेट में आएंगे. सूझबूझ से बच्चों को संक्रमण के खतरे से बचाया जा सकता है.
राजधानी के अस्पतालों में कोरोना वायरस की तीसरी लहर को लेकर तैयारियां तेज हो गयी हैं. इसको लेकर महिला अस्पतालों में भी एचडीयू (हाई डिपेंडेंसी यूनिट) तैयार की जा रही है. कुछ अस्पताल में तैयार हो चुकी है तो कुछ अस्पताल में अगले महीने से एचडीयू की शुरुआत हो जाएगी. डफरिन अस्पताल में 26 बेड का एचडीयू (हाई डिपेंडेंसी यूनिट) की शुरुआत गुरुवार को हो चुकी है जबकि वीरांगना झलकारी बाई अस्पताल में 12 बेड का एचडीयू की शुरुआत अगले महीने सितंबर से होगी. अस्पताल की सीएमएस डॉ. अंजना खरे बताती हैं कि एचडीयू (हाई डिपेंडेंसी यूनिट) के निर्माण हो जाने से गर्भवती महिलाओं के सीरियस केस को अस्पताल में ही देखा जा सकेगा, उसे अन्य अस्पताल नहीं रेफर करना पड़ेगा. प्रसूता की सही तरह से बिना क्रिटिकल कंडिशन हुए डिलीवरी हो जाए, इसमें एचडीयू अहम भूमिका निभाती है. इसके न रहने पर जच्चा-बच्चा की जान जोखिम में पड़ जाती है. इसलिए महिला अस्पताल में एचडीयू (हाई डिपेंडेंसी यूनिट) का होना बहुत ही महत्वपूर्ण है.
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