लखनऊ: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में अब आने वाले नए कोरोना मरीजों का इलाज पहले के स्वस्थ हुए कोरोना संक्रमित मरीजों की सहायता से किया जा सकेगा. केजीएमयू ने आईसीएमआर के साथ मिलकर प्लाज्मा थेरेपी पर शोध शुरू किया है. केजीएमयू के डॉक्टर सुधीर सिंह कहते हैं कि प्लाज्मा थेरेपी के द्वारा कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज करना अन्य दवाइयों की अपेक्षा अधिक सकरात्मक हो सकता है.
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग और मेडिसिन विभाग ने आईसीएमआर के साथ मिलकर एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं. इस एमओयू के अनुसार प्लाज्मा थेरेपी के द्वारा कोरोना वायरस मरीजों का इलाज किए जाने की पहल की जा रही है. इसके लिए डीजीसीआई से भी स्वीकृति ली गई है.
केजीएमयू प्रवक्ता डॉक्टर सुधीर सिंह ने बताया कि ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग, जनरल मेडिसिन विभाग और हिमेटोलॉजी विभाग द्वारा एक प्रोजेक्ट तैयार किया गया है. इसमें कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज प्लाज्मा थेरेपी द्वारा किये जाने पर विचार किया जा रहा है.
प्लाज्मा सेल थेरेपी के तहत कोरोना वायरस संक्रमित जो रोगी 14 से 28 दिन के भीतर ठीक हो चुके हैं, उनसे प्लाज्मा लिया जाएगा. यह प्लाज्मा 300 से 500 ml तक लिया जाएगा. इसके बाद संस्थान में भर्ती मॉडरेट लेवल के मरीज या फिर जिन मरीजों में दवाइयों और सामान्य इलाज से कोई असर नहीं पड़ रहा हो, उनमें प्लाज्मा सेल थेरेपी दी जाएगी.
डॉ सिंह कहते हैं कि यूं तो प्लाज्मा को कई महीनों तक स्टोर किया जा सकता है, लेकिन रिलीज के बाद 24 घंटे के भीतर ही यह मरीज को दिया जाएगा. प्लाज्मा थेरेपी के प्रोजेक्ट पर ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग से तूलिका चंद्रा और जनरल मेडिसिन विभाग से प्रोफेसर वीरेंद्र आतम और डॉक्टर डी हिमांशु काम कर रहे हैं.
प्लाज्मा सेल थेरेपी से यदि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज का परिणाम सकारात्मक और बेहतर आता है तो कोविड-19 के संक्रमण में यह रामबाण इलाज साबित हो सकता है.
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