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कोरोना में ऑक्सीजन पर रहे मरीजों की याददाश्त हो रही कमजोर

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Published : Jun 17, 2021, 8:30 AM IST

कोरोना संक्रमण (Coronavirus) के बाद मरीजों को याददाश्त (Memory Loss) से जुड़ी परेशानियां भी हो रही हैं. वायरस को मात दे चुके कई लोगों को दिमागी रूप से कमजोरी और भूलने की बीमारी हो रही है.

कॉन्सेप्ट इमेज.
कॉन्सेप्ट इमेज.

लखनऊ: कोरोना ने हर व्यक्ति को किसी न किसी रूप में तंग कर रखा है. यह न केवल एक महामारी है और जान भी ले सकती है, बल्कि इससे संक्रमित होने पर किसी तरह बचने पर भी इसके दुष्प्रभाव आपको परेशान कर सकते हैं. केजीएमयू मानसिक रोग विभाग के डॉ. आर्दश त्रिपाठी के मुताबिक कोरोना वायरस मात्र श्वसन तंत्र पर ही नहीं बल्कि यह संक्रमित व्यक्ति के दिमाग पर भी असर डाल रहा है.

जानकारी देते डॉक्टर.

कोरोना से ठीक हो चुके मरीज कई बीमारियों की गिरफ्त में आ रहे हैं. ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहे मरीजों में फेफड़ा, लिवर, हृदय के अलावा मनोरोग संबंधी समस्याएं हो रही हैं. उनमें याददाश्त में कमी, व्यवहार में बदलाव, चिड़चिड़ापन, एकाग्रता संबंधी समस्या हो रही है.

पोस्ट कोविड के सौ से ज्यादा मरीजों मिली समस्या
केजीएमयू व बलरामपुर अस्पताल के मानसिक स्वास्थ्य व न्यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टरों को 100 से ज्यादा मरीजों में यह दिक्कत मिली. कोरोना से ठीक हो चुके ये मरीज कई दिनों तक आईसीयू में रहे थे. सबसे ज्यादा दिक्कत वेंटिलेटर पर भर्ती रहे मरीजों में देखने को मिल रही है.

ब्रेन को नहीं मिली पर्याप्त ऑक्सीजन
केजीएमयू मानसिक रोग विभाग के डॉ. आर्दश त्रिपाठी के मुताबिक कोरोना वायरस (Coronavirus) सबसे पहले फेफड़ों पर हमला बोलता है. इससे मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है. शरीर को जरूरत के मुताबिक ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है. इसका असर दिमाग पर पड़ता है. दिमाग को खून पहुंचाने वाली नसों में अड़चन आ जाती है. खून का बहाव प्रभावित होता है. सांस लेने में दिक्कत बढ़ने पर मरीज को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा जाता है. इस दौरान भी ब्रेन को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलने में दिक्कत होती है. ठीक हो चुके मरीजों में पोस्ट कोविड दिक्कतें काफी देखने को मिल रही है. इसमें याददाश्त पर भी असर पाया गया. मरीजों के स्वभाव में भी बदलाव आया है. इसे पोस्ट कोविड न्यूरोकोगिनेटिव कहते हैं.

इसे भी पढ़े:- 'यूपी के अच्छे लड़कों' पर क्या बोल गए भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह...

एमआरआई जांच के साथ नियमित इलाज
डॉ. आर्दश के मुताबिक निगेटिव होने के महीने भर बाद कई मरीजों में याददाश्त संबंधी परेशानी हो रही है. वह छोटी-छोटी चीजें भी भूलने लग रहे हैं. कोरोना संक्रमण से पहले ऐसा नहीं था. उन्होंने बताया कि एमआरआई जांच से बीमारी की पहचान व दवाओं से इलाज मुमकिन है. कोरोना से ऊबर चुके मरीज कम से कम तीन महीने ज्यादा कसरत करने से बचें. कोरोना संक्रमण के बाद सिरदर्द, लकवा व मिर्गी होने की आशंका भी बढ़ जाती है. सूंघने की क्षमता कम हो जाती है. कमजोरी, नींद की कमी भी काफी मरीजों में देखने को मिल रही है.

लखनऊ: कोरोना ने हर व्यक्ति को किसी न किसी रूप में तंग कर रखा है. यह न केवल एक महामारी है और जान भी ले सकती है, बल्कि इससे संक्रमित होने पर किसी तरह बचने पर भी इसके दुष्प्रभाव आपको परेशान कर सकते हैं. केजीएमयू मानसिक रोग विभाग के डॉ. आर्दश त्रिपाठी के मुताबिक कोरोना वायरस मात्र श्वसन तंत्र पर ही नहीं बल्कि यह संक्रमित व्यक्ति के दिमाग पर भी असर डाल रहा है.

जानकारी देते डॉक्टर.

कोरोना से ठीक हो चुके मरीज कई बीमारियों की गिरफ्त में आ रहे हैं. ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहे मरीजों में फेफड़ा, लिवर, हृदय के अलावा मनोरोग संबंधी समस्याएं हो रही हैं. उनमें याददाश्त में कमी, व्यवहार में बदलाव, चिड़चिड़ापन, एकाग्रता संबंधी समस्या हो रही है.

पोस्ट कोविड के सौ से ज्यादा मरीजों मिली समस्या
केजीएमयू व बलरामपुर अस्पताल के मानसिक स्वास्थ्य व न्यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टरों को 100 से ज्यादा मरीजों में यह दिक्कत मिली. कोरोना से ठीक हो चुके ये मरीज कई दिनों तक आईसीयू में रहे थे. सबसे ज्यादा दिक्कत वेंटिलेटर पर भर्ती रहे मरीजों में देखने को मिल रही है.

ब्रेन को नहीं मिली पर्याप्त ऑक्सीजन
केजीएमयू मानसिक रोग विभाग के डॉ. आर्दश त्रिपाठी के मुताबिक कोरोना वायरस (Coronavirus) सबसे पहले फेफड़ों पर हमला बोलता है. इससे मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है. शरीर को जरूरत के मुताबिक ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है. इसका असर दिमाग पर पड़ता है. दिमाग को खून पहुंचाने वाली नसों में अड़चन आ जाती है. खून का बहाव प्रभावित होता है. सांस लेने में दिक्कत बढ़ने पर मरीज को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा जाता है. इस दौरान भी ब्रेन को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलने में दिक्कत होती है. ठीक हो चुके मरीजों में पोस्ट कोविड दिक्कतें काफी देखने को मिल रही है. इसमें याददाश्त पर भी असर पाया गया. मरीजों के स्वभाव में भी बदलाव आया है. इसे पोस्ट कोविड न्यूरोकोगिनेटिव कहते हैं.

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एमआरआई जांच के साथ नियमित इलाज
डॉ. आर्दश के मुताबिक निगेटिव होने के महीने भर बाद कई मरीजों में याददाश्त संबंधी परेशानी हो रही है. वह छोटी-छोटी चीजें भी भूलने लग रहे हैं. कोरोना संक्रमण से पहले ऐसा नहीं था. उन्होंने बताया कि एमआरआई जांच से बीमारी की पहचान व दवाओं से इलाज मुमकिन है. कोरोना से ऊबर चुके मरीज कम से कम तीन महीने ज्यादा कसरत करने से बचें. कोरोना संक्रमण के बाद सिरदर्द, लकवा व मिर्गी होने की आशंका भी बढ़ जाती है. सूंघने की क्षमता कम हो जाती है. कमजोरी, नींद की कमी भी काफी मरीजों में देखने को मिल रही है.

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