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कोरोना से जंग में एंबुलेंस कर्मचारी भी हो रहे बेदम

प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कोरोना से हालात बद से बदतर हो चले हैं. अस्पतालों में बेड खाली नहीं होने से मरीजों को घंटों एंबुलेंस में अस्पताल के बाहर इंतजार करना पड़ रहा है. मरीजों के साथ-साथ एंबुलेंस कर्मी भी पीपीई किट पहने अस्पताल के बाहर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. गर्मी ज्यादा होने के कारण कई कर्मी बोहेश होकर गिर भी पड़ रहे हैं.

घंटों-घंटों इंतजार करते एंबुलेंस कर्मचारी
घंटों-घंटों इंतजार करते एंबुलेंस कर्मचारी
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Published : Apr 15, 2021, 7:45 PM IST

Updated : Apr 15, 2021, 9:16 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बेकाबू हो चले कोरोना संक्रमण से स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की कलई खुल गई है. कहीं मरीजों को एंबुलेंस नहीं मिल रही है, कहीं मरीजों की एंबुलेंस के इंतजार में मौत हो रही है तो वहीं कहीं एंबुलेंस में मरीजों का इलाज हो रहा है. अन्य जिलों की बात तो छोड़िये राजधानी लखनऊ में कोरोना संक्रमण ने कुछ ही दिनों में इतने बद से बदतर हालात पैदा कर दिए हैं कि मरीजों को अस्पतालों में बेड नहीं मिल पा रहा है. मरीजों को अस्पतालों में भर्ती कराने के लिए एंबुलेंस चालकों को घंटों अस्पताल के बाहर इंतजार करना पड़ रहा है, जिस कारण पीपीई किट पहने एंबुलेंस चालक भी बेहोश होकर गिर रहे हैं.

देखें वीडियो.

बता दें कि राजधानी में कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए एंबुलेंस कर्मचारी दिन-रात लगे हुए हैं. इन दिनों अस्पताल में मरीजों को भर्ती कराने में उनके परिजनों को बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के बेड फुल हो जाने के कारण मरीज दर्द से अस्पताल के बाहर एंबुलेंस में ही तड़प रहे हैं.

इस दौरान एंबुलेंस कर्मचारी भी एंबुलेंस में पीपीई किट में ही रहते हैं. गर्मी का मौसम है, ऐसे में सुबह से बाहर निकले कर्मचारी रात में ही पीपीई किट उतारते हैं और बिना खाना-पानी के दिनभर रहते हैं. उमस भरी गर्मी के दिनों में 12 घंटे पीपीई किट पहनना मुश्किल काम है, जिसके कारण एंबुलेंस कर्मचारी ड्यूटी के दौरान ही चक्कर खाकर गिर पड़ रहे हैं.

बलरामपुर अस्पताल के बाहर दर्जनों एंबुलेंस खड़ी
बलरामपुर अस्पताल के बाहर दर्जनों की संख्या में एंबुलेंस खड़ी हैं, जिसमें एंबुलेंस कर्मचारी समेत कोरोना संक्रमित मरीज भी मौजूद हैं, लेकिन अस्पताल में मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा, जिसके चलते एंबुलेंस चालक भी वहीं पर फंसे रहते हैं. वह न तो मरीज को छोड़कर वापस आ सकते हैं और न ही मरीज को भर्ती करा सकते हैं. ऐसी स्थिति में दिनभर पीपीई किट पहने रहने से एंबुलेंस कर्मचारी ऑन ड्यूटी बेहोश हो रहे हैं.

चार बार हुए बेहोश
108 के एंबुलेंस कर्मचारी निखिल यादव ने बताया कि बीते 10 दिनों में कम से कम चार बार बेहोश हो चुके हैं. गर्मी में पीपीई किट पहनना बहुत मुश्किल है, लेकिन मजबूरन पहनना पड़ रहा है. 29 मार्च, 3 अप्रैल, 7 अप्रैल और 14 अप्रैल को वह बेहोश हो गए थे. उन्होंने बताया कि 14 अप्रैल को राजाजीपुरम से एक मरीज को बलरामपुर अस्पताल ले गए, जहां अस्पताल के बाहर करीब पांच घंटे से ज्यादा इंतजार करना पड़ा.

इसे भी पढ़ें:- तड़प-तड़पकर मर गईं पूर्व जिला जज की पत्नी, लेने नहीं आई एंबुलेंस

मरीज को भर्ती कराने में लग जाता है पूरा दिन
102 के एंबुलेंस कर्मचारी विपिन ने बताया कि, जब से कोरोना के केस बढ़े हैं तब से पूरा-पूरा दिन कोविड संक्रमित मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने में लग रहा है। अगर हम किसी मरीज को उसके घर से लेकर आते हैं तो बिना भर्ती कराएं नहीं छोड़ सकते। जिसके कारण हमें कई बार घंटों-घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। और इस दौरान पीपीई किट पहने हुए ही तीन बार बेहोश हो चुके हैं। अगर मरीज जल्दी भर्ती हो जाएं तो मरीज की थान भी बच जाएगी और हम भी बेहोश होने से बच सकेंगे।

जीवनदायिनी स्वास्थ्य विभाग 108 व 102 एंबुलेंस कर्मचारी संघ के जिला प्रभारी शादाब खान ने बताया कि यह गर्मी का समय है. ऐसे में एंबुलेंस कर्मचारी पीपीई किट पहने-पहने ही बेहोश हो जा रहे हैं. कर्मचारी सुबह पीपीई किट पहनते हैं और ड्यूटी पर लग जाते हैं. अस्पतालों में कोविड मरीजों को भर्ती नहीं करने के चक्कर में बेचारे एंबुलेंस कर्मचारी घंटों अस्पताल के बाहर मरीज के भर्ती होने का इंतजार करते हैं. ऐसे में इन दिनों कर्मचारी बेहोश हो जा रहे हैं. प्रशासन से मदद की गुहार लगाते हुए उन्होंने कहा कि हम बस इतना चाहते हैं कि मरीजों को जल्द से जल्द अस्पताल में भर्ती किया जाए ताकि एंबुलेंस चालक भी जल्दी फ्री हो सकें.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बेकाबू हो चले कोरोना संक्रमण से स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की कलई खुल गई है. कहीं मरीजों को एंबुलेंस नहीं मिल रही है, कहीं मरीजों की एंबुलेंस के इंतजार में मौत हो रही है तो वहीं कहीं एंबुलेंस में मरीजों का इलाज हो रहा है. अन्य जिलों की बात तो छोड़िये राजधानी लखनऊ में कोरोना संक्रमण ने कुछ ही दिनों में इतने बद से बदतर हालात पैदा कर दिए हैं कि मरीजों को अस्पतालों में बेड नहीं मिल पा रहा है. मरीजों को अस्पतालों में भर्ती कराने के लिए एंबुलेंस चालकों को घंटों अस्पताल के बाहर इंतजार करना पड़ रहा है, जिस कारण पीपीई किट पहने एंबुलेंस चालक भी बेहोश होकर गिर रहे हैं.

देखें वीडियो.

बता दें कि राजधानी में कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए एंबुलेंस कर्मचारी दिन-रात लगे हुए हैं. इन दिनों अस्पताल में मरीजों को भर्ती कराने में उनके परिजनों को बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के बेड फुल हो जाने के कारण मरीज दर्द से अस्पताल के बाहर एंबुलेंस में ही तड़प रहे हैं.

इस दौरान एंबुलेंस कर्मचारी भी एंबुलेंस में पीपीई किट में ही रहते हैं. गर्मी का मौसम है, ऐसे में सुबह से बाहर निकले कर्मचारी रात में ही पीपीई किट उतारते हैं और बिना खाना-पानी के दिनभर रहते हैं. उमस भरी गर्मी के दिनों में 12 घंटे पीपीई किट पहनना मुश्किल काम है, जिसके कारण एंबुलेंस कर्मचारी ड्यूटी के दौरान ही चक्कर खाकर गिर पड़ रहे हैं.

बलरामपुर अस्पताल के बाहर दर्जनों एंबुलेंस खड़ी
बलरामपुर अस्पताल के बाहर दर्जनों की संख्या में एंबुलेंस खड़ी हैं, जिसमें एंबुलेंस कर्मचारी समेत कोरोना संक्रमित मरीज भी मौजूद हैं, लेकिन अस्पताल में मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा, जिसके चलते एंबुलेंस चालक भी वहीं पर फंसे रहते हैं. वह न तो मरीज को छोड़कर वापस आ सकते हैं और न ही मरीज को भर्ती करा सकते हैं. ऐसी स्थिति में दिनभर पीपीई किट पहने रहने से एंबुलेंस कर्मचारी ऑन ड्यूटी बेहोश हो रहे हैं.

चार बार हुए बेहोश
108 के एंबुलेंस कर्मचारी निखिल यादव ने बताया कि बीते 10 दिनों में कम से कम चार बार बेहोश हो चुके हैं. गर्मी में पीपीई किट पहनना बहुत मुश्किल है, लेकिन मजबूरन पहनना पड़ रहा है. 29 मार्च, 3 अप्रैल, 7 अप्रैल और 14 अप्रैल को वह बेहोश हो गए थे. उन्होंने बताया कि 14 अप्रैल को राजाजीपुरम से एक मरीज को बलरामपुर अस्पताल ले गए, जहां अस्पताल के बाहर करीब पांच घंटे से ज्यादा इंतजार करना पड़ा.

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मरीज को भर्ती कराने में लग जाता है पूरा दिन
102 के एंबुलेंस कर्मचारी विपिन ने बताया कि, जब से कोरोना के केस बढ़े हैं तब से पूरा-पूरा दिन कोविड संक्रमित मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने में लग रहा है। अगर हम किसी मरीज को उसके घर से लेकर आते हैं तो बिना भर्ती कराएं नहीं छोड़ सकते। जिसके कारण हमें कई बार घंटों-घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। और इस दौरान पीपीई किट पहने हुए ही तीन बार बेहोश हो चुके हैं। अगर मरीज जल्दी भर्ती हो जाएं तो मरीज की थान भी बच जाएगी और हम भी बेहोश होने से बच सकेंगे।

जीवनदायिनी स्वास्थ्य विभाग 108 व 102 एंबुलेंस कर्मचारी संघ के जिला प्रभारी शादाब खान ने बताया कि यह गर्मी का समय है. ऐसे में एंबुलेंस कर्मचारी पीपीई किट पहने-पहने ही बेहोश हो जा रहे हैं. कर्मचारी सुबह पीपीई किट पहनते हैं और ड्यूटी पर लग जाते हैं. अस्पतालों में कोविड मरीजों को भर्ती नहीं करने के चक्कर में बेचारे एंबुलेंस कर्मचारी घंटों अस्पताल के बाहर मरीज के भर्ती होने का इंतजार करते हैं. ऐसे में इन दिनों कर्मचारी बेहोश हो जा रहे हैं. प्रशासन से मदद की गुहार लगाते हुए उन्होंने कहा कि हम बस इतना चाहते हैं कि मरीजों को जल्द से जल्द अस्पताल में भर्ती किया जाए ताकि एंबुलेंस चालक भी जल्दी फ्री हो सकें.

Last Updated : Apr 15, 2021, 9:16 PM IST
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