लखनऊः हिंदू से मुस्लिम बना महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय का एक अफसर धर्म परिवर्तन के लिए बच्चों का इस्लामिक दावा सेंटर को डाटा देता था. अब ATS ने अधिकारी को हिरासत में लेकर चौबीस घंटे से हाईसिक्योरिटी रूम में पूछताछ कर रही है. ATS की मानें तो महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय जिन असहाय बच्चों के संरक्षण की गारंटी देता है, विभाग का अधिकारी उन्हें धर्मांतरण के सिंडिकेट में फंसा रहा था. आयोग ने गुपचुप तरीके के प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इस क्षेत्र में काम कर रही सभी एनजीओ को हटा जाए. खुद विभाग बच्चों की निगरानी करेगा.
उमर गौतम डाटा के आधार पर बच्चों से करता था संपर्क
ATS के मुताबिक छानबीन में में केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय की भूमिका संदिग्ध पाई जा रही है. मंत्रालय में तैनात एक अधिकारी शारीरिक और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की लिस्ट इस्लामिक दावा सेंटर को भेजता था. डाटा के आधार पर इस्लामिक दावा सेंटर (IDC) का संचालक मौलाना उमर गौतम इन बच्चों के अभिभावकों से संपर्क करता था. उन्हें प्रलोभन देकर बच्चों को सेंटर लाकर उनका धर्म परिवर्तन करवाता था. जो परिवार बच्चों के धर्म परिवर्तन के लिए सीधे राजी नहीं होते थे उन्हें स्वाबलंबी बनाने का झांसा देकर नोएडा डेफ सोसायटी या उसके जैसी की संस्था में पहुंचा देते थे. यहां बच्चों का ब्रेनवास करके उन्हें धर्म बदलने के लिए तैयार किया जाता था.
उमर का करीबी है अफसर
ATS को IDC के धर्म परिवर्तन की सूची में कुछ ऐसे बच्चों के नाम मिले हैं, जिनकी मदद के लिए उनके अभिभावकों ने बाल कल्याण मंत्रालय में आवेदन दिए थे. छानबीन हुई तो पता चला कि इन बच्चों की जानकारी मंत्रालय में तैनात उस अफसर ने ही IDC को दिए थे, जिसके पास आवेदन पहुंचते हैं. ATS ने अधिकारी से पूछताछ की तो पता चला कि वह खुद मौलाना उमर गौतम की तरह ही हिंदू से मुस्लिम बना है. उसने बताया कि आवेदन पढ़कर समझ जाता था कि कौन बच्चा कितना जरूरतमंद है. उसी हिसाब से वह उनकी लिस्ट IDC को देता था. यह भी पता चला कि अधिकारी मौलाना उमर का बेहद करीबी है. दोनों कई साल से एक दूसरे से जुड़े थे.
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राज्य बाल आयोग ने NGO को हटाने के दिये निर्देश
केंद्रीय बाल मंत्रालय के अधिकारी की धर्म परिवर्तन के सिंडिकेट में संलिप्तता के बाद अब राज्य बाल आयोग सतर्क हो गया है. प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इस क्षेत्र में काम कर रही सभी एनजीओ को हटा जाए. खुद विभाग बच्चों की निगरानी करेगा. आयोग ने कुछ चुनिंदा और भरोसेमंद अफसरों को बच्चों की सूची तैयार करने और उनकी लगातार निगरानी के लिए लगाया है.