लखनऊ: उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण कराने वाले सरगना मोहम्मद उमर और सलाउद्दीन की जमानत याचिका एटीएस की विशेष न्यायालय ने गुरुवार को खारिज कर दी. एटीएस की तरफ से दोनों अभियुक्तों की जमानत याचिका पर तर्क पेश करते हुए कहा गया है कि इनके बाहर आने पर साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ हो सकता है. अभियुक्तों का जेल से बाहर आना अब तक की विवेचना और कार्रवाई को प्रभावित कर सकता है. यूपी एटीएस के मुताबिक धर्मांतरण मामले में दर्ज किए गए मुकदमे में जेल बंद 17 अभियुक्तों की जमानत याचिका खारिज की गई है.
एटीएस के अलावा मामले की जांच कर रही ईडी ने भी इनके फंडिंग के स्रोतों के बारे में पुख्ता जानकारी जुटाई है. विदेशों से आए यह रुपए कहां खर्च किए गए है, एजेंसियों ने इसकी जानकारी जुटा ली है. अब इसकी रिपोर्ट कोर्ट भेजने की तैयारी है. अफसरों का कहना है कि एटीएस अभी तक गिरफ्तार 17 में से 14 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर चुकी है. फंडिंग और उसके खर्च के साक्ष्य सभी आरोपियों को सजा दिलाने में मददगार साबित होंगे.
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बता दें कि यूपी एटीएस की टीम ने करीब एक साल पहले धर्मांतरण कराने वाले गिरोह का खुलासा किया था. दिल्ली के जामिया नगर से मुफ्ती काजी जहांगीर आलम (निवासी जोगाबाई, जामिया नगर, नयी दिल्ली) और मोहम्मद उमर गौतम (निवासी बाटला हाउस, जामिया नगर, नयी दिल्ली) को एटीएस ने गिरफ्तार किया था. इन पर मूक-बधिर छात्रों और निर्धन लोगों को धन, नौकरी व शादी का लालच देकर धर्मांतरण कराने का आरोप है. इस मामले में 20 जून 2021 को सलाहुद्दीन जैनुद्दीन शेख, 21 जून 2021 को मौलाना उमर गौतम और 21 सितंबर 2021 को मौलाना कलीम सिद्दीकी की गिरफ्तारी हुई थी.
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