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लखनऊ: अस्पताल में तैनात संविदा कर्मियों ने किया प्रदर्शन, सेवाएं खत्म किए जाने से हैं नाराज

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Published : Mar 22, 2019, 5:03 PM IST

राजधानी लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में संविदा कर्मियों ने सेवाएं खत्म किए जाने से नाराज होकर प्रदर्शन किया. कर्मचारियों का कहना है कि जब नौकरी छीननी थी, तो सरकार ने दी ही क्यों.

प्रदर्शन करते बलरामपुर अस्पताल में तैनात संविदाकर्मी.

लखनऊ: अस्‍पतालों में उत्तर प्रदेश हेल्थ सिस्टम स्ट्रेथिंग प्रोजेक्ट (UPHSSP) के तहत तैनात संविदा कर्मियों की सेवाएं 31 मार्च को समाप्त हो रही हैं. यही नहीं ई-हॉस्पि‍टल्‍स में भी इसके तहत तैनात कर्मचारियों की सेवाएं इनके साथ समाप्त होंगी. इसको लेकर संविदा कर्मियों में काफी रोष देखने को मिल रहा है.

दरअसल प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में अप्रैल से मरीजों को भारी दिक्‍कतों का सामना करना पड़ सकता है. इसकी झलक भी दिखनी शुरू हो चुकी है. प्रदेश के 51 अस्‍पतालों में संविदा पर कार्यरत हजारों कर्मचारियों की सेवाएं 31 मार्च को समाप्‍त हो रही हैं. इसमें लगभग हर वर्ग के कर्मचारी शामिल हैं. इन संविदा कर्मचारियों में ई-हॉस्पिटल वाले अस्पतालों में एक कंपनी विशेष द्वारा तैनात किए गए पर्चे बनाने वाले कर्मचारियों के साथ ही UPHSSP के तहत तैनात सभी वर्ग के कर्मचारी शामिल हैं.

जानकारी देते डीजी स्वास्थ्य.

राजधानी लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में सुबह पर्चे न बनने की वजह से ओपीडी दो घंटे देर से शुरू हुई. इससे पैथालॉजी में सैंपल कलेक्शन कार्य भी प्रभावित रहा. संविदा कर्मचारियों का कहना है कि जब नौकरी छीननी थी, तो नौकरी दी ही क्यों? बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. राजीव लोचन ने भी शासन से मांग की है कि कर्मचारियों की संविदा बढ़ाई जाए या अन्य कर्मचारी उपलब्ध कराए जाएं. मामले पर उत्तर प्रदेश सरकार में चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन से बातचीत करने की कोशिश की गई तो उन्होंने सवालों का जवाब देना उचित नहीं समझा.

लखनऊ: अस्‍पतालों में उत्तर प्रदेश हेल्थ सिस्टम स्ट्रेथिंग प्रोजेक्ट (UPHSSP) के तहत तैनात संविदा कर्मियों की सेवाएं 31 मार्च को समाप्त हो रही हैं. यही नहीं ई-हॉस्पि‍टल्‍स में भी इसके तहत तैनात कर्मचारियों की सेवाएं इनके साथ समाप्त होंगी. इसको लेकर संविदा कर्मियों में काफी रोष देखने को मिल रहा है.

दरअसल प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में अप्रैल से मरीजों को भारी दिक्‍कतों का सामना करना पड़ सकता है. इसकी झलक भी दिखनी शुरू हो चुकी है. प्रदेश के 51 अस्‍पतालों में संविदा पर कार्यरत हजारों कर्मचारियों की सेवाएं 31 मार्च को समाप्‍त हो रही हैं. इसमें लगभग हर वर्ग के कर्मचारी शामिल हैं. इन संविदा कर्मचारियों में ई-हॉस्पिटल वाले अस्पतालों में एक कंपनी विशेष द्वारा तैनात किए गए पर्चे बनाने वाले कर्मचारियों के साथ ही UPHSSP के तहत तैनात सभी वर्ग के कर्मचारी शामिल हैं.

जानकारी देते डीजी स्वास्थ्य.

राजधानी लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में सुबह पर्चे न बनने की वजह से ओपीडी दो घंटे देर से शुरू हुई. इससे पैथालॉजी में सैंपल कलेक्शन कार्य भी प्रभावित रहा. संविदा कर्मचारियों का कहना है कि जब नौकरी छीननी थी, तो नौकरी दी ही क्यों? बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. राजीव लोचन ने भी शासन से मांग की है कि कर्मचारियों की संविदा बढ़ाई जाए या अन्य कर्मचारी उपलब्ध कराए जाएं. मामले पर उत्तर प्रदेश सरकार में चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन से बातचीत करने की कोशिश की गई तो उन्होंने सवालों का जवाब देना उचित नहीं समझा.

नोट- मोबाइल ना होने की वजह से खबर मेल पर भेजी जा रही है।

यूपीएचएसपी व ई होस्पिटल 31 मार्च को खत्म! शासन ने आश्वासन दिया तो मंत्री ने बात तक नहीं किया


एंकर-51 अस्‍पतालों में यूपीएचएसएसपी के तहत तैनात संविदा कर्मियों की सेवायें समाप्‍त हो रहीं और ई हॉस्पि‍टल्‍स में भी एक कम्‍पनी के तैनात कर्मचारियों की सेवायें भी होंगी समाप्‍त। जिसके फल स्वरुप आज कर्मचारियों में काफी रोष देखने को मिला।

वी.ओ-उत्‍तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में अप्रैल माह से मरीजों को भारी दिक्‍कत होने की संभावना है, इसकी झलक दिखनी शुरू हो चुकी है, इसका कारण है प्रदेश के 51 अस्‍पतालों में संविदा 6पर कार्यरत हजारों कर्मचारियों की सेवायें 31 मार्च को समाप्‍त हो रही हैं, इन कर्मचारियों में लगभग हर वर्ग के कर्मचारी शामिल हैं। इन संविदा कर्मचारियों में ई हॉस्पिटल वाले अस्पतालों में एक कम्‍पनी विशेष द्वारा तैनात किये गये परचे बनाने वाले कर्मचारियों के साथ ही यूपीएचएसएसपी के तहत तैनात सभी वर्ग के कर्मचारी शामिल हैं।

वाक थ्रू- कर्मचारियों के साथ

वी.ओ-गौर करने वाली है कि सुबह पर्चे न बनने की वजह से ओपीडी दो घंटे देर से शुरू हुई और पैथालॉजी में सैंपल कलेक्शन कार्य भी प्रभावित रहा। संविदा कर्मचारियों का कहना था कि नौकरी छीननी थी तो नौकरी दी ही क्यों? वहीं बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ.राजीव लोचन ने भी शासन से मांग की है कि इनकी संविदा बढ़ाई जाये या अन्य कर्मचारी उपलब्ध कराये जायें। लेकिन शासन प्रशासन पर इस पूरी मांगों का कोई फर्क नहीं पड़ता। दरअसल इन पूरी मांगों पर जब हमने लॉलीपॉप थमा दिया है।

बाइट-डॉ पदमाकर सिंह, डी जी स्वास्थ्य, उत्तर प्रदेश

वी.ओ- साहब तो लॉलीपॉप थमा कर इस पूरे मामले से अपनी आंख चुरा कर निकल तो गए लेकिन उसके बाद हमने प्रयास किया इस पूरे मामले पर उत्तर प्रदेश सरकार में चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन से बातचीत करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने तो हमारे सवाल का जवाब देना उचित नहीं समझा इससे मालूम चलता है कि सरकार की नियत में खोट है।

बाइट- आशुतोष टंडन, मंत्री,चिकित्सा शिक्षा, उत्तर प्रदेश सरकार

वी.ओ- सरकार का प्रशासन किस रवैया से साफ है कि यदि अप्रैल में आपको स्वास्थ्य विभाग स्वास्थ्य सेवाओं में अगर कुछ भी समस्याएं दिखती हैं। अस्पतालों में यदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है। तो उसका सीधा और साफ मतलब है कि सरकार और प्रशासन आपके मुद्दों से पूरी तरह भटकी हुई है।

पीटीसी एन्ड।

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