लखनऊ: प्रदेश में पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का निर्माण कार्य तेजी से जारी था. लेकिन कोरोना की त्रासदी को देखते हुए सरकार को देशव्यापी लॉकडाउन करना पड़ा है. जिसके कारण अब प्रदेश के सभी विकास निर्माण कार्य बंद हो गए. जिसका असर अब दिहाड़ी मजदूरों पर देखने को मिल रहा है.
उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम के प्रदेश में 668 कार्य चल रहे हैं. लखनऊ अंचल एक में 98, लखनऊ अंचल दो में 62, कंसल्टेंसी अंचल में 24, अयोध्या अंचल में 112, वाराणसी अंचल में 44, इटावा अंचल में 67, बरेली अंचल में 75, देहरादून अंचल में 56 कार्यों समेत अन्य महत्वपूर्ण कार्य शामिल हैं.
यह सभी श्रमिक पश्चिम बंगाल के हैं. उन्होंने बताया सबसे बड़ी समस्या उनके सामने खाने की आ रही है. श्रमिकों को निर्माण एजेंसी द्वारा भुगतान किये जाने के सवाल पर श्रमिक भरत मंडल ने कहा कि उन्हें निर्माण एजेंसी की तरफ से कोई आश्वासन नहीं दिया गया है.
वहीं ठेकेदार निखिल विश्वास ने बताया कि वह अपने श्रमिकों को खाना खिला रहे हैं. उनका पैसा भी खत्म हो गया है. अब वह चाह रहे हैं कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोई सहायता राशि प्रदान करें. जिससे वह अपने श्रमिकों को भोजन उपलब्ध करा सकें. साथ ही उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के लिए निर्धारित प्रोटोकॉल का भी पालन कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश सेतु निगम और सरकार की तरफ से कोई भी आश्वासन अभी तक नहीं मिला है.
लॉकडाउन के दौरान काम बंद होने की वजह से समस्याओं से जूझ रहे श्रमिकों के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक-एक हजार रुपये प्रतिमाह देने की घोषणा की है. उत्तर प्रदेश में करीब 20 लाख पंजीकृत निर्माण कार्य में लगे श्रमिक हैं.
उनमें से करीब 11 लाख मजदूरों को अब तक सरकार से पैसे दिये जा चुके हैं. श्रमिकों के लिए नि:शुल्क राशन की सुविधा भी सरकार उपलब्ध करा रही है. इन सब के बावजूद अभी बड़ी संख्या में मजदूर ऐसे हैं जो ऐसी तमाम समस्याओं से जूझ रहे हैं.
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