लखनऊ : उत्तर प्रदेश में आगामी कुछ महीनों में होने वाले निकाय चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी ने भी तैयारी शुरू कर दी है. पार्टी निकाय चुनाव में अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिए हर सीट पर प्रत्याशी उतारने की तैयारी कर रही है. इसके लिए पार्टी ने बीते साल अक्टूबर-नवंबर महीने में निकाय चुनाव के लिए जो आवेदन उम्मीदवारों के मंगाए थे उनकी समीक्षा करना शुरू कर दी है. प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी ने सभी प्रांतीय अध्यक्षों को अपने-अपने जिलों में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के आवेदनों को कमेटी बनाकर समीक्षा करने के लिए कहा है. इसके अलावा चुनाव से पहले अगर कोई उम्मीदवार अपनी दावेदारी पेश करना चाहता है तो उसे पार्टी कार्यालय में आवेदन उपलब्ध कराने को भी कहा है.
प्रदेश में निकाय चुनाव साल 2022 मई प्रस्तावित थे, पर ओबीसी सीटों पर गलत आरक्षण लगने के कारण चुनाव लटक गया था. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था, बाद में प्रदेश सरकार ने कमेटी बनाकर ओबीसी आरक्षण को नए सिरे से लागू करने की प्रक्रिया शुरू की. सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिलने के बाद अब सरकार ने नए सिरे से ओबीसी आरक्षण की अनंतिम सूची जारी कर दी है. अब इसके बाद से सभी पार्टियों ने निकाय चुनाव की तैयारियां अपने स्तर से शुरू कर दी है. इसी कड़ी में कांग्रेस ने भी 4 महीने पहले नगर निकाय के चुनाव के लिए जो आवेदन मांगे थे उनकी समीक्षा की प्रक्रिया शुरू कर दी है. बात करें तो अवध प्रांत में प्रांतीय अध्यक्ष व पूर्व मंत्री नकुल दुबे निकाय चुनाव को लेकर लखनऊ और रायबरेली जिलों की जिला कमेटी की बैठक कर चुके हैं और वह इन जिलों में चुनाव की तैयारियों के लिए जो भी आवेदन फॉर्म आए हैं उनकी समीक्षा भी करा रहे हैं. इसी तरह बाकी प्रांतीय अध्यक्ष अजय राय, वीरेंद्र चौधरी, अनिल यादव, योगेश दीक्षित व नसीमुद्दीन सिद्दीकी को अपने-अपने जिलों में निकाय चुनाव की तैयारियों की समीक्षा करने के लिए कहा गया है. इन सभी प्रांत अध्यक्षों को अपने जिलों के पदाधिकारियों के साथ बैठकर आए आवेदनों को आरक्षण के अनुसार शॉर्टलिस्ट करने को कहा गया है. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में से पार्टी के पास मौजूदा समय में 16 जिलों में जिला अध्यक्ष तक नहीं है. वहां पर पार्टी पुराने लोगों के सहारे काम कर रही है.
कांग्रेस प्रवक्ता अंशु दीक्षित ने बताया कि 'निकाय चुनाव को लेकर पार्टी ने बीते साल अक्टूबर-नवंबर में आवेदन लिए थे. उस दौरान करीब 14000 से अधिक आवेदन चुनाव के लिए प्राप्त हुए थे, जिसमें से केवल 6000 आवेदन नगर पालिका अध्यक्ष, नगर पंचायत अध्यक्ष व मेयर पद के चुनाव के लिए प्राप्त हुए थे. इसके अलावा पार्षद पद के लिए आवेदनों की संख्या की लिस्ट काफी बड़ी है. उन्होंने बताया कि पार्टी जारी आरक्षण सूची के अनुसार, उनका आकलन कर उम्मीदवारी तय करेगी. पार्टी आरक्षण सूची के अनुसार देखेगी कि जिस सीट पर उम्मीदवार लड़ना चाह रहा है, वहां पर लड़ने योग्य है या नहीं, या उसके स्थान पर किसी दूसरे को टिकट दिया जा सकता है. पार्टी स्तर पर जारी आरक्षण सूची के आधार पर आवेदनों की शॉर्टलिस्टिंग की प्रक्रिया सभी प्रांतीय अध्यक्षों के लेवल पर शुरू कर दी गई है. इसके अलावा पार्टी भारत जोड़ो यात्रा और अदाणी मुद्दे को घर-घर तक ले जाएगी. कांग्रेस प्रवक्ता अंशु दीक्षित ने बताया कि निकाय चुनाव में कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा में उठाए गए सभी मुद्दों को यूपी के घर घर तक ले जाएगी. साथ ही राहुल गांधी के द्वारा अदाणी मुद्दे को लेकर संसद ने जो सवाल पूछे गए थे. उसको भी लोगों के बीच में ले जाएगी. उनका कहना है कि बीते कुछ समय में भारत जोड़ो यात्रा के बाद से कांग्रेस ने जिन लोगों के बीच में उनके मुद्दे उठाने का काम किया है. इससे पार्टी को इन चुनाव में प्रदर्शन की उम्मीद है.'
कांग्रेस के कुछ नेताओं का कहना है कि 'पार्टी नगर निकाय चुनाव में वह पूरी ताकत के साथ उतरने की तैयारी कर रही है, पर अंदरूनी तैयारियां जो दिख रही हैं वह नाकाफी लग रही है. पार्टी से जुड़े नेताओं ने बताया कि पिछली बार जब निकाय चुनाव हुए थे, तब प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर की अध्यक्षता में एक कमेटी बनी थी. जिसमें दो और अन्य लोग शामिल थे. इनकी जिम्मेदारी थी कि नगर निगम क्षेत्र में जिला अध्यक्षों के निगरानी में कमेटी बनाएं. इसी तरह जिला पंचायत और नगर पंचायत के लिए भी अलग से कमेटियां बनाकर आए आवेदनों की समीक्षा कर उनमें से तीन नाम प्रदेश कार्यालय को भेजे थे. चुनाव कौन लड़ेगा, जिसका फाइनल नाम प्रदेश लेवल पर तय किया गया था. इस बार इस तरह की कोई तैयारी नहीं दिख रही है. हालांकि पार्टी का कहना है कि चुनाव को लेकर सभी प्रांतीय अध्यक्ष, युवा जिला अध्यक्ष अपने लेवल पर तैयारी कर रहे हैं.'
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