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कांग्रेस ने जस्टिस मित्तल पर साधा निशाना, कहा- जब जान बचेगी तब होगा विवाह का पंजीकरण

विवाह पंजीकरण को अनिवार्य किए जाने की मांग को लेकर जस्टिस मित्तल द्वारा सीएम योगी को लिखे गए पत्र का यूपी कांग्रेस ने विरोध किया है. कांग्रेस प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने कहा कि इस समय कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है. ऐसे में जब जान बचेगी तभी तो विवाह और पंजीकरण होगा. उन्होंने उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग के चेयरमैन जस्टिस मित्तल से इस पत्र को लेकर माफी मांगने की बात भी कही.

कांग्रेस प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने जस्टिस मित्तल पर साधा निशाना.
कांग्रेस प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने जस्टिस मित्तल पर साधा निशाना.
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Published : Apr 29, 2021, 7:46 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग के चेयरमैन जस्टिस मित्तल ने सीएम योगी को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश में विवाह या निकाह का पंजीकरण अनिवार्य करने की मांग की है. जिसके बाद अब सरकार अन्य प्रदेशों की तरह उत्तर प्रदेश में भी विवाह पंजीकरण अनिवार्य करने का कानून बना सकती है. सरकार अगर इसे कानून का रूप देती है तो यह सभी धर्मों पर लागू होगा. विधि आयोग के चेयरमैन जस्टिस मित्तल के इस पत्र पर कांग्रेस पार्टी ने एतराज जताया है.

कांग्रेस प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने जस्टिस मित्तल पर साधा निशाना.
'जब जीवन रहेगा तभी तो होगी शादी और पंजीकरण'प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने कहा कि इस समय कोरोना महामारी चल रही है. पूरा प्रदेश संकट में है. हमारे प्रदेश के हजारों लोग रोज कोरोनावायरस के संक्रमण से काल के गाल में समा जा रहे हैं. उस समय जस्टिस मित्तल जैसे लोग बिल्कुल ही संवेदनहीन बयान दे रहे हैं कि शादियों के पंजीकरण को लेकर कानून बनाया जाए. उन्होंने कहा, अरे मित्तल साहब यह समझ में आ गया है कि जैसा उत्तर प्रदेश का पनौती मुख्यमंत्री है उसी तरह के ही लोग विभागों में बैठे हुए हैं. सच्चाई यह है कि इस समय कोरोनावायरस से जब जीवन रहेगा तभी तो शादी और पंजीकरण होगा. सबसे पहले जीवन बचा लिया जाए मित्तल साहब. शादी का पंजीकरण बाद में हो जाएगा. जरा सी भी नैतिकता हो तो अपने इस पत्र पर माफी मांगिए और अपने शब्दों को वापस लीजिए.

इसे भी पढ़ें-UP में अब शुक्रवार रात से मंगलवार सुबह तक रहेगा लॉकडाउन


जस्टिस मित्तल ने इसलिए की है कानून की मांग
बता दें जस्टिस मित्तल ने विवाह पंजीकरण कानून बनाने के लिए इसलिए भी मांग की है क्योंकि इससे महिलाओं का सशक्तिकरण होगा. उनके स्वाभिमान की रक्षा होगी. उनमें आत्मसम्मान बढ़ेगा और सुरक्षा की भावना पैदा होगी. उन्होंने सरकार को अवगत कराया कि प्रदेश में ऐसे अनेक मामले सामने आ रहे हैं जहां दांपत्य संबंधी विवाद होने पर पुरुष वर्ग महिला को अपनी पत्नी मानने से ही इंकार कर देता है. इससे वह भरण पोषण और संपत्ति के हिस्से से वंचित हो जाती है. विवाह पंजीकरण कानून बनने से इस तरह की समस्याओं का समाधान होगा.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग के चेयरमैन जस्टिस मित्तल ने सीएम योगी को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश में विवाह या निकाह का पंजीकरण अनिवार्य करने की मांग की है. जिसके बाद अब सरकार अन्य प्रदेशों की तरह उत्तर प्रदेश में भी विवाह पंजीकरण अनिवार्य करने का कानून बना सकती है. सरकार अगर इसे कानून का रूप देती है तो यह सभी धर्मों पर लागू होगा. विधि आयोग के चेयरमैन जस्टिस मित्तल के इस पत्र पर कांग्रेस पार्टी ने एतराज जताया है.

कांग्रेस प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने जस्टिस मित्तल पर साधा निशाना.
'जब जीवन रहेगा तभी तो होगी शादी और पंजीकरण'प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने कहा कि इस समय कोरोना महामारी चल रही है. पूरा प्रदेश संकट में है. हमारे प्रदेश के हजारों लोग रोज कोरोनावायरस के संक्रमण से काल के गाल में समा जा रहे हैं. उस समय जस्टिस मित्तल जैसे लोग बिल्कुल ही संवेदनहीन बयान दे रहे हैं कि शादियों के पंजीकरण को लेकर कानून बनाया जाए. उन्होंने कहा, अरे मित्तल साहब यह समझ में आ गया है कि जैसा उत्तर प्रदेश का पनौती मुख्यमंत्री है उसी तरह के ही लोग विभागों में बैठे हुए हैं. सच्चाई यह है कि इस समय कोरोनावायरस से जब जीवन रहेगा तभी तो शादी और पंजीकरण होगा. सबसे पहले जीवन बचा लिया जाए मित्तल साहब. शादी का पंजीकरण बाद में हो जाएगा. जरा सी भी नैतिकता हो तो अपने इस पत्र पर माफी मांगिए और अपने शब्दों को वापस लीजिए.

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जस्टिस मित्तल ने इसलिए की है कानून की मांग
बता दें जस्टिस मित्तल ने विवाह पंजीकरण कानून बनाने के लिए इसलिए भी मांग की है क्योंकि इससे महिलाओं का सशक्तिकरण होगा. उनके स्वाभिमान की रक्षा होगी. उनमें आत्मसम्मान बढ़ेगा और सुरक्षा की भावना पैदा होगी. उन्होंने सरकार को अवगत कराया कि प्रदेश में ऐसे अनेक मामले सामने आ रहे हैं जहां दांपत्य संबंधी विवाद होने पर पुरुष वर्ग महिला को अपनी पत्नी मानने से ही इंकार कर देता है. इससे वह भरण पोषण और संपत्ति के हिस्से से वंचित हो जाती है. विवाह पंजीकरण कानून बनने से इस तरह की समस्याओं का समाधान होगा.

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