लखनऊ: कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा रविवार को वाराणसी में संत रविदास मंदिर पहुंचीं. इस पर बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने उन पर स्वार्थ में आकर दलितों के मंदिर और स्थानों पर जाकर नाटक बाजी करने का आरोप लगाया. मायावती के बयान पर पलटवार करते हुए कांग्रेस ने भी उन्हें दौलत की बेटी करार दिया और कहा कि वह दलितों की हितैषी कभी नहीं रही हैं. उन्होंने दलितों को वोट बैंक मानकर केवल इस्तेमाल किया है.
बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने रविवार को लगातार दो ट्वीट कर प्रियंका गांधी के वाराणसी दौरे पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि "कांग्रेस, भाजपा और अन्य पार्टियां उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार के चलते संत गुरु रविदास को कभी मान-सम्मान नहीं देती हैं, लेकिन सत्ता से बाहर होने पर अपने स्वार्थ में इनके मंदिरों- स्थलों आदि में जाकर तरह-तरह की नाटक बाजी जरूर करती हैं, इनसे सतर्क रहें. जबकि यहां बीएसपी ही एकमात्र ऐसी पार्टी है, जिसने अपनी सरकार के समय में इनको विभिन्न स्तर पर पूरा पूरा मान-सम्मान दिया, जिसे भी अब विरोधी पार्टियां एक-एक कर खत्म करने में लगी हैं, जो अति निंदनीय है'.
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मायावती के इस बयान पर कांग्रेस पलटवार करते हुए उन्हें दौलत की बेटी करार दिया है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. उमा शंकर पांडेय ने कहा कि मायावती ने हमेशा दौलत के लिए काम किया है. उन्हें दलितों से ज्यादा दौलत प्यारी रही है. सत्ता भी उन्होंने दौलत के लिए हासिल की. उनके सत्ता में रहने का कोई फायदा दलितों को नहीं मिला, न उन्हें दलितों से कोई प्रेम है. उन्होंने दलितों को वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया और अपनी और अपने परिवार की दौलत बढ़ाने में जुटी रहीं.
डॉक्टर उमा शंकर पांडेय ने मायावती को चुनौती देते हुए कहा कि वह बताएं कि सत्ता में रहते हुए वह कब दलितों के घर गईं या दलितों के सुख-दुख में शामिल हुईं. उन्हें जब भी सत्ता मिली तो दलितों को अपने से दूर कर दिया और दूसरे वर्ग के लोगों को, जो उनको दौलत मुहैया करा सकते थे अपना सगा बना लिया था. कांग्रेस पार्टी ने दलितों के उत्थान के लिए हमेशा कार्यक्रम किए. आरक्षण से लेकर अनेक सुविधाएं दिलाईं. कांग्रेस हमेशा सभी वर्ग और समाज के विकास की पक्षधर रही है. यही वजह है कि प्रियंका गांधी वाड्रा ऐसे सभी लोगों के बीच पहुंचती रही हैं. उन्होंने कहा कि मायावती को ऐसे ऊंचे बयान देने के बजाय दलितों के हित के लिए काम करना चाहिए. अगर वह दलित हितैषी हैं, तो प्रियंका गांधी की तरह दलितों के सुख-दुख में शामिल होने के लिए कल से ही उनके घरों में जाना शुरू करें.