लखनऊ: सपा नेता आजम खान के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खान के बयान अखिलेश यादव को मुसलमानों के कपड़े से बू आती है, को अल्पसंख्यक कांग्रेस अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने सही बताया है. उन्होंने कहा है कि संभल से सपा सांसद शफीक़ुर्र रहमान बर्क का यह कहना भी पूरी तरह सही है कि सपा मुसलमानों के सवाल नहीं उठाती लेकिन अफसोस की बात है कि सपा के मुस्लिम नेताओं को यह बात बहुत देर से समझ में आई.
शाहनवाज आलम ने दावा किया कि 1989 में तत्कालीन प्रधानमन्त्री विश्वनाथ प्रताप सिंह चाहते थे कि आजम खान जनता दल से प्रदेश के मुख्यमन्त्री बनें लेकिन आजम खान ने बड़प्पन दिखाने के चक्कर में पांच प्रतिशत आबादी वाली जाति के नेता मुलायम सिंह यादव को मुख्यमन्त्री बनवा दिया. आज खुद आजम खान और पूरी कौम उसी गलती का खामियाज़ा भुगत रही है.
शाहनवाज ने कहा कि चुनाव से पहले अखिलेश यादव ने अपने खास समर्थकों से आजम खान की फोटो होर्डिंगों से हटाने के निर्देश दिए थे ताकि धीरे-धीरे वह लोगों की स्मृतियों से गायब हो जाएं. इसी वजह से जो पत्रकार उनसे आजम खान पर सवाल पूछ लेता था अखिलेश भड़क जाते थे. उनके सामने ही पत्रकारों को सपाई गुंडे पीट देते थे.
आलम ने कहा कि सपा शुरू से ही मुस्लिम नेतृत्व को खत्म करने की रणनीति पर काम करती रही है इसीलिए ऐसे लोगों को विधायक बनाना पसंद करती है जो किसी भी मुस्लिम मुद्दे पर न बोलें. पिछले सदन में सपा के 47 में से 17 मुस्लिम विधायक थे लेकिन वे अखिलेश से आज़मगढ़ में सीएए-एनआरसी विरोधी आंदोलन में पुलिस दमन की शिकार हुई महिलाओं से मिलने नहीं जाने का सवाल नहीं पूछ पाए.
वो यह भी नहीं पूछ पाए कि उनके पिता मुलायम सिंह यादव मोदी के दोबारा प्रधानमन्त्री बनने की कामना क्यों कर रहे हैं? आज 34 मुस्लिम विधायक होने के बावजूद वे अखिलेश यादव से यह पूछ पाने की हिम्मत दिखा पा रहे हैं कि अपर्णा यादव क्यों भाजपा में चली गईं या शिवपाल यादव क्यों भाजपा से नजदीकी बढ़ा रहे हैं या यादव बहुल सीटों पर सपा क्यों हार रही है?
उन्होंने कहा कि आज़म खान इसीलिए सैफई परिवार को खटकते थे कि वे आंख में आंख डालकर मुसलमानों के सवाल पर मुलायम सिंह और अखिलेश से सवाल पूछ सकते थे. आगरा के सम्मेलन में आज़म खान के भाषण से सैफई गिरोह इतना नाराज़ हुआ कि भाजपा से डील करके आज़म खान को जेल भिजवा दिया.
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