लखनऊः उत्तर प्रदेश की राजनीति में मंगलवार का दिन गहमागहमी वाला रहा. भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया. इनमें सबसे बड़ा नाम योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्या का है. बसपा में मौर्या के साथी रहे और कांग्रेस मीडिया एवं कम्यूनिकेशन विभाग के चेयरमैन नसीमुद्दीन सिद्दीकी के सपा में जाने को लेकर चर्चाएं भी तेज हो गईं थीं. लेकिन नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने प्रेस कांफ्रेंस में साफ कर दिया है कि वह किसी भी कीमत पर कांग्रेस पार्टी नहीं छोड़ेंगे. उन्होंने कहा कि वह उत्तर प्रदेश और देश में कांग्रेस की सरकार बनते हुए देखना चाहते हैं.
नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य से उनके पारिवारिक संबंध हैं. 'मैंने स्वामी प्रसाद मौर्य से पहले बहुजन समाज पार्टी ज्वाइन किया था और वामसेफ में काम कर रहा था. इसके बाद मौर्य बसपा में आए तो हमने साथ-साथ काम किया. हमारा छोटे भाई और बड़े भाई का रिश्ता है, पारिवारिक संबंध हैं.' नसीमुद्दीन ने कहा कि पिछले 'छह महीने से कई पार्टियों के नेताओं के मेरे पास फोन आए. कई से मुलाकातें भी हुईं. एक दिन पहले ही स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ हम थे. मेरे पास अभी भी फोन आ रहे हैं लेकिन मैं कहीं भी नहीं जा रहा हूं.' सिद्दीकी ने कहा कि कोई नेता किसी भी पार्टी में जाए लेकिन संबंध तो हमेशा ही रहते हैं.
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कांग्रेस नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि मेरी जिंदगी में बस इतनी सी ख्वाहिश है कि उत्तर प्रदेश और देश में कांग्रेस पार्टी की सरकार बन जाए, इसलिए उनका किसी भी पार्टी में जाने का कोई सवाल ही नहीं उठता.