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कांग्रेस ने लगाया आरोप: यूपी कोविड केयर फंड की हो रही बंदरबांट

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Published : May 2, 2021, 3:24 PM IST

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने यूपी कोविड केयर फंड पर योगी सरकार से श्वेत पत्र लाने की मांग की है.

लखनऊः
लखनऊः

लखनऊः कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश के कोविड केयर फंड में जमा धन की आपसी बंदरबांट हो रही है. कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने मांग की है कि कोरोना महामारी के लिए बनाए गए कोविड फंड पर सरकार श्वेतपत्र जारी करे. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कोरोना महामारी के समय प्रदेश की योगी सरकार लापरवाह और संवेदनहीन रवैया अपनाए हुए है. ऐसे में प्रदेश का प्रत्येक व्यक्ति कोरोना महामारी से सिर्फ अपनी निजी क्षमता से लड़ रहा है. जिस समय आदित्यनाथ सरकार द्वारा प्रदेश की जनता को सबसे ज्यादा सहयोग करने की जरूरत थी, उस समय आदित्यनाथ सरकार ने अपना भ्रष्टाचार का चेहरा दिखा दिया.

कहां गई फंड में जमा रकम!
अजय कुमार लल्लू ने कहा कि अप्रैल-2020 में सरकार ने कोविड केयर फंड बनाया था. प्रदेश के आम आदमी का पैसा, विधायकों की विधायक निधि, सरकारी कर्मचारियों/अधिकारियों और प्रदेश के व्यापारी वर्ग से मोटी रकम, इस फंड में जबरदस्ती जमा कराई गई. विधायक निधि को एक साल के लिए सस्पेंड कर 2020-21 की विधायक निधि का पैसा, मंत्रियों और विधायकों के वेतन में से 30 प्रतिशत वेतन की कटौती का पैसा आदि कोविड केयर फंड में जमा कराया गया. बताया गया कि इसका उपयोग महामारी से लड़ने में किया जाएगा. महामारी से लड़ने के लिए बनाए गए इस फंड का कोरोना की दूसरी वेव के समय में कुछ पता नहीं है. इस फंड का पैसा इस मुश्किल समय में कहां खर्च किया जा रहा है?

बुनियादी सुविधाओं का अभाव
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने कहा कि प्रदेश में लोग ऑक्सीजन, दवाई और स्वास्थ्य की बुनियादी सुविधाओं के अभाव में दम में तोड़ रहे हैं. ऐसे में यूपी कोविड केयर फंड का पता नहीं है. सरकार ने अब तक इस फंड में कितने पैसे जमा हुए? कितना पैसा किस मद में, किस माध्यम से खर्च हो रहा है ? सरकार नहीं बता रही है.

यूपी कोविड केयर फंड के आंकड़े
- जुलाई-2020 तक यूपी कोविड केयर फंड में विभिन्न स्रोतों से 412 करोड़ रुपये जमा हुए. इसकी जानकारी स्वयं मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने एक प्रश्न के जवाब में लिखित उत्तर में दी.
- 412 करोड़ में 252 करोड़ विभिन्न कार्यों पर खर्च किए गए. इनमें 169.75 दवाएं लेने व चिकित्सा उपकरण और ढांचागत सुविधाएं खरीदने में और प्रवासी श्रमिकों को एक-एक हजार रुपए दिए जाने में 83.07 करोड़ रुपये खर्च किए गए.
- बाकी शेष 160 करोड़ रुपये कहां गए, उसका आज तक पता नहीं. न ही इसका जवाब सरकार ने आज तक दिया.
- जुलाई-2020 के बाद भी जो धनराशि यूपी कोविड केयर फंड में जमा हुई, उसका भी कोई हिसाब-किताब आदित्यनाथ सरकार की तरफ से सार्वजनिक नहीं किया गया.
- कांग्रेस ने सवाल किया कि मुख्यमंत्री बताएं कि कोविड-19 फंड में जमा हुए पैसे में जुलाई 2020 तक बचे 160 करोड़ रुपये और जुलाई-2020 से अब तक जमा रुपये कहां गए?
- जुलाई-2020 के बाद से अब तक जो पैसे जमा हुए, उसको सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया ?

इसे भी पढ़ेंःमां को नहीं मिली ऑक्सीजन तो बेटियों ने मुंह से दी सांसें

तानाशाही रवैया छोड़ें मुख्यमंत्री
कांग्रेस ने कहा कि जिस पैसे का उपयोग लोगों की चिकित्सा में किया जाना था उस पैसे का बंदरबांट हुआ. आज उसका नतीजा यह है कि जब कोरोना की दूसरी लहर आई, तब सरकार ने प्रदेश के लोगों को उनके हाल पर मरने को छोड़ दिया है. लोग सड़कों पर मर रहे हैं. प्रदेश के लोगों को ऑक्सीजन नहीं मिल रही. रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए लोग दर-दर ठोकरें खा रहे हैं और कालाबाजारी से दवाई खरीदने को मजबूर हैं. कांग्रेस ने कहा कि मुख्यमंत्री जी अपना तानाशाही स्वभाव छोड़िए. सच को स्वीकार कीजिए.

लखनऊः कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश के कोविड केयर फंड में जमा धन की आपसी बंदरबांट हो रही है. कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने मांग की है कि कोरोना महामारी के लिए बनाए गए कोविड फंड पर सरकार श्वेतपत्र जारी करे. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कोरोना महामारी के समय प्रदेश की योगी सरकार लापरवाह और संवेदनहीन रवैया अपनाए हुए है. ऐसे में प्रदेश का प्रत्येक व्यक्ति कोरोना महामारी से सिर्फ अपनी निजी क्षमता से लड़ रहा है. जिस समय आदित्यनाथ सरकार द्वारा प्रदेश की जनता को सबसे ज्यादा सहयोग करने की जरूरत थी, उस समय आदित्यनाथ सरकार ने अपना भ्रष्टाचार का चेहरा दिखा दिया.

कहां गई फंड में जमा रकम!
अजय कुमार लल्लू ने कहा कि अप्रैल-2020 में सरकार ने कोविड केयर फंड बनाया था. प्रदेश के आम आदमी का पैसा, विधायकों की विधायक निधि, सरकारी कर्मचारियों/अधिकारियों और प्रदेश के व्यापारी वर्ग से मोटी रकम, इस फंड में जबरदस्ती जमा कराई गई. विधायक निधि को एक साल के लिए सस्पेंड कर 2020-21 की विधायक निधि का पैसा, मंत्रियों और विधायकों के वेतन में से 30 प्रतिशत वेतन की कटौती का पैसा आदि कोविड केयर फंड में जमा कराया गया. बताया गया कि इसका उपयोग महामारी से लड़ने में किया जाएगा. महामारी से लड़ने के लिए बनाए गए इस फंड का कोरोना की दूसरी वेव के समय में कुछ पता नहीं है. इस फंड का पैसा इस मुश्किल समय में कहां खर्च किया जा रहा है?

बुनियादी सुविधाओं का अभाव
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने कहा कि प्रदेश में लोग ऑक्सीजन, दवाई और स्वास्थ्य की बुनियादी सुविधाओं के अभाव में दम में तोड़ रहे हैं. ऐसे में यूपी कोविड केयर फंड का पता नहीं है. सरकार ने अब तक इस फंड में कितने पैसे जमा हुए? कितना पैसा किस मद में, किस माध्यम से खर्च हो रहा है ? सरकार नहीं बता रही है.

यूपी कोविड केयर फंड के आंकड़े
- जुलाई-2020 तक यूपी कोविड केयर फंड में विभिन्न स्रोतों से 412 करोड़ रुपये जमा हुए. इसकी जानकारी स्वयं मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने एक प्रश्न के जवाब में लिखित उत्तर में दी.
- 412 करोड़ में 252 करोड़ विभिन्न कार्यों पर खर्च किए गए. इनमें 169.75 दवाएं लेने व चिकित्सा उपकरण और ढांचागत सुविधाएं खरीदने में और प्रवासी श्रमिकों को एक-एक हजार रुपए दिए जाने में 83.07 करोड़ रुपये खर्च किए गए.
- बाकी शेष 160 करोड़ रुपये कहां गए, उसका आज तक पता नहीं. न ही इसका जवाब सरकार ने आज तक दिया.
- जुलाई-2020 के बाद भी जो धनराशि यूपी कोविड केयर फंड में जमा हुई, उसका भी कोई हिसाब-किताब आदित्यनाथ सरकार की तरफ से सार्वजनिक नहीं किया गया.
- कांग्रेस ने सवाल किया कि मुख्यमंत्री बताएं कि कोविड-19 फंड में जमा हुए पैसे में जुलाई 2020 तक बचे 160 करोड़ रुपये और जुलाई-2020 से अब तक जमा रुपये कहां गए?
- जुलाई-2020 के बाद से अब तक जो पैसे जमा हुए, उसको सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया ?

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तानाशाही रवैया छोड़ें मुख्यमंत्री
कांग्रेस ने कहा कि जिस पैसे का उपयोग लोगों की चिकित्सा में किया जाना था उस पैसे का बंदरबांट हुआ. आज उसका नतीजा यह है कि जब कोरोना की दूसरी लहर आई, तब सरकार ने प्रदेश के लोगों को उनके हाल पर मरने को छोड़ दिया है. लोग सड़कों पर मर रहे हैं. प्रदेश के लोगों को ऑक्सीजन नहीं मिल रही. रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए लोग दर-दर ठोकरें खा रहे हैं और कालाबाजारी से दवाई खरीदने को मजबूर हैं. कांग्रेस ने कहा कि मुख्यमंत्री जी अपना तानाशाही स्वभाव छोड़िए. सच को स्वीकार कीजिए.

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