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रोडवेज यूनियन के विरोध पर झुका निगम प्रशासन, वर्दी न पहनने पर जुर्माना लगाने के आदेश को लिया वापस

रोडवेज यूनियन के विरोध के बाद यूपी राज्य सड़क परिवहन निगम प्रशासन ने बस संचालन के दौरान अब ड्राइवर व कंडक्टर के वर्दी न पहनने पर जुर्माना लगाने वाले आदेश को वापस ले लिया है.

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वर्दी न पहनने पर नहीं लगेगा जुर्माना
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Published : Apr 9, 2022, 9:07 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम प्रशासन ने हाल ही में एक फरमान जारी किया था. जिसमें बस संचालन के दौरान वर्दी में न रहने वाले ड्राइवर और कंडक्टरों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने का जिक्र किया गया था. यही नहीं उनसे जुर्माना भी वसूलने की बात कही गई थी. निगम प्रशासन के इस आदेश का ड्राइवर-कंडक्टरों ने जोरदार विरोध किया.

उनका तर्क था कि दो से तीन साल पहले ड्राइवर व कंडक्टर को वर्दी दी गई थी जो फट गई है. उसके बाद वर्दी का कपड़ा तक नहीं दिया गया, तो कहां से वर्दी में नजर आएंगे? ड्राइवर व कंडक्टरों का साथ उत्तर प्रदेश रोडवेज कर्मचारी संघ ने दिया. इसके बाद निगम प्रशासन को झुकना पड़ा और वर्दी से संबंधित आदेश वापस लेना पड़ गया.

रोडवेज यूनियन के विरोध पर झुका निगम प्रशासन
कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की तरफ से एक आदेश जारी किया गया था. जिसमें नियमित और संविदा चालकों और परिचालकों के लिए वर्दी अनिवार्य कर दी गई थी. इसके साथ ही ब्रेथ एनालाइजर से जांच करने का भी आदेश जारी किया गया था. मानक पूरे करने पर ही बस में ड्यूटी के लिए स्लिप जारी करने का आदेश में जिक्र था. आदेश में कहा गया था कि चालक-परिचालक कार्यशाला कर्मचारी प्रत्येक ड्यूटी के समय वर्दी में रहेंगे.

अगर ड्यूटी वर्दी में नहीं आते हैं तो पहली बार ₹50 दूसरी बार 100 और तीसरी बार 250 रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया था. इसके अलावा अपने पद नाम की पट्टिका ड्यूटी अवधि में अपनी शर्ट, कोट या स्वेटर पर ब्लैक बेस पर सफेद लेटर में लगाना अनिवार्य किया गया था. ऐसा नहीं होने पर पहली बार 100 रुपये, दूसरी बार 200 और तीसरी बार ₹300 की कटौती किए जाने का प्रावधान किया गया था.

इसके अलावा किसी भी स्तर के कर्मचारी और अधिकारी द्वारा ड्यूटी अवधि में औपचारिक पहनावे के रूप में शर्ट/फुल शर्ट/ पैंट को ही कार्यालय ड्यूटी में पहनना अनिवार्य किया गया था. इसके साथ ही परिवहन निगम प्रशासन की तरफ से यह भी आदेश दिया गया था कि स्त्री या पुरुष किसी भी श्रेणी के कर्मचारी या अधिकारी ड्यूटी समय में कैजुअल परिधान जैसे जींस, टीशर्ट, नेकर आदि सहित ऐसे परिधान जो कार्यालय कर्मचारियों के औपचारिक परिधान में नहीं आते, इन परिधानों को कार्यालय दिवस में पहनने पर प्रतिबंध होगा. परिवहन विभाग के इस फरमान का सभी ने जोरदार विरोध किया. जिसके बाद अधिकारियों को बैकफुट पर जाना पड़ा.

क्या कहते हैं यूनियन के नेता

उत्तर प्रदेश रोडवेज कर्मचारी संघ के प्रवक्ता रजनीश मिश्रा का कहना है कि बसें साफ-सुथरी रहें. रोडवेज के चालक-परिचालक वर्दी में नजर आएं, ऐसा नए परिवहन मंत्री का मंतव्य था. हम पूरी कोशिश करते हैं कि ड्राइवर कंडक्टर साफ-सुथरे और वर्दी में ही नजर आएं, लेकिन सवाल यह है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के समय से ही ड्राइवर कंडक्टरों को वर्दी उपलब्ध ही नहीं कराई गई.

75 परसेंट ड्राइवर कंडक्टर के पास वर्दी तो है लेकिन वह जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच गई है. जो दूसरी जगह से ड्राइवर कंडक्टर ट्रांसफर होकर आए हैं. उनके पास वर्दी नहीं है. ऐसे में जुर्माना लगाना कहीं से सही नहीं है. इस बात को लेकर उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक आरपी सिंह से वार्ता की गई.

उन्होंने बात को समझा और फिलहाल अब वर्दी न पहने हुए ड्राइवर कंडक्टर पर कार्रवाई के आदेश को वापस ले लिया है, साथ ही जिन सहायक क्षेत्रीय प्रबंधकों ने जुर्माना वसूलने की बात कही गई थी उस पर भी एमडी ने रोक लगा दी है. फिलहाल अब परिवहन निगम पहले चालक परिचालकों को वर्दी उपलब्ध कराएगा तो सभी चालक-परिचालक वर्दी में ही नजर आएंगे.

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम प्रशासन ने हाल ही में एक फरमान जारी किया था. जिसमें बस संचालन के दौरान वर्दी में न रहने वाले ड्राइवर और कंडक्टरों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने का जिक्र किया गया था. यही नहीं उनसे जुर्माना भी वसूलने की बात कही गई थी. निगम प्रशासन के इस आदेश का ड्राइवर-कंडक्टरों ने जोरदार विरोध किया.

उनका तर्क था कि दो से तीन साल पहले ड्राइवर व कंडक्टर को वर्दी दी गई थी जो फट गई है. उसके बाद वर्दी का कपड़ा तक नहीं दिया गया, तो कहां से वर्दी में नजर आएंगे? ड्राइवर व कंडक्टरों का साथ उत्तर प्रदेश रोडवेज कर्मचारी संघ ने दिया. इसके बाद निगम प्रशासन को झुकना पड़ा और वर्दी से संबंधित आदेश वापस लेना पड़ गया.

रोडवेज यूनियन के विरोध पर झुका निगम प्रशासन
कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की तरफ से एक आदेश जारी किया गया था. जिसमें नियमित और संविदा चालकों और परिचालकों के लिए वर्दी अनिवार्य कर दी गई थी. इसके साथ ही ब्रेथ एनालाइजर से जांच करने का भी आदेश जारी किया गया था. मानक पूरे करने पर ही बस में ड्यूटी के लिए स्लिप जारी करने का आदेश में जिक्र था. आदेश में कहा गया था कि चालक-परिचालक कार्यशाला कर्मचारी प्रत्येक ड्यूटी के समय वर्दी में रहेंगे.

अगर ड्यूटी वर्दी में नहीं आते हैं तो पहली बार ₹50 दूसरी बार 100 और तीसरी बार 250 रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया था. इसके अलावा अपने पद नाम की पट्टिका ड्यूटी अवधि में अपनी शर्ट, कोट या स्वेटर पर ब्लैक बेस पर सफेद लेटर में लगाना अनिवार्य किया गया था. ऐसा नहीं होने पर पहली बार 100 रुपये, दूसरी बार 200 और तीसरी बार ₹300 की कटौती किए जाने का प्रावधान किया गया था.

इसके अलावा किसी भी स्तर के कर्मचारी और अधिकारी द्वारा ड्यूटी अवधि में औपचारिक पहनावे के रूप में शर्ट/फुल शर्ट/ पैंट को ही कार्यालय ड्यूटी में पहनना अनिवार्य किया गया था. इसके साथ ही परिवहन निगम प्रशासन की तरफ से यह भी आदेश दिया गया था कि स्त्री या पुरुष किसी भी श्रेणी के कर्मचारी या अधिकारी ड्यूटी समय में कैजुअल परिधान जैसे जींस, टीशर्ट, नेकर आदि सहित ऐसे परिधान जो कार्यालय कर्मचारियों के औपचारिक परिधान में नहीं आते, इन परिधानों को कार्यालय दिवस में पहनने पर प्रतिबंध होगा. परिवहन विभाग के इस फरमान का सभी ने जोरदार विरोध किया. जिसके बाद अधिकारियों को बैकफुट पर जाना पड़ा.

क्या कहते हैं यूनियन के नेता

उत्तर प्रदेश रोडवेज कर्मचारी संघ के प्रवक्ता रजनीश मिश्रा का कहना है कि बसें साफ-सुथरी रहें. रोडवेज के चालक-परिचालक वर्दी में नजर आएं, ऐसा नए परिवहन मंत्री का मंतव्य था. हम पूरी कोशिश करते हैं कि ड्राइवर कंडक्टर साफ-सुथरे और वर्दी में ही नजर आएं, लेकिन सवाल यह है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के समय से ही ड्राइवर कंडक्टरों को वर्दी उपलब्ध ही नहीं कराई गई.

75 परसेंट ड्राइवर कंडक्टर के पास वर्दी तो है लेकिन वह जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच गई है. जो दूसरी जगह से ड्राइवर कंडक्टर ट्रांसफर होकर आए हैं. उनके पास वर्दी नहीं है. ऐसे में जुर्माना लगाना कहीं से सही नहीं है. इस बात को लेकर उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक आरपी सिंह से वार्ता की गई.

उन्होंने बात को समझा और फिलहाल अब वर्दी न पहने हुए ड्राइवर कंडक्टर पर कार्रवाई के आदेश को वापस ले लिया है, साथ ही जिन सहायक क्षेत्रीय प्रबंधकों ने जुर्माना वसूलने की बात कही गई थी उस पर भी एमडी ने रोक लगा दी है. फिलहाल अब परिवहन निगम पहले चालक परिचालकों को वर्दी उपलब्ध कराएगा तो सभी चालक-परिचालक वर्दी में ही नजर आएंगे.

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