लखनऊ : राजधानी लखनऊ में चार जिला अस्पताल हैं. चारों जिला अस्पताल में से बलरामपुर एकमात्र ऐसा जिला अस्पताल है जहां पर जटिल सर्जरी होती है. बलरामपुर अस्पताल के सीएमएस डॉ. जीपी गुप्ता के मुताबिक, महीने में एक-दो एक्सीडेंटल केस आते हैं. यह वही केस हैं जो लखनऊ के बड़े मेडिकल संस्थानों में जाते हैं. ऐसे में जिला अस्पताल में जटिल सर्जरी करके बलरामपुर जिला अस्पताल अलग ही अपना कीर्तिमान स्थापित कर रहा है.
सीएमएस डॉ. जीपी गुप्ता ने बताया कि 'पहले भी बलरामपुर जिला अस्पताल में सर्जरी होती रही है, लेकिन दुर्घटनाग्रस्त मरीज जिसकी दो या तीन सर्जरी होनी है, जिसे हम अति जटिल सर्जरी कहते हैं. वह भी अब बलरामपुर चिकित्सालय में होनी शुरू हो गई है. मेडिकल कॉलेज या लोहिया अस्पताल से किसी विशेषज्ञ डॉक्टर को बुलाकर यहीं पर मरीज का ऑपरेशन किया जाता है, क्योंकि अति गंभीर केस में हम मरीज को बड़े अस्पतालों में इधर से उधर भटकने के लिए नहीं भेज सकते हैं. ऐसे में मरीज की जान भी जा सकती है. अस्पताल में कई केस ऐसे आते थे, जिन्हें देखकर ऐसा लगता था कि अति जटिल सर्जरी भी अगर मरीजों को यहीं पर उपलब्ध हो जाए तो मरीज को बड़े संस्थानों की भीड़ से बचाया जा सकता है. मौजूदा समय में सड़क दुर्घटना से पीड़ित मरीज की सर्जरी अस्पताल में ही की जा रही है. विशेषज्ञ की जरूरत होती है, उन्हें हम अस्पताल में बुला लेते हैं, जिससे मरीज का यहीं पर ऑपरेशन हो जाता है.
उन्होंने बताया कि 'हर महीने में एक से दो केस अस्पताल में ऐसे आ जाते हैं. इस महीने में अभी तक दो केस अति जटिल आए थे, जिनका ऑपरेशन कर मरीज को नई जिंदगी मिली है. उन्होंने कहा कि यहां पर सभी प्रकार के ऑपरेशन होते हैं और अति जटिल सर्जरी भी अब यहां पर हो रही है. ऐसे में मरीज को बिल्कुल भी सोचने विचारने की आवश्यकता नहीं है. वह बलरामपुर अस्पताल में आकर अच्छा इलाज प्राप्त कर सकता है. जब से अति जटिल सर्जरी होनी शुरू हुई है, मरीजों के लिए काफी अच्छा हो गया है कि अब उन्हें बड़े संस्थानों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. क्योंकि बड़े संस्थानों में मरीजों की संख्या अधिक होती है. इस स्थिति में मरीज को इधर से उधर भागना पड़ता है और एक समस्या यह भी होती है कि मरीज जब अन्य जिले से आते हैं तो उन्हें मालूम नहीं होता है कि कहां पर क्या चीज दी है, जिस कारण मरीज को और भी ज्यादा दिक्कत होती है.
लखनऊ निवासी मरीज़ आज्ञा राम (48 वर्ष) निवासी बीते 2 मार्च को पत्नी सहित साइकिल-कार की सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल हो गए थे. दुर्घटना में उनके बाएं कुल्हे की अंदरुनी हड्डी जिसे ऐसीटाब्लम कहते हैं वह बुरी तरह टूट गई थी. साथ में दाएं पैर का ऐंकल टूटकर बाहर की तरफ़ लटक गया था, जहां से खून बह रहा था. साथ में सीने के दोनों तरफ़ की कई पसलियां टूट गई थीं. जिससे सीने में 2 लीटर खून जमा हो गया था, उन्हें सांस लेने में तक़लीफ होने लगी थी. इसके अलावा ऑक्सीजन सेचुरेशन बहुत कम हो गया था. शरीर के कई हिस्से में खरोच थी व खाल कई जगह से फट गई थी. मरीज़ को बलरामपुर चिकित्सालय के आईसीयू में भर्ती कर इलाज शुरू किया गया. इस मरीज के इलाज में केजीएमयू के वाइस चांसलर जनरल डॉ. बिपिन पुरी के सहयोग से प्रो. अनुराग एवं डॉ. आदर्श पांडे थोरेसिक सर्जन केजीएमयू ने उसके सीने का ऑपरेशन बलरामपुर चिकित्सालय में आकर किया. इसी तरह एक और मरीज का ऑपरेशन किया गया, जिसमें मरीज की दुर्घटना हुई. दुर्घटना में लगभग एक दर्जन कील मरीज के दिमाग में घुस गई थी. इस जटिल ऑपरेशन के लिए भी डॉक्टरों की टीम ने पूरी मेहनत की और ऑपरेशन करने में सफल रहे.
राजधानी में सिविल अस्पताल, लोकबंधु अस्पताल, बीआरडी और बलरामपुर जिला अस्पताल हैं, लेकिन इस तरह की जटिल सर्जरी सिर्फ बलरामपुर जिला अस्पताल में हो रही है, ताकि मरीजों को बड़े संस्थानों में इधर से उधर न भटकना पड़े. हालांकि इस समय महीने भर में दो तीन केस अति जटिल आते हैं. बलरामपुर अस्पताल के सीएमएस डॉ जीपी गुप्ता ने कहा कि 'बलरामपुर अस्पताल हमेशा से मरीजों की सेवा के लिए तत्पर है. अगर किसी मरीज के साथ कोई दुर्घटना होती है और सर्जरी की नौबत आती है तो बलरामपुर अस्पताल आ सकते हैं. यहां पर डॉक्टरों की टीम उनका सफल ऑपरेशन करके अच्छा ट्रीटमेंट देगी.
यह भी पढ़ें : लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट में बड़ा बदलाव, 9 थाना प्रभारियों को बदला गया