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कंपनी ने एसजीपीजीआई के सीटी स्कैन मशीन पर लगाया ताला, जानें क्या रहा कारण

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में स्थित एसजीपीजीआई की सीटी स्कैन मशीन पर कंपनी ने ताला लगा दिया है. इससे मशीन को संस्थान के रेडियोलाजिस्ट और टेक्नोलाजिस्ट ऑन तक नहीं कर पा रहे हैं. पीएमएसवाई भवन में लगी सीटी स्कैन मशीन का एएमसी (एनुअल मेंटीनेंस कांट्रैक्ट) सितंबर 2020 में खत्म हो चुका है.

एसजीपीजीआई
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Published : Mar 15, 2021, 1:56 AM IST

लखनऊः एसजीपीजीआई की सीटी स्कैन मशीन पर कंपनी ने ताला लगा दिया है. इससे मशीन को संस्थान के रेडियोलाजिस्ट और टेक्नोलाजिस्ट ऑन तक नहीं कर पा रहे हैं. पीएमएसवाई भवन में लगी सीटी स्कैन मशीन का एएमसी (एनुअल मेंटीनेंस कांट्रैक्ट) सितंबर 2020 में खत्म हो चुका है. एसजीपीजीआई प्रशासन दोबारा एएमसी की प्रक्रिया पूरी नहीं कर सका है. इसके जिसके चलते कंपनी ने मशीन पर इलेक्ट्रॉनिक लॉक लगा दिया है. अब कंपनी जब तक लॉक नहीं खोलेगी, तब इस मशीन को चलाया नहीं जा सकता.

यह भी पढ़ेः PGI में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए फ्लूड मैनेजमेंट तकनीक स्‍थाप‍ित

कंपनी की जिद से अटका एएमसी

एसजीपीजीआई प्रशासन कोविड काल के बाद से एएमसी करना चहता है, लेकिन कंपनी सितंबर 2020 से ही एएमसी करना चाह रही है. कंपनी के जिद के आगे संस्थान लाचार है. इस मशीन से रोज 15 से 20 मरीजों का सीटी स्कैन होता रहा है. पीएमएसवाई भवन में स्थिति विभाग के आलावा ओपीडी के मरीजों का सीटी स्कैन यहां होता रहा है. कोराना काल के बाद संस्थान में ओपीडी शुरू होने के पर मरीज बढ़ने लगे हैं. ऐसे में सीटा स्कैन मशीन नहीं चलने से ओपीडी मरीजों को 20 से 25 दिन बाद की डेट दी रही है.

संस्थान में लगी हैं चार मशीन
संस्थान में चार सीटी स्कैन मशीन लगी हैं. एक राजधानी कोविड आस्पताल में, दो रेडियोलाजी विभाग में और एक पीएमएसवाई भवन में लगी है. इस समस्या के चलदे भर्ती मरीजों को दो से तीन दिन का इंतजार करना पड़ रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि बीमारी जाने बिना मरीज का इलाज संभव नहीं है.

यह भी पढ़ेंः एसजीपीजीआई में शुरू होंगे नए कोर्स, पढ़ाई के लिए नहीं जाना होगा विदेश



भर्ती मरीज को अल्ट्रासाउंड के लिए भी तीन दिन का इंतजार
पेट, मूत्राशय, किडनी सहित अन्य परेशानी से भर्ती मरीजों को भी अल्ट्रासाउंड के लिए तीन दिन बाद की डेट मिल रही है. विभाग ने 40 भर्ती मरीजों की जांच का कोटा निर्धारित किया है. इसके चलते डेट मिल रही है. ओपीडी मरीजों को 20 से 25 दिन बाद की डेट मिल रही है. ओपीडी मरीज के पास जांच का विकल्प बाहर से भी है, लेकिन भर्ती मरीजों के पास जांच के लिए कोई विकल्प नहीं है. इसी तरह एमआरआई जांच के लिए भी 15 से 20 दिन बाद की डेट मिल रही है. विभाग के लोगों का कहना है कि यह मशीन भी दस साल पुरानी है.

निदेशको जानकारी ही नहीं है!
पीजीआई निदेशक प्रो. आरके धीमन का कहना है कि मशीन बन्द होने की जानकारी नही है. यदि ऐसा है तो जल्द मशीन को शुरू कराया जाएगा, जिससे मरीजों की जांच प्रभावित न हो.

लखनऊः एसजीपीजीआई की सीटी स्कैन मशीन पर कंपनी ने ताला लगा दिया है. इससे मशीन को संस्थान के रेडियोलाजिस्ट और टेक्नोलाजिस्ट ऑन तक नहीं कर पा रहे हैं. पीएमएसवाई भवन में लगी सीटी स्कैन मशीन का एएमसी (एनुअल मेंटीनेंस कांट्रैक्ट) सितंबर 2020 में खत्म हो चुका है. एसजीपीजीआई प्रशासन दोबारा एएमसी की प्रक्रिया पूरी नहीं कर सका है. इसके जिसके चलते कंपनी ने मशीन पर इलेक्ट्रॉनिक लॉक लगा दिया है. अब कंपनी जब तक लॉक नहीं खोलेगी, तब इस मशीन को चलाया नहीं जा सकता.

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कंपनी की जिद से अटका एएमसी

एसजीपीजीआई प्रशासन कोविड काल के बाद से एएमसी करना चहता है, लेकिन कंपनी सितंबर 2020 से ही एएमसी करना चाह रही है. कंपनी के जिद के आगे संस्थान लाचार है. इस मशीन से रोज 15 से 20 मरीजों का सीटी स्कैन होता रहा है. पीएमएसवाई भवन में स्थिति विभाग के आलावा ओपीडी के मरीजों का सीटी स्कैन यहां होता रहा है. कोराना काल के बाद संस्थान में ओपीडी शुरू होने के पर मरीज बढ़ने लगे हैं. ऐसे में सीटा स्कैन मशीन नहीं चलने से ओपीडी मरीजों को 20 से 25 दिन बाद की डेट दी रही है.

संस्थान में लगी हैं चार मशीन
संस्थान में चार सीटी स्कैन मशीन लगी हैं. एक राजधानी कोविड आस्पताल में, दो रेडियोलाजी विभाग में और एक पीएमएसवाई भवन में लगी है. इस समस्या के चलदे भर्ती मरीजों को दो से तीन दिन का इंतजार करना पड़ रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि बीमारी जाने बिना मरीज का इलाज संभव नहीं है.

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भर्ती मरीज को अल्ट्रासाउंड के लिए भी तीन दिन का इंतजार
पेट, मूत्राशय, किडनी सहित अन्य परेशानी से भर्ती मरीजों को भी अल्ट्रासाउंड के लिए तीन दिन बाद की डेट मिल रही है. विभाग ने 40 भर्ती मरीजों की जांच का कोटा निर्धारित किया है. इसके चलते डेट मिल रही है. ओपीडी मरीजों को 20 से 25 दिन बाद की डेट मिल रही है. ओपीडी मरीज के पास जांच का विकल्प बाहर से भी है, लेकिन भर्ती मरीजों के पास जांच के लिए कोई विकल्प नहीं है. इसी तरह एमआरआई जांच के लिए भी 15 से 20 दिन बाद की डेट मिल रही है. विभाग के लोगों का कहना है कि यह मशीन भी दस साल पुरानी है.

निदेशको जानकारी ही नहीं है!
पीजीआई निदेशक प्रो. आरके धीमन का कहना है कि मशीन बन्द होने की जानकारी नही है. यदि ऐसा है तो जल्द मशीन को शुरू कराया जाएगा, जिससे मरीजों की जांच प्रभावित न हो.

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