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रिहायशी कॉलोनियों में चल रहे कॉमर्शियल संस्थान, लोग परेशान - lucknow latest news

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में विकास प्राधिकरण व आवास विकास परिषद के अधिकारियों के संरक्षण और कर्मचारी अभियंताओं की मिलीभगत से आवासीय कॉलोनियों को स्वरूप पूरी तरह से बिगड़ गया है. आवासीय कॉलोनी में कॉमर्शियल एक्टिविटीज वाले संस्थान खुल गए हैं, जिससे यहां रहने वाले लोगों को काफी परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है.

स्पेशल रिपोर्ट.
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Published : Nov 13, 2020, 6:15 PM IST

लखनऊ: राजधानी में मुख्य रूप से गोमतीनगर, इंदिरा नगर, महानगर, अलीगंज, निराला नगर, आशियाना, आलमबाग एलडीए कॉलोनी सहित तमाम अन्य कॉलोनियों में व्यावसायिक संस्थान खुले हैं. कॉलोनियों में हर तरफ पिछले कुछ सालों से होटल, बैंक, रेस्टोरेंट्स, स्पा सहित अन्य तरह के कॉमर्शियल एक्टिविटीज वाले संस्थान धड़ल्ले से खुलते चले जा रहे हैं और इनके खिलाफ लखनऊ विकास प्राधिकरण या आवास विकास परिषद की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही.

स्पेशल रिपोर्ट.
एकल आवासीय नक्शे पर बने हैं मकान
एकल आवासीय नक्शे पर बने मकान अब पूरी तरह से बदले-बदले नजर आते हैं. कुछ लोगों के मकान छोड़ दिये जायें, तो लगभग कॉलोनियों के बाहरी हिस्से वाली सड़कों पर हर तरफ तमाम तरह के व्यावसायिक संस्थाएं नजर आ रही हैं. इन संस्थानों की वजह से तमाम तरह की असुविधाओं का सामना कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को करना पड़ रहा है. खासकर इन संस्थानों में आने वाले लोगों की वजह से गाड़ियों की भरमार भी कॉलोनियों के आसपास खूब देखी जाती है. ऐसे में यातायात की समस्या भी यहां पर बनी रहती है. साथ ही कॉलोनियों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठते हैं.
यातायात की समस्या से जूझ रहे लोग
इसके साथ ही कॉलोनियों में जब कॉमर्शियल संस्थान खुल गए हैं, तो यातायात की समस्या बनना भी स्वाभाविक ही है. अधिकारियों की तरफ से आवासीय कॉलोनियों में चलने वाले कॉमर्शियल संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई के दावे तो खूब किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर कार्रवाई सिर्फ नोटिस तक सीमित रहती है.
रिहायशी कॉलोनियों में दिक्कत
गोमतीनगर के स्थानीय निवासी रूप कुमार शर्मा कहते हैं कि लोगों ने अपने मकानों को तोड़ कर या तो कॉमर्शियल संस्थान बना लिए हैं या अन्य तरह की संस्थान संचालित हो रहे हैं. इससे बहुत समस्या हो रही है. यहां के लोगों को इससे समस्या होती है. इन संस्थानों में लोग आते हैं, तो स्वाभाविक रूप से लोगों को डिस्टर्ब होता है और जाम भी बना रहता है.

अधिकारियों की मिलीभगत से बदला स्वरूप
गोमतीनगर जनकल्याण महासमिति के अध्यक्ष राघवेंद्र शुक्ला कहते हैं कि लखनऊ विकास प्राधिकरण या अन्य जो संस्थाएं हैं, उनकी लापरवाही और मिलीभगत से ही आवासीय कॉलोनियों का स्वरूप बिगड़ा है. लोगों ने अतिक्रमण करके अवैध निर्माण करके समस्याएं पैदा की हैं. व्यवसायिक संस्थान खोले गए हैं. इसी से तमाम तरह की समस्याएं हो रही है. हम लोगों ने कई बार मांग की है कि अवैध निर्माण व अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की जाए, तभी आवासीय कॉलोनियों को जो स्वरूप है, वह बहाल हो पाएगा. इससे वायु प्रदूषण जैसी समस्याओं का भी हल निकलेगा.

होगी कार्रवाई
लखनऊ के डीएम व एलडीए उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश ने ईटीवी भारत संवाददाता से फोन पर कहा कि कॉलोनियों में इस तरह की गतिविधियां होने की जानकारी लगातार मिलती रही है. तमाम लोगों के खिलाफ नोटिस आज की कार्रवाई भी की गई है. कॉलोनियों के अंदर जो कामर्शियल एक्टिविटीज वाले संस्थान हैं, उन्हें चिन्हित करके कार्रवाई की जाएगी. आवासीय कॉलोनियों के स्वरूप के साथ बदलाव को समाप्त कराने का पूरा प्रयास किया जाएगा.

लखनऊ: राजधानी में मुख्य रूप से गोमतीनगर, इंदिरा नगर, महानगर, अलीगंज, निराला नगर, आशियाना, आलमबाग एलडीए कॉलोनी सहित तमाम अन्य कॉलोनियों में व्यावसायिक संस्थान खुले हैं. कॉलोनियों में हर तरफ पिछले कुछ सालों से होटल, बैंक, रेस्टोरेंट्स, स्पा सहित अन्य तरह के कॉमर्शियल एक्टिविटीज वाले संस्थान धड़ल्ले से खुलते चले जा रहे हैं और इनके खिलाफ लखनऊ विकास प्राधिकरण या आवास विकास परिषद की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही.

स्पेशल रिपोर्ट.
एकल आवासीय नक्शे पर बने हैं मकान
एकल आवासीय नक्शे पर बने मकान अब पूरी तरह से बदले-बदले नजर आते हैं. कुछ लोगों के मकान छोड़ दिये जायें, तो लगभग कॉलोनियों के बाहरी हिस्से वाली सड़कों पर हर तरफ तमाम तरह के व्यावसायिक संस्थाएं नजर आ रही हैं. इन संस्थानों की वजह से तमाम तरह की असुविधाओं का सामना कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को करना पड़ रहा है. खासकर इन संस्थानों में आने वाले लोगों की वजह से गाड़ियों की भरमार भी कॉलोनियों के आसपास खूब देखी जाती है. ऐसे में यातायात की समस्या भी यहां पर बनी रहती है. साथ ही कॉलोनियों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठते हैं.
यातायात की समस्या से जूझ रहे लोग
इसके साथ ही कॉलोनियों में जब कॉमर्शियल संस्थान खुल गए हैं, तो यातायात की समस्या बनना भी स्वाभाविक ही है. अधिकारियों की तरफ से आवासीय कॉलोनियों में चलने वाले कॉमर्शियल संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई के दावे तो खूब किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर कार्रवाई सिर्फ नोटिस तक सीमित रहती है.
रिहायशी कॉलोनियों में दिक्कत
गोमतीनगर के स्थानीय निवासी रूप कुमार शर्मा कहते हैं कि लोगों ने अपने मकानों को तोड़ कर या तो कॉमर्शियल संस्थान बना लिए हैं या अन्य तरह की संस्थान संचालित हो रहे हैं. इससे बहुत समस्या हो रही है. यहां के लोगों को इससे समस्या होती है. इन संस्थानों में लोग आते हैं, तो स्वाभाविक रूप से लोगों को डिस्टर्ब होता है और जाम भी बना रहता है.

अधिकारियों की मिलीभगत से बदला स्वरूप
गोमतीनगर जनकल्याण महासमिति के अध्यक्ष राघवेंद्र शुक्ला कहते हैं कि लखनऊ विकास प्राधिकरण या अन्य जो संस्थाएं हैं, उनकी लापरवाही और मिलीभगत से ही आवासीय कॉलोनियों का स्वरूप बिगड़ा है. लोगों ने अतिक्रमण करके अवैध निर्माण करके समस्याएं पैदा की हैं. व्यवसायिक संस्थान खोले गए हैं. इसी से तमाम तरह की समस्याएं हो रही है. हम लोगों ने कई बार मांग की है कि अवैध निर्माण व अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की जाए, तभी आवासीय कॉलोनियों को जो स्वरूप है, वह बहाल हो पाएगा. इससे वायु प्रदूषण जैसी समस्याओं का भी हल निकलेगा.

होगी कार्रवाई
लखनऊ के डीएम व एलडीए उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश ने ईटीवी भारत संवाददाता से फोन पर कहा कि कॉलोनियों में इस तरह की गतिविधियां होने की जानकारी लगातार मिलती रही है. तमाम लोगों के खिलाफ नोटिस आज की कार्रवाई भी की गई है. कॉलोनियों के अंदर जो कामर्शियल एक्टिविटीज वाले संस्थान हैं, उन्हें चिन्हित करके कार्रवाई की जाएगी. आवासीय कॉलोनियों के स्वरूप के साथ बदलाव को समाप्त कराने का पूरा प्रयास किया जाएगा.

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