लखनऊ: राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान (State Institute of Educational Management and Training) (सीमैट) द्वारा राज्य के समस्त माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्यों, प्रधानाध्यापकों, प्रवक्ताओं और सहायक अध्यापकों को विद्यालय प्रबंधन में उत्कृष्टता विकसित करने के उद्देश्य से छह माह का विशेष प्रशिक्षण का अवसर देने जा रही है. यह कोर्स डिप्लोमा इन एजूकेशनल मैनेजमेंट का होगा और इसे तीन चरणों में पूरा किया जाएगा. संयुक्त शिक्षा निदेशक लखनऊ मंडल कार्यालय के मंडलीय विज्ञान प्रगति अधिकारी डॉ. दिनेश कुमार ने बताया कि यह कोर्स की अवधि 1 मई 2023 से 31 अक्टूबर 2023 तय किया गया है. इसमें प्रथम चरण 1 मई से 31 जुलाई (तीन माह) का होगा, जिसमें प्रशिक्षणार्थी को सघन सैद्धांतिक कार्य कराये जायेंगे,जो सीमैट में रेगुलर क्लास करते हुए पूर्ण करना होगा.
सीमैट में तीन माह रहकर प्रशिक्षण पूर्ण करने वालों को ड्यूटी पर माना जाएगा. जिसके लिए वो संस्थान में निर्धारित शुल्क जमा करके हॉस्टल सुविधा भी ले सकते हैं अथवा संस्थान के बाहर रहकर भी ट्रेनिंग लेने की अनुमति होगी. द्वितीय चरण के तीन महीने प्रशिक्षणार्थी को उसके कार्यक्षेत्र में संस्थान के पर्यवेक्षण में प्रोजेक्ट कार्य करने होंगे. यह 1 अगस्त से 31 अक्टूबर तक होगा . तीसरा चरण पांच दिनों का होगा, जिसमें प्रशिक्षणार्थी को संस्थान के कार्यशाला में अपने प्रोजेक्ट का प्रस्तुतिकरण, विचार विमर्श व अपेक्षित संसोधन करना होगा,जिसकी तिथि बाद में बताई जाएगी. डिप्लोमा प्रशिक्षण में किसी भी अशासकीय सहायता प्राप्त गैर सरकारी माध्यमिक विद्यालय व राजकीय विद्यालय के प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापक, प्रवक्ता और सहायक अध्यापक हो सकते हैं. इनको संस्थान की ओर से दिए जाने वाले आवेदन पत्र को अपने स्कूल प्रबंधन व संबंधित जिले के डीआईओएस की संस्तुति तथा अनुभव आदि प्रमाणित कराते हुए इस तरह से पूर्ण करना है कि सीमैट प्रयागराज में प्रत्येक दशा में 15 फरवरी 2023 तक पहुंच जाए. सीमैट प्रयागराज के निदेशक और जेडी सुरेन्द्र तिवारी द्वारा लखनऊ मंडल के सभी छह डीआईओएस को इस डिप्लोमा प्रशिक्षण कोर्स का अधिक से अधिक प्रचार प्रसार करने के निर्देश दिए हैं.
डिप्लोमा प्रशिक्षण का उद्देश्य : प्रशिक्षण कराने का उद्देश्य माध्यमिक स्कूलों में कार्यरत प्रधानाचार्यों में शैक्षिक प्रशासन और प्रबंधन के क्षेत्र में कार्यकुशलता व दक्षता विकसित हो. प्रिंसिपलों को उनके कार्य क्षेत्र में नवीन जानकारियों, नवाचारों व चुनौतियों से अवगत हों. प्रधानाचार्यों में अपने पेशे के प्रति सकारात्मक अभिवृत्ति उत्पन्न करना है. पदोन्नति द्वारा प्रधानाचार्य बनने से पूर्व ही प्रवक्ताओं, सहायक अध्यापकों में दक्ष प्रधानाचार्य के गुण का विकसित करना है. प्रशिक्षण के लिए प्रवेश लेने वालों से पांच हजार रुपये शुल्क भी लिया जाएगा. लखनऊ मंडल के मंडलीय विज्ञान प्रगति अधिकारी डॉ. दिनेश कुमार ने बताया कि सरकार द्वारा ऐसे प्रशिक्षण देने से माध्यमिक स्कूलों में एक नया शैक्षिक वातावरण का उदय होगा. साथ ही बदलते परिवेश में प्रधानाचार्य व शिक्षण स्टाफ स्वयं को रिफ्रेश करने के अवसर मिलेगा.
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