लखनऊः शिक्षक भर्ती के दूसरे चरण में 36,590 चयनित अभ्यर्थियों को 5 दिसंबर को नियुक्ति पत्र वितरित किया जाएगा. कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ऑनलाइन शिक्षकों को नियुक्ति पत्र सौंपेंगे. कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री प्रदेश के कई जिलों के अभ्यर्थियों से संवाद भी करेंगे. बता दें कि 36,590 नियुक्त शिक्षकों के लिए 2 से 4 दिसंबर के बीच काउंसलिंग का आयोजन किया गया. हालांकि प्रदेश के अन्य जिलों में प्रभारी मंत्री, सांसद और विधायक नियुक्ति पत्र वितरण करेंगे.
पहले चरण में 31,277 पदों पर हो चुकी नियुक्ति
बता दें कि पहले चरण में 16 अक्टूबर को 31,277 पदों पर नियुक्ति पत्र जारी किए जा चुके हैं, जिसमें 28,320 शिक्षकों ने पदभार ग्रहण कर लिया था. जबकि लगभग एक हजार से ज्यादा ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनके आवेदन पत्रों में काउंसलिंग के समय मामूली गलतियां पाई गईं. वहीं कई ऐसे भी हैं जो कार्यभार ग्रहण करने नहीं पहुंचे थे. दरअसल 69 हजार में लगभग 67,867 अभ्यर्थी ही पहली मेरिट में शामिल किए गए. क्योंकि एससी/एसटी वर्ग में मेरिट के मुताबिक 1,133 अभ्यर्थियों का चयन नहीं हो पाया. इन रिक्त पदों को भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद नियमानुसार भरा जाएगा.
स्थानांतरण की प्रक्रिया के लिए शुरू होगी काउंसलिंग
हाईकोर्ट ने शिक्षकों के मध्य सत्र पर लगी रोक भी हटा ली है. अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा रेणुका कुमार ने बताया कि नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम समाप्त होने के बाद तीन दिन में स्थानांतरण की प्रक्रिया के लिए काउंसलिंग शुरू कराई जाएगी. इसके बाद स्थानांतरण की फाइनल सूची जारी कर दी जाएगी. इस पूरी प्रक्रिया को दिसंबर माह के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में अध्यापिकाओं को रियायत देते हुए कहा है कि यदि अध्यापिका ने विवाह पूर्व अंतर जनपदीय स्थानांतरण लिया है और उसके बाद उनका विवाह हुआ है तो वह अंतरजनपदीय स्थानांतरण की मांग दोबारा कर सकती हैं. इसके अलावा चिकित्सकीय आधार पर भी दोबारा स्थानांतरण की मांग की जा सकती है.
दरअसल वैश्विक महामारी कोरोना के चलते स्थानांतरण न होने को देखते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने सितंबर में 54 हजार सहायक अध्यापकों के अंतर्जनपदीय तबादले करने की मंजूरी दी थी, जिसके बाद विभाग ने तबादलों के लिए आवेदन पत्रों पर कार्यवाही शुरू की, लेकिन सहायक अध्यापकों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दी थी. जिसके बाद उच्च न्यायालय ने शैक्षिक सत्र के बीच तबादले नहीं करने का आदेश दिया था.