लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रिमंडल के समक्ष चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेक्टर के विभागों की कार्ययोजना का प्रजेंटेशन दिया गया. प्रेजेंटेशन देखने के बाद सीएम योगी ने अफसरों को दिशा निर्देश देते हुए कहा कि विगत 05 वर्ष में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश में अभूतपूर्व कार्य हुआ है. इंसेफेलाइटिस उन्मूलन का प्रयास हो अथवा कोविड प्रबंधन प्रदेश को वैश्विक संस्थाओं से सराहना मिली है. प्रधानमंत्री की प्रेरणा से हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में अच्छा कार्य हुआ है. हमारी आबादी अधिक है किंतु स्वास्थ्य सेवाओं की सहज उपलब्धता और बेहतरीन प्रबंधन ने स्वास्थ्य क्षेत्र में लोगों में एक विश्वास जताया है. एक टीम के रूप में यह प्रयास सतत जारी रखा जाए.
सीएम ने कहा कि नियोजित प्रयासों से एनएचआरएम/एनएचएम जैसे स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न कार्यक्रमों को भ्रष्टाचार मुक्त बनाया गया है. दवाओं की खरीद को पारदर्शी बनाया गया है. यह शुचिता बनी रहे. भ्रष्टाचार की हर एक शिकायत को गंभीरता से लेते हुए कठोरतम कार्रवाई की जाए. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री आरोग्य मेलों ने ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य व चिकित्सा सेवाओं की सहज उपलब्धता सुनिश्चित कराने में सफलता पाई है. मंत्री/जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्रों में इन मेलों में प्रतिभाग करें. व्यवस्था का निरीक्षण करें, आम जन से बेहतरी के लिए सुझाव प्राप्त करें.
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सीएम ने कहा कि चिकित्सा सेवाओं के सुचारू संचालन के लिए डॉक्टरों और नर्सों की पर्याप्त तैनाती होनी चाहिए. डॉक्टर-नर्स का अनुपात 1:1 हो. आवश्यकतानुसार पद सृजन कर योग्य प्रोफेशनल का चयन किया जाए. सभी विधानसभा क्षेत्रों में 100 शैय्या के चिकित्सालय की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए. विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर चरणबद्ध रूप से इसे क्रियान्वित किया जाए. विगत 05 वर्षों में 5000 स्वास्थ्य उपकेंद्रों की स्थापना का कार्य हुआ है. अब हमारा लक्ष्य हो कि आगामी 05 वर्ष में 10,000 नए उपकेंद्रों की स्थापना हो.
सीएम ने दिए ये निर्देश
- आगामी 100 दिनों के भीतर राज्य कर्मचारियों एवं पेंशनर्स को कैशलेस चिकित्सा सुविधा से लाभांवित किया जाए.
- हर जनपद में मुफ्त डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराई जाए. डायलिसिस, सिटी स्कैन, न्यू बॉर्न स्टेबिलाइजेशन यूनिट, स्पेशल न्यू बॉर्न केयर यूनिट की संख्या में बढ़ोतरी की जरूरत है। अगले दो वर्ष में सभी जनपदों तक इन सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए.
- डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, जीका वायरस, जापानी इंसेफेलाइटिस, एईएस और कालाजार जैसी जलजनित बीमारियों के लिए "मिशन जीरो" की शुरुआत की जाए.
- 108 एम्बुलेंस सेवा को और व्यवस्थित करने की जरूरत है. एम्बुलेंस के रिस्पॉन्स टाइम को और कम किया जाए। एम्बुलेंस सेवा के संचालन को और विकेंद्रीकरण करने पर विचार किया जाए.
- अगले 100 दिनों में कम से कम 800 नई एम्बुलेस अपने बेड़े में बढ़ाएं. एएलएस की संख्या को 01 वर्ष में 250 से बढ़ाकर 375 और फिर आगे 500 तक करने के प्रयास हों.
- मानसिक रोगियों के सहायतार्थ निजी स्वयंसेवी संस्थाओं का सहयोग लें. आगरा, बरेली, वाराणसी के मानसिक चिकित्सालयों में उन्मुखीकरण केंद्र खोला जाना चाहिए, ताकि आमजन को मानसिक रोग के संबंध में सही-सटीक जानकारी दी जा सके.
- सभी चिकित्सालय, स्वास्थ्य केंद्र में दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता बनी रहे. आवश्यक मानी जाने वाली करीब 300 दवाओं की कमी न हो. इसकी सतत मॉनिटरिंग भी की जाए.
- प्रत्येक जनपद में जिला मुख्यालय के अतिरिक्त एक ओर फर्स्ट रेफरल यूनिट (जैसे सीएचसी, 100 बेडेड आदि) स्थापित कराई जाए. हर जिले में ड्रग हाउस की व्यवस्था हो.
- पैरामेडिकल स्टाफ स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ हैं. कोविड काल में हम सभी ने पैरामेडिक्स के महत्व को बहुत करीब से देखा समझा है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा अगले छह माह में प्रदेश में 10,000 पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति की कार्यवाही की जाए। नियुक्ति प्रक्रिया उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड के माध्यम से पूर्ण शुचिता के साथ कराई जाए.
- लखनऊ के केजीएमयू में क्षय रोग सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना कराई जाए। लखनऊ स्थित श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल चिकित्सालय के विस्तारीकरण की आवश्यकता है. लखनऊ में नेशनल सेन्टर फॉर डिजीज कन्ट्रोल की शाखा स्थापना की कार्यवाही तेज की जाए.
- सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मैटरनल एनीमिया मैनेजमेंट सेंटर की स्थापना कराई जाए। यह सुनिश्चित कराएं कि सभी एफआरयू पर ब्लड स्टोरेज यूनिट जरूर हो.
- कोविड रिपोर्ट की तर्ज पर ही डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया की जांच रिपोर्ट भी पोर्टल पर उपलब्ध कराने के प्रयास हों.
- आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों और सहायिकाओं के 20,000 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया अगले छह माह में पूर्ण कराएं. सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों और स्वास्थ्य सखियों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ दिलाया जाए। प्रत्येक कार्यकर्त्री व सहायिका को गणवेश के रूप में दो-दो साड़ी दी जाए. इनके क्षमता आधारित मूल्यांकन और सर्टिफिकेशन के संबंध में विचार किया जाए.
- आंगनबाड़ी केंद्रों में 03 से 06 वर्ष आयु के बच्चों को हॉट कुक्ड मील के साथ-साथ अधिक पोषण युक्त मॉर्निंग स्नैक्स (दूध-फल आदि) भी दिया जाना चाहिए.
- हर आंगनबाड़ी का अपना भवन हो। हम इन्हें प्री-प्राइमरी के रूप में विकसित कर रहे हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों को सक्षम आंगनबाड़ी (बेहतर आधारभूत सुविधाएं, ऑडियो विजुअल ऐड्स एवं क्लीन एनर्जी युक्त) के रूप में विकसित किया जाए. कम से कम 5000 नए आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण कराया जाए.
- प्रधानमंत्री के नेतृत्व में प्रदेश के स्वास्थ्य ढांचे को देश में अग्रणी बनाने की दिशा में अभूतपूर्व कार्य किया जा रहा है। एक जिला, एक मेडिकल कॉलेज का हमारा संकल्प पूरी प्रतिबद्धता से जारी है। आज केवल 14 जिले ऐसे हैं, जहां मेडिकल कॉलेज की स्थापना का कार्य शुरू होना है। यह कार्य शीर्ष प्राथमकिता के साथ पूरा कराया जाए.
- प्रदेश में 2016-17 में पीकू बेड जहां मात्र डेढ़ सौ थे। वहीं, अब 6700 हैं। 206 लैबों की स्थापना और ऑक्सिजन उत्पादन में उत्तर प्रदेश आत्मनिर्भर हो गया है। लिक्विड मेडिकल ऑक्सिजन में ढाई गुना वृद्धि और पीएसए में आठ गुना वृद्धि की गई है.
- उत्तर प्रदेश भारत में लाइव इमरजेंसी मानिटरिंग सिस्टम संचालित करने वाला पहला राज्य होगा. इसलिए इस दिशा में मोबाइल एप आधारित डिजिटल प्लेटफार्म और कमांड काल सेंटर सुचारू रूप से संचालित करने की तैयारी की जाए.
- उत्तर प्रदेश में ई-अस्पताल की स्थापना की रणनीति तैयार की जाए और दो साल में इसे क्रियाशील किया जाए.
- सरकारी मेडिकल कॉलेजों व जिला अस्पतालों में नर्सिंग कॉलेज की स्थापना करते हुए सीटों में वृद्धि के प्रयास हों. नर्सिंग को आकांक्षी व्यवसाय के रूप में बढ़ावा दिया जाए.
- नर्सिंग और पैरामेडिकल की संख्या और गुणवत्ता में गुणात्मक सुधार किया जाए. अगले छह माह में पांच नर्सिंग स्कूल, तीन पैरा मेडिकल स्कूल और 24 स्किल लैब की स्थापना की जाए.
- नीट के माध्यम से जीएनएम और बीएससी नर्सिंग में प्रवेश दिलाया जाए. योग्यता और कौशल विकास में सुधार के लिए हर राजकीय मेडिकल कॉलेज में स्किल लैब की स्थापना की जाए.
- पैरामेडिकल के कौशल विकास के लिए पांच नए कोर्सेज ओटी टेक्नीशियन, रेडियोथेरेपी टेक्नीशियन, एनेस्थीसिया टेक्नीशियन, डायलिसिस टेक्नीशियन और एमआरआई टेक्नीशियन को जोड़ने की कार्ययोजना बनाई जाए.
- महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय द्वारा राजकीय एवं निजी आयुष महाविद्यालयों का संबद्धीकरण किया जाए और आयुष विश्वविद्यालय द्वारा योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के पाठ्यक्रम का प्रारूप तैयार किया जाए। पंचकर्म एवं क्षारसूत्र सहायक का डिप्लोमा पाठ्यक्रम प्रारम्भ किया जाना चाहिए.
- आयुष विश्वविद्यालय में योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के कोर्स के रेगुलेशन के लिए नीति बनाई जाए और पंजीकरण के लिए योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा बोर्ड की स्थापना की जाए। साथ ही आयुष विश्वविद्यालय कैंपस में योग, प्राकृतिक चिकित्सा, आयुर्वेद का चिकित्सालय और पाठ्यक्रम प्रारम्भ किया जाए.
- अगले दो वर्ष के भीतर अयोध्या में आयुर्वेद और वाराणसी में होम्योपैथिक महाविद्यालय एवं चिकित्सालय का संचालन शुरू किया जाए. वाराणसी में पंचकर्म, योग और प्राकृतिक चिकित्सा आधारित कॉटेज की पीपीपी मॉडल पर स्थापना की जाए.
- अगले छह माह में 279 हेल्थ वेलनेस सेंटर और शेष 26 योग वेलनेस सेंटर का संचालन शुरू किया जाए. साथ ही बस्ती, फतेहपुर बलिया, जालौन एवं रायबरेली में 50 शैय्या एकीकृत आयुष चिकित्सालय का लोकार्पण कराएं.
- औषधीय पौधों की कांट्रैक्ट फार्मिंग के लिए नीति बनाकर जल्द लागू की जाए. पांच वर्षों में औषधि निर्माणशाला लखनऊ और पीलीभीत का निगमीकरण करने की कार्यवाही प्रचलित की जाए.
- खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन ने पिछले पांच वर्षों में कई नवाचार किए हैं. मिलावटखोरी से लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में किसी भी सूरत में मिलावटखोरी को सहन नहीं किया जाएगा. खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन यह सुनिश्चित करे.
- प्रसाद वितरण करने वाले न्यूनतम 75 धार्मिक स्थलों को 'भोग' कार्यक्रम के तहत शामिल किया जाए. इसके अलावा 2000 रेस्टोरेंट और स्वीट शॉप को हाईजिन रेटिंग दी जाए.
- हर स्मार्ट सिटी में एक क्लीन स्ट्रीट फूड हब स्थापित करने की कार्यवाही शुरू की जाए और "ईट राइट कैम्पस" कार्यक्रम के तहत 100 आवासीय शैक्षणिक संस्थानों को शामिल किया जाए.