लखनऊ: सात चरणों में निर्धारित यूपी विधानसभा चुनाव के समापन के बाद परिणाम भी आए, लेकिन रैलियों और सभाओं में दिए कुछ बयान सुर्खियों में रहे. जिसमें सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ की 'गर्मी' वाले बयान पर विपक्ष ने सियासी मंचों को अखाड़ा बना दिया तो पीएम मोदी के 'लाल टोपी' और 'साइकिल' पर कसे तंज का असर विपक्षी रैलियों व सभाओं में साफ तौर देखने को मिला. हालांकि इन सबके बीच भाजपा के सियासी चाणक्य व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के एक बयान ने विपक्षी पार्टियों को विचलित करने का काम किया. शाह ने एक सभा के दौरान कहा था कि उत्तर प्रदेश में अब भी मायावती की सियासत खत्म नहीं हुई है...बल्कि आज भी बसपा का वजूद कायम है और मुसलमान भी उन्हें जरूर वोट देंगे. खैर, इस बयान के कई मायने निकाले गए, पर भाजपा के सियासी चाणक्य ने एक तीर से एक या दो नहीं, बल्कि तीन निशाने साधे, जिसमें पूरा विपक्ष शब्दों के जाल में धराशाई हो गया. लेकिन बयानों की सियासत के इतर भाजपा की सबसे अहम रणनीति का हिस्सा रही ताबड़तोड़ रैलियां व सभाओं ने विपक्ष को संभलने का मौका तक नहीं दिया.
हालांकि, चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही देश व प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए चुनाव आयोग ने सभी सियासी पार्टियों को डिजिटल प्लेटफॉर्मों के जरिए प्रचार के निर्देश दिए थे. लेकिन आगे चलकर कोरोना के कम होते मामलों व वैक्सीनेशन की तेज रफ्तार को देखते आयोग की ओर से रैलियों व सभाओं के आयोजन को कुछ सीमित प्रतिबंधों के दायरे में करने की अनुमति दे दी गई. लेकिन इन सब के बीच खास बात यह रही पहले से ही भाजपा ने सोशल मीडिया व डिजिटल प्लेटफॉर्मों के जरिए प्रचार करना शुरू कर दिया था और इसका उसे पहले व दूसरे चरण के मतदान में भरपूर लाभ भी मिला. भाजपा ने आयोग के निर्धारित गाइडलाइन्स को मानते हुए ऑनलाइन रैलियों पर जोर दिया और पीएम मोदी ने पहले चरण में 5 ऑनलाइन रैलियों को संबोधित किया. वहीं, भाजपा को पहले से ही इस बात का अंदेशा था कि शुरुआती चरणों में कोरोना प्रभावी हो सकता है, सो पार्टी ने चुनावी तारीखों की घोषणा से पहले ही उद्धाटन और शिलान्यास की प्रभावी रणनीति को जमीनी स्तर पर सोशल इम्प्लांट सर्जरी के रूप में करना शुरू किया, जिसका लोगों पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ा.
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यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब 31 चुनावी जनसभाएं व रोड शो किए. लेकिन पहले चरण के प्रचार के दौरान कोरोना के प्रसार को नियंत्रित करने व सूबे में भीड़ नियंत्रण के उद्देश्य से चुनाव आयोग की ओर से डिजिटल प्लेटफॉर्मों के जरिए सभी सियासी दलों को प्रचार के लिए निर्देशित किया गया था. जिसके उपरांत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक साथ 5 ऑनलाइन रैलियों को संबोधित किया था. अगर बात फिजिकल रैली व सभाओं की करें तो इसे 21 जनवरी से शुरू किया गया था तो वहीं, 21 जनवरी से 5 मार्च तक भाजपा के प्रमुख नेताओं ने पूरे प्रदेश को हेलीकॉप्टर के जरिए नाप पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में माहौल बनाने का काम किया. इधर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चुनावी अभियान में सबसे अधिक रैलियां की. उन्होंने प्रदेश के सभी जनपदों में लगभग 204 रैलियां और सभाएं की. इसके बाद उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने 100 से अधिक रैलियां व सभाएं की तो उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने करीब 75 जनसभाओं को संबोधित कर पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में माहौल बनाने का काम किया. इस सूची में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी शामिल रहे जिन्होंने करीब 61 रैलियां व रोड शो किए.
पीएम मोदी की ये 13 रैलियां...
- 16 नवंबर: सुल्तानपुर में 341 किमी लंबे पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन किया.
- 19 नवंबर: बुंदेलखंड दौरे में महोबा का अर्जुन बांध परियोजना का उद्घाटन किया.
- 19 नवंबर: झांसी में डिफेंस कॉरिडोर देश को सौंपा. झांसी के जरिए बुंदेलखंड को सौगात दी.
- 20 नवंबर: लखनऊ में डीजीपी-आईजी सम्मेलन में शामिल हुए. दो दिन लखनऊ में रहे.
- 25 नवंबर: जेवर में जनसभा संबोधित की. जेवर एयरपोर्ट का शिलान्यास किया.
- 7 दिसंबर: गोरखपुर के एम्स के अलावा एक बड़ा फर्टिलाइजर प्लांट का लोकार्पण किया.
- 11 दिसंबर: बलरामपुर में 9,600 करोड़ के सरयू कनाल प्रोजेक्ट का लोकार्पण किया.
- 14 दिसंबर : वाराणसी में 339 करोड़ के काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर का लोकार्पण किया.
- 18 दिसंबर: शाहजहांपुर में गंगा एक्सप्रेस-वे की आधारशिला रखी.
- 21 दिसंबर: प्रयागराज के परेड मैदान में दो लाख से अधिक महिलाओं को संबोधित किया.
- 23 दिसंबर: काशी में पीएम की जनसभा हुई. इस दौरान उन्होंने काशी को 1500 करोड़ की परियोजनाओं की सौगात दी.
- 28 दिसंबर: कानपुर में करीब 3 घंटे रहे. आईआईटी के दीक्षांत समारोह और फिर निराला नगर रेलवे मैदान में लोकार्पण और शिलान्यास किया.
- 2 जनवरी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेरठ को 700 करोड़ की लागत से बनने वाले खेल विश्वविद्यालय की सौगात दी.
यूपी में PM मोदी ने की 31 रैलियां
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब 31 रैलियां व रोड शो कर पार्टी के प्रत्याशियों के पक्ष में माहौल बनाने का काम किया. उन्होंने 21 जनवरी से 5 मार्च तक जमकर रैलियां की. वहीं, पहले चरण के मतदान के दौरान पीएम मोदी ने 5 ऑनलाइन रैलियों को भी संबोधित किया था. पीएम मोदी ने बस्ती, महाराजगंज, अमेठी, प्रयागराज, बहराइच, हरदोई, पुरवा, उन्नाव, रायबरेली, बिजनौर, सहारनपुर, बागपत, शामली, मुजफ्फरनगर, नोएडा, सीतापुर, हरदोई, कानपुर, वाराणसी, गाजीपुर, बलिया, मिर्जापुर और जौनपुर जनपद में रैलियों को संबोधित किया था.
यूपी में शाह ने की 61 रैलियां
भाजपा के सियासी चाणक्य व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सूबे में करीब 61 रैलियों को संबोधित किया था. उनकी रैलियां अम्बेडकरनगर, लखनऊ, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बरेली, नोएडा, पीलीभीत, रायबरेली, तिंदवारी, ऊंचाहार, करहल, औरैया, झांसी, गोरखपुर, अतरौली, बदायूं और जौनपुर में हुई थी.
सीएम योगी ने की 204 से रैलियां
वहीं, सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरे प्रदेश में चुनावी प्रचार के दौरान करीब 204 से अधिक रैलियां व रोड शो किए. वहीं, इस दौरान पिछले विधानसभा चुनाव में हारी 84 सीटों पर उनका विशेष ध्यान था और उन्होंने इन सीटों को टारगेट करते हुए संबंधित जिलों में अधिक रैलियां की थी. बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 28 फरवरी से पांच मार्च तक करीब 204 से अधिक सभाएं व रैलियां की. उनकी ये रैलियां यूपी की हर दूसरी विधानसभा क्षेत्र में आयोजित हुई. उनकी एक सभा में कई विधानसभा क्षेत्रों को शामिल किया गया. ऐसे में प्रतीकात्मक तौर पर मुख्यमंत्री ने पूरे प्रदेश की सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा किया व पार्टी प्रत्याशियों के समर्थन में प्रचार किया था.
इन नेताओं ने भी किया जमकर प्रचार
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरह ही सूबे के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी पूरे प्रदेश में करीब 100 सभाएं की तो प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने करीब 80 सभाएं और उपमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने करीब 75 सभाओं को संबोधित कर पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में माहौल बनाने का काम किया था.
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