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भ्रष्टाचार के दोषी मुजफ्फरनगर SDM की तहसीलदार के पद पर पदावनति

सरकारी भूमि निजी बिल्डर को देने के आरोप में सीएम योगी ने वर्तमान में मुजफ्फरनगर जिले में तैनात उपजिलाधिकारी कुमार भूपेन्द्र सिंह पर कार्रवाई की है. सीएम ने उन्हें उपजिलाधिकारी के पद से तहसीलदार के पद पर अवनत करने का आदेश दिया है

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Published : Nov 23, 2020, 10:37 PM IST

Updated : Nov 24, 2020, 12:47 PM IST

cm yogi
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लखनऊ: भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के अनुपालन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ी कार्रवाई की है. उन्होंने तहसील सरधना मेरठ में तैनात रहे उपजिलाधिकारी कुमार भूपेंद्र सिंह को उपजिलाधिकारी के पद से तहसीलदार के पद पर अवनत करने का आदेश दिया है. कुमार भूपेन्द्र वर्तमान में मुजफ्फरनगर जिले में तैनात हैं.

सरकारी भूमि निजी बिल्डर को देने का आरोप
मिली जानकारी के अनुसार, मेरठ के ग्राम शिवाया, जमाउल्लापुर, परगना दौराला, तहसील सरधना के राजस्व अभिलेखों में पशुचर के रूप में दर्ज 1.5830 हेक्टेयर भूमि वर्ष 2013 में निजी बिल्डर को आवंटित कर दी गई थी. इस मामले में शिकायत के बाद जांच हुई. जांच में सामने आया कि वर्ष 2016 में जबकि एसडीएम के रूप में भूपेंद्र तैनात थे, तब भूपेंद्र ने सरकार के हितों की उपेक्षा करते हुए, निजी हितों की पूर्ति के लिए सम्बंधित पक्षों से मिलीभगत कर रेवन्यू कोर्ट मैनुअल के खिलाफ अगस्त 2016 में अमलदरामद का आदेश पारित कर दिया था.

अन्य अधिकारी भी जांच के दायरे में
शासन ने इसे कदाचार मानते हुए उन्हें पदावनत करने का आदेश दिया है. मामले में दोषी एक अन्य तत्कालीन एसडीएम, एक अपर आयुक्त, एक तहसीलदार (अब सेवानिवृत्त) एक राजस्व निरीक्षक और एक लेखपाल के खिलाफ भी कार्रवाई प्रक्रियाधीन है.

लखनऊ: भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के अनुपालन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ी कार्रवाई की है. उन्होंने तहसील सरधना मेरठ में तैनात रहे उपजिलाधिकारी कुमार भूपेंद्र सिंह को उपजिलाधिकारी के पद से तहसीलदार के पद पर अवनत करने का आदेश दिया है. कुमार भूपेन्द्र वर्तमान में मुजफ्फरनगर जिले में तैनात हैं.

सरकारी भूमि निजी बिल्डर को देने का आरोप
मिली जानकारी के अनुसार, मेरठ के ग्राम शिवाया, जमाउल्लापुर, परगना दौराला, तहसील सरधना के राजस्व अभिलेखों में पशुचर के रूप में दर्ज 1.5830 हेक्टेयर भूमि वर्ष 2013 में निजी बिल्डर को आवंटित कर दी गई थी. इस मामले में शिकायत के बाद जांच हुई. जांच में सामने आया कि वर्ष 2016 में जबकि एसडीएम के रूप में भूपेंद्र तैनात थे, तब भूपेंद्र ने सरकार के हितों की उपेक्षा करते हुए, निजी हितों की पूर्ति के लिए सम्बंधित पक्षों से मिलीभगत कर रेवन्यू कोर्ट मैनुअल के खिलाफ अगस्त 2016 में अमलदरामद का आदेश पारित कर दिया था.

अन्य अधिकारी भी जांच के दायरे में
शासन ने इसे कदाचार मानते हुए उन्हें पदावनत करने का आदेश दिया है. मामले में दोषी एक अन्य तत्कालीन एसडीएम, एक अपर आयुक्त, एक तहसीलदार (अब सेवानिवृत्त) एक राजस्व निरीक्षक और एक लेखपाल के खिलाफ भी कार्रवाई प्रक्रियाधीन है.

Last Updated : Nov 24, 2020, 12:47 PM IST
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