लखनऊ : आज काकोरी कांड की 97वीं वर्षगांठ है. इस मौके पर सीएम योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आज काकोरी शहीद स्मारक पर जाकर शहीद क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि दी. वहीं इस मौके पर सीएम योगी ने इतिहास में काकोरी कांड के नाम से दर्ज इस स्वतंत्रता संग्राम की इस ऐतिहासिक घटना का नाम बदलते हुए इसका नाम 'काकोरी ट्रेन एक्शन' करने की बात कही. सीएम योगी ने कहा कि अंग्रेजी इतिहासकारों ने काकोरी की घटना के लिए कांड शब्द का इस्तेमाल किया था, जो अपमान जनक लगता था. ऐसे में अब इस घटना को 'काकोरी ट्रेन एक्शन' के नाम से जाना जाएगा.
इसके साथ ही सीएम योगी ने कहा कि ब्रिटिश हुकूमत ने किस तरह से हमारे क्रांतिकारियों पर अत्याचार किया था ये सभी जानते हैं. क्रांतिकारियों ने अपनी स्वाधीनता के लिए काकोरी ट्रेन एक्शन को अंजाम दिया था. अब हर भारतीय का दायित्व बनता है कि हम हर हाल में अपने देश को सुरक्षित रखें और अपनी आजादी को बनाए रखें. 1857 के देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में मंगल पांडे, रानी लक्ष्मीबाई जैसे तमाम क्रांतिकारियों ने क्रांति की पहली अलख जगाई थी. आजादी की लड़ाई हम सबको प्रेरित करती है, लेकिन अब हम अपनी आजादी को लेकर कोई गलती करेंगे तो हम कैद की जंजीरों में फिर जकड़ जाएंगे. हर जाति, हर समुदाय के लोगों ने देश को आजादी दिलाने में हिस्सा लिया था. जब पूरा देश एक साथ बोलता है तो देश एक बड़ी ताकत बनकर उभरता है.
वहीं काकोरी ट्रेन एक्शन की वर्षगांठ पर वीर शहीदों को नमन करते हुए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि इस ऐतिहासिक घटना की वर्षगांठ के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने का मेरे लिए गर्व की बात है. राज्यपाल ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान क्रांतिकारी फांसी के फंदे पर झुलते थे, लेकिन कभी उनकी मां की आंख के आंशु नहीं आते थे. ये हमारी राष्ट्रभक्ति थी. ऐसी हजारों घटनाएं हुई हैं, हमे हमारा इतिहास याद रखना चाहिए. बच्चों को बताना चाहिए. लेकिन हमारे इतिहास को दबाने का काम किया गया. मैं आज कहना चाहती हूं कि स्कूलों में ऐसी घटनाओं से बच्चों को अवगत कराने की जरूरत है.
इसके साथ ही राज्यपाल ने कहा कि जातिवाद से ऊपर उठकर राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने का भाव होना चाहिए. राज्यपाल ने कहा कि हमें यह सोचना होगा कि कैसे राष्ट्रवाद को बढ़ाया दिया जाए, जातिवाद से ऊपर उठकर काम करने की जरूरत है. सबको साथ में मिलकर देश के लिए काम करने की जरूरत है.
इसके साथ ही राज्यपाल और सीएम योगी ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रामकृष्ण खत्री के परिजन उदय खत्री, शहीद रोशन सिंह के परिजन जितेंद्र प्रताप सिंह, शहीद कैप्टन मनोज पांडेय के पिता गोपीचंद पांडेय, मेजर रितेश शर्मा के पिता सत्य प्रकाश शर्मा, मेजर अमीय त्रिपाठी के बड़े भाई अजय त्रिपाठी सहित अन्य क्रांतिकारियों और शहीदों के परिजनों को सम्मानित किया.
भारत की आजादी के 75वें वर्ष को यादगार बनाने के लिए देशभर में अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. इसके तहत अगल-अलग स्थानों पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं को आजादी के महत्व एवं बलिदानियों के बारे में जानकारी देना है, ताकि युवा उनके गुणों को आत्मसात कर सके. इसके तहत जन आंदोलन, भारत का स्वर्णिम इतिहास, उसके विकास के बारे में बताया जाएगा. इसके अलावा भारत की वैश्विक पहचान आदि के बारे में जानकारी देना है. इसी कड़ी में प्रदेश में आजादी के अमृत महोत्सव और चौरी चौरा शताब्दी महोत्सव और 'काकोरी ट्रेन एक्शन डे' की वर्षगांठ मनाई जा रही है.
उधर, उन्नाव जिले में विधानसभा स्पीकर हृदय नाराणय दीक्षित ने 'काकोरी ट्रेन एक्शन डे' के मौके पर शहीद चंद्रशेखर आजाद की जन्मस्थली बदरका में जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इसके साथ ही विधानसभा अध्यक्ष ने पुलिस लाइन में भी शहीदों की प्रतिमा पर माल्यर्पण किया.
क्या है काकोरी कांड?
जब देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था तब स्वतंत्रता आंदोलन को तेज करने के लिए धन की जरूरत थी. इसके लिए क्रांतिकारियों ने शाहजहांपुर में एक मीटिंग की. इसमें राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजी सरकार का खजाना लूटने की योजना बनाई. इसके अनुसार राजेंद्रनाथ लाहिड़ी ने 9 अगस्त 1925 को लखनऊ के काकोरी रेलवे स्टेशन से छूटी आठ डाउन सहारनपुर-लखनऊ पैसेंजर ट्रेन को चेन खींचकर रोका.
क्रांतिकारी पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाकउल्ला खां, पं. चंद्रशेखर आजाद और अन्य सहयोगियों की मदद से ट्रेन पर धावा बोलाकर सरकारी खजाना लूट लिया. इस घटना को ही काकोरी कांड के नाम से जाना जाता है. ब्रिटिश हूकमत ने इस मामले में हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के कुल 40 क्रांतिकारियों पर सम्राट के विरुद्ध सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने और मुसाफिरों की हत्या करने का केस चलाया. जिसमें राजेंद्रनाथ लाहिड़ी, पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खां और ठाकुर रोशन सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई. इस केस में 16 अन्य क्रांतिकारियों को कम से कम 4 साल की सजा से लेकर अधिकतम कालापानी और आजीवन कारावास तक का दंड दिया गया.