लखनऊ : माता-पिता के साये से वंचित बच्चों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने बड़ा संबल दिया है. सीएम ने गुरुवार को कहा कि जब तक प्रदेश में हमारी सरकार (Yogi Government) है तो कोई भी बच्चा अनाथ नहीं हो सकता. माता-पिता के प्रेम से वंचित हर एक बच्चे के समुचित लालन-पालन, भरण-पोषण, शिक्षा और सुरक्षा मुहैया कराने की जिम्मेदारी सरकार की है और यह काम पूरी जिम्मेदारी के साथ किया जाएगा. यही नहीं, कोरोना के कारण जिन बच्चों के माता-पिता का निधन हो गया है, उनके लिए 'मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना' (Mukhyamantri Bal Seva Yojana) शुरू की गई है. अब नॉन कोविड कारणों से निराश्रित हुए बच्चों के लिए भी नयी योजना तैयार की जा रही है. सीएम योगी ने बच्चों को आश्वस्त करते हुए कहा कि इनके सपनों को पूरा करने के लिए सरकार हर जरूरी संसाधन मुहैया कराएगी.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को 'उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना' (Mukhyamantri Bal Seva Yojana) का औपचारिक शुभारंभ किया. यह योजना कोरोना काल के दौरान अनाथ हुए बच्चों के लालन-पालन और शिक्षा-दीक्षा के प्रबंधन के लिए शुरू की गयी है. कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल (Anandiben Patel) भी मौजूद थीं. इस मौके पर राज्यपाल के हाथों 4,050 निराश्रित बच्चों के भरण-पोषण के लिए पहली तिमाही के ₹12,000 उनके बैंक खातों में डिजिटली ट्रांसफर किये गये. वहीं योजना के अंतर्गत पात्र बच्चों को टैबलेट/लैपटॉप भी प्रदान किया गया. लोकभवन सभागार में आयोजित कार्यक्रम में सीएम योगी ने कहा कि विगत 16-17 माह से न केवल प्रदेश बल्कि पूरी दुनिया कोरोना महामारी का सामना कर रही है. इस दौरान बहुत से लोगों को अपने प्रियजनों को खोना पड़ा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस महामारी में बड़ी से बड़ी ताकतों की स्थिति भी खराब रही.
कोविड की पहली और दूसरी लहर के बीच केंद्र और राज्य सरकार द्वारा किए गए राहत सम्बन्धी प्रयासों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कोविड के कारण निराश्रित हुए बच्चों की पीड़ा को भी साझा किया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी राज्यों से इन बच्चों के भविष्य के लिए नीतिगत प्रयास की जरूरत बतायी थी, जिसके बाद 'उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना' अस्तित्व में आयी. सीएम ने बताया कि प्रदेशव्यापी सर्वेक्षण में मार्च 2020 से अब तक 240 ऐसे बच्चे चिन्हित हुए हैं, जिन्होंने अपने माता-पिता (दोनों) अथवा विधिक अभिभावक को खो दिया है. जबकि 3,810 ऐसे बच्चे हैं, जिनके माता-पिता अथवा विधिक अभिभावक का कोविड के कारण निधन हो गया. इन बच्चों की जिम्मेदारी सरकार ने ली है. अभी इन 4,050 बच्चों को ₹4000 मासिक भरण-पोषण के रूप में तीन माह की राशि एकमुश्त दी जा रही है. यही नहीं, 18 वर्ष की आयु से कम के ऐसे बच्चे जिनका कोई अभिभावक अथवा परिवार नहीं है, उनके लिए भी प्रबंध किये गये हैं. स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को टैबलेट अथवा लैपटॉप दिया जाएगा तो बालिकाओं की शादी के लिए राज्य सरकार द्वारा 1,01,000 रुपये की राशि दी जाएगी. कार्यक्रम में अलग-अलग जिलों से आये दस बच्चों को बैग, स्टेशनरी, चॉकलेट बॉक्स के अलावा पात्र बच्चों को टैबलेट भी दिये गये.
क्या है 'उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना'
- बच्चे के वयस्क होने तक उनके अभिभावक अथवा देखभाल करने वाले को ₹4,000 प्रति माह की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी.
- 18 वर्ष की आयु से कम के ऐसे बच्चे जिनका कोई अभिभावक अथवा परिवार नहीं है, ऐसे सभी बच्चों को प्रदेश सरकार द्वारा भारत सरकार की सहायता से अथवा अपने संसाधनों से संचालित राजकीय बाल गृह (शिशु) में देखभाल की जाएगी. मथुरा, लखनऊ, प्रयागराज, आगरा एवं रामपुर में राजकीय बाल गृह (शिशु) संचालित हैं.
- अवयस्क बालिकाओं की देखभाल सुनिश्चित की जाएगी. इन्हें भारत सरकार द्वारा संचालित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (आवासीय) में अथवा प्रदेश सरकार द्वारा संचालित राजकीय बाल गृह (बालिका) में रखा जाएगा. वहां इनकी देखभाल और शिक्षा-दीक्षा के प्रबंध होंगे. वर्तमान में प्रदेश में 13 ऐसे बाल गृह संचालित हैं. इसके अलावा, सुविधानुसार इन्हें प्रदेश में स्थापित किए जा रहे 18 अटल आवासीय विद्यालयों में रखकर उनकी देखभाल की जाएगी.
- बालिकाओं के विवाह की समुचित व्यवस्था के लिए प्रदेश सरकार बालिकाओं की शादी के लिए 1,01,000 रुपये की राशि उपलब्ध कराएगी.
- स्कूल अथवा कॉलेज में पढ़ रहे अथवा व्यावसायिक शिक्षा ग्रहण कर रहे ऐसे सभी बच्चों को टैबलेट/लैपटॉप की सुविधा उपलब्ध कराएगी.
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