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Ram Mandir Scam: ट्रस्ट पर लगे आरोपों का सीएम योगी ने लिया संज्ञान, मांगी रिपोर्ट

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Published : Jun 15, 2021, 1:02 PM IST

बीते रविवार को आम आदमी पार्टी (आप) से राज्यसभा सदस्य एवं पार्टी राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय सिंह ने अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करा रहे श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर भ्रष्टाचार करने का बम फोड़ा. साथ ही उसकी जांच सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कराने की मांग की. उसके बाद कई राजनीतिक पार्टियां इस पर बयानबाजी करती नजर आईं. अब सीएम योगी ने खुद इसका संज्ञान लिया है.

एक्शन में योगी
एक्शन में योगी

लखनऊः श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर लगे तथाकथित जमीन घोटाले का मामला गहराता जा रहा है. दो दिन से मामले पर हो रही राजनीतिक बयानबाजी के बाद अब खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसपर संज्ञान लिया है. मुख्यमंत्री योगी ने पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्रस्ट और जिला प्रशासन से इस मामले में विस्तृत जानकारी देने को कहा है. बता दें कि मामला प्रकाश में आने के बाद पूरे देश में चर्चा के केंद्र में आ गया. ट्रस्ट के पदाधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं. इसे लेकर आम आदमी पार्टी के अलावा सपा और कांग्रेस ने ट्रस्ट पर गंभीर आरोप लगाए हैं. इस पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा कि करोड़ों लोगों ने आस्था और भक्ति के चलते भगवान के चरणों में चढ़ावा चढ़ाया। उस चंदे का दुरुपयोग अधर्म है, पाप है, उनकी आस्था का अपमान है.

क्या है पूरा मामला

बीते रविवार को आम आदमी पार्टी (आप) से राज्यसभा सदस्य एवं पार्टी राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय सिंह ने अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करा रहे श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर भ्रष्टाचार करने का बम फोड़ा. साथ ही उसकी जांच सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कराने की मांग की. इस पर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने इन आरोपों को राजनीतिक साजिश बताया. चंपत राय ने कहा कि मंदिर के लिए खरीदी जा रही जमीनें बाजार से बहुत कम रेट पर ली जा रही हैं. अब तक मंदिर के लिए खर्च हुए एक-एक पैसे का हिसाब रिकॉर्ड पर है. लेकिन सवाल यह उठता है कि दोनों ही रजिस्ट्री के दौरान दो भाजपा नेता कैसे गवाह बन गए. तो आइए आपको बतातें है कि यह जमीन विवाद क्या है.

पढ़ें- Ram Mandir Scam: विपक्ष के सवालों की टाइमिंग में झोल, कहां है प्रॉपर्टी डीलर सुल्तान अंसारी ?

दरअसल, अयोध्या में विवादों में आए जमीन को लेकर सियासत गरमा गई है. इसके केंद्र में तीन अहम किरदार हैं. जमीन का मालिकाना हक कुसुम पाठक का था, जिन्होंने जमीन का समझौता रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी से पहले ही कर लिया था. वही समझौता कागजी तौर पर इस साल 18 मार्च 2021 को फाइनल हुआ. कुसुम पाठक ने दो करोड़ में रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी को बेच दिया.

18 मार्च 2021 को ही रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी ने दो करोड़ में खरीदी गई जमीन श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को साढ़े 18 करोड़ रुपए में बेच दी. अब इसी डील को लेकर विवाद शुरू हो गया है. जिस जमीन का विवाद है उसका एरिया है 12080 वर्ग मीटर, रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में पड़ने वाली इस जमीन पर जन्मभूमि के कुछ मंदिर बनाए जाने की योजना है.

ऐसे हुई जमीन की बिक्री ?

जब मंदिर परिसर के आस-पास के मंदिरों को गिराने और शिफ्ट करने का काम शुरू हुआ, उसी दौरान इसके आस-पास की जमीन खरीदने के साथ पुराने करीब आधा दर्जन मंदिरों को गिराकर उसे भी परिसर में शामिल कर लिया गया. आरोपी जमीन की खरीद-फरोख्त मामले से जुड़े एक शख्स ने बताया कि अयोध्या के बाग विलैसी में स्थित 180 बिस्वा (12,080 वर्ग मीटर) जमीन हरीश पाठक और कुसुम पाठक की थी. इसे उन्होंने सुल्तान अंसारी, रवि मोहन तिवारी, इच्छा राम, मनीष कुमार, रवींद्र कुमार, बलराम यादव और अन्य तीन के नाम 2019 में रजिस्टर्ड एग्रीमेंट कर दिया था.

इस जमीन का सौदा 26.50 करोड़ रुपये में तय हुआ. इसकी सरकारी मालियत करीब 11 करोड़ रुपये आंकी गई थी. 2.80 करोड़ रुपये हरीश पाठक और कुसुम पाठक के खाते में ट्रांसफर कर 80 बिस्वा जमीन की रजिस्ट्री कराई गई. बाकी 100 बिस्वा जमीन एग्रीमेंट धारकों ने अपनी सहमति से दो लोगों के नाम लिख दिया, जिनसे श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 18.50 करोड़ में रजिस्टर्ड एग्रीमेंट करवा लिया है.

जमीन के दोनों सौदों में एक ही गवाह

पहले जब जमीन हरीश पाठक-कुसुम पाठक से सुल्तान अंसारी-रविमोहन तिवारी ने खरीदी तो रजिस्ट्री के दौरान गवाह नंबर-1 डॉ. अनिल मिश्रा बने. डॉ. मिश्रा श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं. किसी भी भुगतान के चेक पर डॉ. मिश्रा के ही हस्ताक्षर होते हैं. उसके बाद जब अंसारी-तिवारी ने जमीन श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट को बेची तो डॉ. मिश्रा गवाह नंबर-2 बन गए. इसी तरह अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय भी दोनों रजिस्ट्री के दौरान गवाह बने.

दो करोड़ की जमीन को ट्रस्ट ने साढ़े 18 करोड़ में खरीदा है. पहले जमीन की कीमत दो करोड़ थी, लेकिन महज 10 मिनट में ही डील पक्की हुई और वो कीमत साढ़े 18 करोड़ रुपए हो गई. 10 मिनट के अंतराल में जमीन की कीमत साढ़ 16 करोड़ बढ़ गई. यानी प्रति सेकेंड साढ़े पांच लाख रुपये महंगी होती गई जमीन और 10 मिनटों में कीमत में 9 गुना इजाफा हो गया.

लखनऊः श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर लगे तथाकथित जमीन घोटाले का मामला गहराता जा रहा है. दो दिन से मामले पर हो रही राजनीतिक बयानबाजी के बाद अब खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसपर संज्ञान लिया है. मुख्यमंत्री योगी ने पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्रस्ट और जिला प्रशासन से इस मामले में विस्तृत जानकारी देने को कहा है. बता दें कि मामला प्रकाश में आने के बाद पूरे देश में चर्चा के केंद्र में आ गया. ट्रस्ट के पदाधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं. इसे लेकर आम आदमी पार्टी के अलावा सपा और कांग्रेस ने ट्रस्ट पर गंभीर आरोप लगाए हैं. इस पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा कि करोड़ों लोगों ने आस्था और भक्ति के चलते भगवान के चरणों में चढ़ावा चढ़ाया। उस चंदे का दुरुपयोग अधर्म है, पाप है, उनकी आस्था का अपमान है.

क्या है पूरा मामला

बीते रविवार को आम आदमी पार्टी (आप) से राज्यसभा सदस्य एवं पार्टी राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय सिंह ने अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करा रहे श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर भ्रष्टाचार करने का बम फोड़ा. साथ ही उसकी जांच सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कराने की मांग की. इस पर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने इन आरोपों को राजनीतिक साजिश बताया. चंपत राय ने कहा कि मंदिर के लिए खरीदी जा रही जमीनें बाजार से बहुत कम रेट पर ली जा रही हैं. अब तक मंदिर के लिए खर्च हुए एक-एक पैसे का हिसाब रिकॉर्ड पर है. लेकिन सवाल यह उठता है कि दोनों ही रजिस्ट्री के दौरान दो भाजपा नेता कैसे गवाह बन गए. तो आइए आपको बतातें है कि यह जमीन विवाद क्या है.

पढ़ें- Ram Mandir Scam: विपक्ष के सवालों की टाइमिंग में झोल, कहां है प्रॉपर्टी डीलर सुल्तान अंसारी ?

दरअसल, अयोध्या में विवादों में आए जमीन को लेकर सियासत गरमा गई है. इसके केंद्र में तीन अहम किरदार हैं. जमीन का मालिकाना हक कुसुम पाठक का था, जिन्होंने जमीन का समझौता रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी से पहले ही कर लिया था. वही समझौता कागजी तौर पर इस साल 18 मार्च 2021 को फाइनल हुआ. कुसुम पाठक ने दो करोड़ में रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी को बेच दिया.

18 मार्च 2021 को ही रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी ने दो करोड़ में खरीदी गई जमीन श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को साढ़े 18 करोड़ रुपए में बेच दी. अब इसी डील को लेकर विवाद शुरू हो गया है. जिस जमीन का विवाद है उसका एरिया है 12080 वर्ग मीटर, रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में पड़ने वाली इस जमीन पर जन्मभूमि के कुछ मंदिर बनाए जाने की योजना है.

ऐसे हुई जमीन की बिक्री ?

जब मंदिर परिसर के आस-पास के मंदिरों को गिराने और शिफ्ट करने का काम शुरू हुआ, उसी दौरान इसके आस-पास की जमीन खरीदने के साथ पुराने करीब आधा दर्जन मंदिरों को गिराकर उसे भी परिसर में शामिल कर लिया गया. आरोपी जमीन की खरीद-फरोख्त मामले से जुड़े एक शख्स ने बताया कि अयोध्या के बाग विलैसी में स्थित 180 बिस्वा (12,080 वर्ग मीटर) जमीन हरीश पाठक और कुसुम पाठक की थी. इसे उन्होंने सुल्तान अंसारी, रवि मोहन तिवारी, इच्छा राम, मनीष कुमार, रवींद्र कुमार, बलराम यादव और अन्य तीन के नाम 2019 में रजिस्टर्ड एग्रीमेंट कर दिया था.

इस जमीन का सौदा 26.50 करोड़ रुपये में तय हुआ. इसकी सरकारी मालियत करीब 11 करोड़ रुपये आंकी गई थी. 2.80 करोड़ रुपये हरीश पाठक और कुसुम पाठक के खाते में ट्रांसफर कर 80 बिस्वा जमीन की रजिस्ट्री कराई गई. बाकी 100 बिस्वा जमीन एग्रीमेंट धारकों ने अपनी सहमति से दो लोगों के नाम लिख दिया, जिनसे श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 18.50 करोड़ में रजिस्टर्ड एग्रीमेंट करवा लिया है.

जमीन के दोनों सौदों में एक ही गवाह

पहले जब जमीन हरीश पाठक-कुसुम पाठक से सुल्तान अंसारी-रविमोहन तिवारी ने खरीदी तो रजिस्ट्री के दौरान गवाह नंबर-1 डॉ. अनिल मिश्रा बने. डॉ. मिश्रा श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं. किसी भी भुगतान के चेक पर डॉ. मिश्रा के ही हस्ताक्षर होते हैं. उसके बाद जब अंसारी-तिवारी ने जमीन श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट को बेची तो डॉ. मिश्रा गवाह नंबर-2 बन गए. इसी तरह अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय भी दोनों रजिस्ट्री के दौरान गवाह बने.

दो करोड़ की जमीन को ट्रस्ट ने साढ़े 18 करोड़ में खरीदा है. पहले जमीन की कीमत दो करोड़ थी, लेकिन महज 10 मिनट में ही डील पक्की हुई और वो कीमत साढ़े 18 करोड़ रुपए हो गई. 10 मिनट के अंतराल में जमीन की कीमत साढ़ 16 करोड़ बढ़ गई. यानी प्रति सेकेंड साढ़े पांच लाख रुपये महंगी होती गई जमीन और 10 मिनटों में कीमत में 9 गुना इजाफा हो गया.

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