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PWD में विभागाध्यक्ष को लेकर सत्ता शीर्ष में खींचतान, दो महीने से नहीं हो पाई तैनाती - सीएम कार्यालय ने पीडब्ल्यूडी के विभागाध्यक्ष पद पर तैनाती के प्रस्ताव को ठुकरा दिया

लोक निर्माण विभाग में करीब दो महीने से अध्यक्ष के पद को लेकर सत्ता में खींचतान जारी है. विभाग ने वरिष्ठता के अनुसार आरसी बरनवाल को नियुक्त किए जाने के लिए डिप्टी सीएम को प्रस्ताव भेजा था, जिसे सीएम मुख्यालय से ठुकरा दिया गया.

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PWD में विभागाध्यक्ष की नहीं हो पा रही तैनाती.
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Published : Dec 3, 2019, 10:19 AM IST

Updated : Dec 3, 2019, 2:21 PM IST

लखनऊ: लोक निर्माण विभाग में विभागाध्यक्ष पद पर तैनाती को लेकर सत्ता शीर्ष के बीच तनातनी और खींचतान जारी है. करीब 2 महीने से खाली विभागाध्यक्ष के पद पर वरिष्ठता के अनुसार प्रमुख अभियंता आरसी बरनवाल को नियुक्त किए जाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया, लेकिन डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के प्रस्ताव को ठुकरा दिया.

PWD में विभागाध्यक्ष की नहीं हो पा रही तैनाती.

पीडब्ल्यूडी विभागाध्यक्ष के प्रस्ताव को सीएम ने ठुकराया
पीडब्ल्यूडी डिपार्टमेंट के मंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने विभाग में तैनात वरिष्ठ अभियंता आरसी बरनवाल को विभागाध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजा था, लेकिन खींचतान की वजह से इसे ठुकरा दिया गया. वरिष्ठता में दूसरे नंबर पर तैनात प्रमुख अभियंता आरआर सिंह को विभागाध्यक्ष बनाए जाने का सुझाव दिया गया.

सचिव रंजन कुमार की रिपोर्ट में मिली क्लीनचिट के बावजूद ईओडब्ल्यू जांच
वहीं दूसरी तरफ प्रमुख अभियंता आरसी बरनवाल को विभाग के सचिव रंजन कुमार की जांच में क्लीनचिट मिली. प्रधानमंत्री सड़क योजना में अनियमितता की शिकायतों के बाद हुई सचिव की जांच में क्लीन चिट दी गई थी, लेकिन यह क्लीनचिट मुख्यमंत्री कार्यालय को पसंद नहीं आई.

खेमेबंदी करते हुए जलशक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह की शिकायत पर आरसी बरनवाल सहित कई लोगों के खिलाफ ईओडब्ल्यू जांच के आदेश दिए गए. जिसे उत्तर प्रदेश इंजीनियर एसोसिएशन ने गलत बताया है और विभाग में जल्द से जल्द स्थाई विभागाध्यक्ष किए जाने की बात कही है.

ईओडब्ल्यू जांच का कोई औचित्य नहीं
वहीं इस पर यूपी इंजीनियर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरजीत निरंजन का कहना है कि विभागाध्यक्ष पद पर तैनाती को लेकर हमारे तरफ से डिप्टी सीएम को पत्र भी भेजा गया है. यह विकास का विभाग है और इसमें अध्यक्ष की तैनाती जरूरी है. प्रकरण में ईओडब्ल्यू जांच के निर्देश हुए हैं, उसका कोई औचित्य नहीं है. वरिष्ठता के क्रम में अगर प्रमुख अभियंता विकास और विभागाध्यक्ष बनाया जाता है तो यह सबसे अच्छी बात है, लेकिन जल्द से जल्द इस पर फैसला हो जाना चाहिए.

भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप के बावजूद वीके सिंह को नहीं हटाया गया था
इससे पहले भी लोक निर्माण विभाग में विभागाध्यक्ष के रूप में तैनात रहे वीके सिंह को हटाए जाने को लेकर प्रस्ताव शासन को भेजा गया था, लेकिन इसे भी मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से ठुकरा दिया गया था. साथ ही विभागाध्यक्ष रहे वीके सिंह अपना पूरा कार्यकाल पूरा किए. वीके सिंह के खिलाफ तमाम गंभीर आरोप लगे थे और वह सपा के समय से महत्वपूर्ण पदों पर तैनात रहे.

आरआर सिंह को विभागाध्यक्ष बनाने को लेकर खींचतान और टकराव
दो महीने से खाली चल रहे पद पर वरिष्ठता के अनुसार प्रमुख अभियंता आरसी बनवाल को विभागाध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव भेजा गया तो उसमें भी रोड़ा अटकाया गया. मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से वरिष्ठता के क्रम में दूसरे नंबर पर तैनात प्रमुख अभियंता आरआर सिंह को विभाग अध्यक्ष बनाए जाने का सुझाव दिया गया है, जो सत्ता शीर्ष के बीच चल रही तनातनी और खींचतान को उजागर करता है.

इसे भी पढ़ें:- लखनऊ: विश्व एड्स दिवस पर लोगों को किया गया जागरूक

लखनऊ: लोक निर्माण विभाग में विभागाध्यक्ष पद पर तैनाती को लेकर सत्ता शीर्ष के बीच तनातनी और खींचतान जारी है. करीब 2 महीने से खाली विभागाध्यक्ष के पद पर वरिष्ठता के अनुसार प्रमुख अभियंता आरसी बरनवाल को नियुक्त किए जाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया, लेकिन डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के प्रस्ताव को ठुकरा दिया.

PWD में विभागाध्यक्ष की नहीं हो पा रही तैनाती.

पीडब्ल्यूडी विभागाध्यक्ष के प्रस्ताव को सीएम ने ठुकराया
पीडब्ल्यूडी डिपार्टमेंट के मंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने विभाग में तैनात वरिष्ठ अभियंता आरसी बरनवाल को विभागाध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजा था, लेकिन खींचतान की वजह से इसे ठुकरा दिया गया. वरिष्ठता में दूसरे नंबर पर तैनात प्रमुख अभियंता आरआर सिंह को विभागाध्यक्ष बनाए जाने का सुझाव दिया गया.

सचिव रंजन कुमार की रिपोर्ट में मिली क्लीनचिट के बावजूद ईओडब्ल्यू जांच
वहीं दूसरी तरफ प्रमुख अभियंता आरसी बरनवाल को विभाग के सचिव रंजन कुमार की जांच में क्लीनचिट मिली. प्रधानमंत्री सड़क योजना में अनियमितता की शिकायतों के बाद हुई सचिव की जांच में क्लीन चिट दी गई थी, लेकिन यह क्लीनचिट मुख्यमंत्री कार्यालय को पसंद नहीं आई.

खेमेबंदी करते हुए जलशक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह की शिकायत पर आरसी बरनवाल सहित कई लोगों के खिलाफ ईओडब्ल्यू जांच के आदेश दिए गए. जिसे उत्तर प्रदेश इंजीनियर एसोसिएशन ने गलत बताया है और विभाग में जल्द से जल्द स्थाई विभागाध्यक्ष किए जाने की बात कही है.

ईओडब्ल्यू जांच का कोई औचित्य नहीं
वहीं इस पर यूपी इंजीनियर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरजीत निरंजन का कहना है कि विभागाध्यक्ष पद पर तैनाती को लेकर हमारे तरफ से डिप्टी सीएम को पत्र भी भेजा गया है. यह विकास का विभाग है और इसमें अध्यक्ष की तैनाती जरूरी है. प्रकरण में ईओडब्ल्यू जांच के निर्देश हुए हैं, उसका कोई औचित्य नहीं है. वरिष्ठता के क्रम में अगर प्रमुख अभियंता विकास और विभागाध्यक्ष बनाया जाता है तो यह सबसे अच्छी बात है, लेकिन जल्द से जल्द इस पर फैसला हो जाना चाहिए.

भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप के बावजूद वीके सिंह को नहीं हटाया गया था
इससे पहले भी लोक निर्माण विभाग में विभागाध्यक्ष के रूप में तैनात रहे वीके सिंह को हटाए जाने को लेकर प्रस्ताव शासन को भेजा गया था, लेकिन इसे भी मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से ठुकरा दिया गया था. साथ ही विभागाध्यक्ष रहे वीके सिंह अपना पूरा कार्यकाल पूरा किए. वीके सिंह के खिलाफ तमाम गंभीर आरोप लगे थे और वह सपा के समय से महत्वपूर्ण पदों पर तैनात रहे.

आरआर सिंह को विभागाध्यक्ष बनाने को लेकर खींचतान और टकराव
दो महीने से खाली चल रहे पद पर वरिष्ठता के अनुसार प्रमुख अभियंता आरसी बनवाल को विभागाध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव भेजा गया तो उसमें भी रोड़ा अटकाया गया. मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से वरिष्ठता के क्रम में दूसरे नंबर पर तैनात प्रमुख अभियंता आरआर सिंह को विभाग अध्यक्ष बनाए जाने का सुझाव दिया गया है, जो सत्ता शीर्ष के बीच चल रही तनातनी और खींचतान को उजागर करता है.

इसे भी पढ़ें:- लखनऊ: विश्व एड्स दिवस पर लोगों को किया गया जागरूक

Intro:रेडी टू पब्लिश पैकेज

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लखनऊ। लोक निर्माण विभाग में विभागाध्यक्ष अध्यक्ष पद पर तैनाती को लेकर सत्ता शीर्ष के बीच तनातनी और खींचतान जारी है। करीब 2 महीने से खाली विभागाध्यक्ष के पद पर इस खींचतान और टकराव की वजह से तैनाती नहीं हो पा रही है। वरिष्ठता के अनुसार प्रमुख अभियंता आरसी बरनवाल को विभागाध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया लेकिन उस पर सहमति नहीं बन पाई और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के प्रस्ताव को ठुकरा दिया गया।




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पीडब्ल्यूडी डिपार्टमेंट के मंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने विभाग में तैनात वरिष्ठ अभियंता आरसी बरनवाल को विभागाध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजा था लेकिन खींचतान की वजह से इसे ठुकरा दिया गया। वरिष्ठता में दूसरे नंबर पर तैनात प्रमुख अभियंता आरआर सिंह को विभागाध्यक्ष बनाए जाने का सुझाव दिया गया जिसके बाद से लोक निर्माण विभाग नहीं विभागाध्यक्ष बनाए जाने को लेकर शासन सत्ता के बीच चल रही खींचतान और तनातनी की चर्चा तेजी से शुरू हो गई है। चर्चा है कि पीडब्ल्यूडी में जाति देखकर विभागाध्यक्ष की तैनाती की रूपरेखा तैयार की गई है जिसमें वरिष्ठता को भी दरकिनार किया जा रहा है।
सचिव रंजन कुमार की रिपोर्ट में मिली क्लीनचिट के बावजूद ईओडब्ल्यू जांच, उठे सवाल
वहीं दूसरी तरफ चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि प्रमुख अभियंता आरसी बरनवाल को विभाग के सचिव रंजन कुमार की जांच में क्लीनचिट मिली। प्रधानमंत्री सड़क योजना में अनियमितता की शिकायतों के बाद हुई सचिव की जांच में क्लीन चिट दी गई थी लेकिन यह क्लीनचिट मुख्यमंत्री कार्यालय को पसंद नहीं आई। खेमेबंदी करते हुए जलशक्ति मंत्री डॉ महेंद्र सिंह की शिकायत पर आरसी बरनवाल सहित कई लोगों के खिलाफ ईओडब्ल्यू जांच के आदेश दिए गए जिसे उत्तर प्रदेश इंजीनियर एसोसिएशन ने गलत बताया है और विभाग में जल्द से जल्द स्थाई विभागाध्यक्ष किए जाने की बात कही है।

बाईट, हीरो वाजपेयी, प्रदेश प्रवक्ता भाजपा
सरकार में पदों को लेकर कभी टकराव नहीं होता सरकार अपने ढंग से निर्णय करती है। सरकार का जो निर्णय होता है उसका अनुपालन करना होता है जो निर्णय होगा उसे सभी को अनुपालन करना होगा।

बाईट
सुरजीत निरंजन, अध्यक्ष, यूपी इंजीनियर्स एसोसिएशन
विभाग अध्यक्ष पद पर तैनाती को लेकर उत्तर प्रदेश इंजीनियर एसोसिएशन की तरफ से मुख्यमंत्री को पत्र भी भेजा गया है यह विकास का विभाग है और इसमें तैनाती जरूरी है जल्द से जल्द जो इसी प्रकरण में ईओडब्ल्यू जांच के निर्देश हुए हैं उसका कोई औचित्य नहीं है कुछ लोग मुख्यमंत्री को भ्रमित करने का काम कर रहे हैं और मुख्यमंत्री से हम लोगों का सीधा संवाद नहीं हो पा रहा है इस वजह से यह सब प्रॉब्लम हो रही है जो सड़क टूटी है उसमें कोई आर्थिक आर्थिक आर्थिक जांच का प्रकरण नहीं है आर्थिक जांच का कोई औचित्य भी नहीं है। वरिष्ठता के क्रम में अगर प्रमुख अभियंता विकास एवं विभागाध्यक्ष मनाया जाता है तो यह सबसे अच्छी बात है लेकिन जल्द से जल्द इस पर फैसला हो जाना चाहिए।


Conclusion:भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप के बावजूद वीके सिंह को नहीं हटाया गया था
सूत्र बताते हैं कि लोक निर्माण विभाग के कामकाज को लेकर सत्ता शीर्ष में पिछले काफी समय से खींचतान और तनातनी चली आ रही है इससे पहले भी जब विभागाध्यक्ष के रूप में तैनात रहे वीके सिंह को हटाए जाने को लेकर प्रस्ताव शासन को भेजा गया था लेकिन इसे भी मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से ठुकरा दिया गया था और विभागाध्यक्ष रहे वीके सिंह अपना पूरा कार्यकाल पूरा किए। जबकि सूत्र बताते हैं कि वीके सिंह के खिलाफ तमाम गंभीर आरोप लगे थे और वह समाजवादी पार्टी के समय से महत्वपूर्ण पदों पर तैनात रहे। उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद उन्हें लोक निर्माण विभाग में मलाईदार पदों पर बनाए रखा गया जबकि पीडब्ल्यूडी विभाग के मंत्री केशव प्रसाद की तरफ से उन्हें हटाए जाने का प्रस्ताव भी शासन को भेजा गया था।
आरआर सिंह को विभागाध्यक्ष बनाने को लेकर खींचतान और टकराव
दो महीने से खाली चल रहे पद पर वरिष्ठता के अनुसार प्रमुख अभियंता आरसी बनवाल को विभागाध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव भेजा गया तो उसमें भी रोड़ा अटकाया गया और उसे वापस कर दिया गया। इसको लेकर लोक निर्माण विभाग में तमाम तरह की चर्चाएं भी हो रही है। वहीं मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से वरिष्ठता के क्रम में दूसरे नंबर पर तैनात प्रमुख अभियंता आरआर सिंह को विभाग अध्यक्ष बनाए जाने का सुझाव दिया गया है जो सत्ता शीर्ष के बीच चल रही तनातनी और खींचतान को उजागर करता है।

ध्यानार्थ डेस्क सहयोगी, फीड एफ़टीपी से भेजी गई है,
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धीरज त्रिपाठी, 945309955
Last Updated : Dec 3, 2019, 2:21 PM IST
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