लखनऊ: योगी सरकार में जीरो टॉलरेंस की नीति को धता बताते हुए पशुपालन विभाग में दवाइयों की खरीद फरोख्त में हुए बड़े घोटाले और स्वास्थ्य विभाग के साथ ही लोक निर्माण विभाग में तबादलों में हुई गड़बड़ी को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त रुख अख्तियार किया है. इस मामले में उन्होंने वरिष्ठ अधिकारी कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव कृषि और नियुक्ति विभाग देवेश चतुर्वेदी को जांच का जिम्मा सौंपने के साथ ही 7 दिनों में रिपोर्ट मांगी है.
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दरअसल, पशुपालन विभाग में करीब 50 करोड़ रुपये के घोटाला की बात सामने आने से शासन से लेकर पशुपालन विभाग तक हड़कंप मचा हुआ है. जानकारी के अनुसार यह घोटाला 2021-22 में राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम योजना के अंतर्गत सामान की खरीद में हुआ था. मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी ने पूरे मामले की जांच के लिए कमेटी बनाने के निर्देश मंगलवार को दिए हैं.
वहीं, शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने पशुओं के इलाज के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली विभिन्न उपकरणों और वस्तुओं को बाजार मूल्य से दोगुनी कीमत से भी ज़्यादा कीमत पर कर खरीदा था. यही नहीं जिस कोल्ड बॉक्स को मध्य प्रदेश में 50 हजार रुपये से कम में खरीदा गया, उसे यूपी में पशुपालन विभाग ने 1 लाख, 27 हजार 700 रुपये में खरीद लिया, जो बड़े भ्रष्टाचार को उजागर करता है. इसके अलावा खरीद प्रक्रिया टेंडर प्रक्रिया में भी नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया गया है.
वहीं, सीएम योगी के दूसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होते ही तमाम तरह की अनियमितताओं, ट्रांसफर में गड़बड़ी को लेकर सवाल खड़े हुए तो स्वास्थ विभाग के मंत्री उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने भी पत्र लिखकर जवाब मांगा था, जिसके बाद खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन सभी मामलों का संज्ञान लिया और जवाब मांगा है. माना जा रहा है कि जांच रिपोर्ट के बाद सभी विभागों के स्तर पर कार्रवाई की जाएगी.
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