लखनऊ: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष व शिया धर्मगुरु डॉक्टर कल्बे सादिक का हिन्दू और मुस्लिम दोनों के बीच एक जैसा सम्मान था. आपसी सौहार्द के हिमायती डॉक्टर कल्बे सादिक का सम्मान सियासी दलों में भी खूब रहा है. सादिक के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई से लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह हों या फिर लखनऊ के कद्दावर नेताओं में शुमार रहे लालजी टंडन, सबसे बेहद करीबी रिश्ते रहे हैं. सपा के वरिष्ठ नेता मुलायम सिंह यादव से उनकी दोस्ती भी अच्छी रही है.
मजहब में बंधकर नहीं रहे सादिक
मौलाना सादिक कभी मजहब में बंधकर नहीं रहे. वह सर्व समाज के साथ खड़े रहे. यही वजह है कि उनके जाने का सभी को दुख है. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा की धर्मगुरु मौलाना कल्बे सादिक का निधन समाज के लिए बड़ा नुकसान है. उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति की कामना के साथ शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है. वहीं महापौर संयुक्ता भाटिया, धर्मगुरु व मनकामेश्वर मंदिर की महंत दिव्या गिरी और कैथेड्रल चर्च के फादर डोनाल्ड डिसूजा ने भी सादिक को नम आंखों से याद किया.
तालीम के क्षेत्र में किया बड़ा काम
योगी सरकार के अल्पसंख्यक राज्य मंत्री मोहसिन रजा कहते हैं वरिष्ठ शिया धर्मगुरु डॉ कल्बे सादिक का निधन दुखद है. उनका निधन देश के लिए बड़ी क्षति है. ईश्वर से प्रार्थना है कि उनके परिवार तथा सभी चाहने वालों को इस दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करे. डॉ कल्बे सादिक ने शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश के लिए बहुमूल्य योगदान दिया है. वह अपने आपको धर्मगुरु कहलाना कम पसंद करते थे. वह चाहते थे कि लोग उन्हें डॉक्टर कल्बे सादिक ही कहें और लिखें. वह सर्व समाज के लिए किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए हमेशा याद किए जाएंगे.
शिया धर्मगुरु कल्बे सादिक के सियासतदानों से थे करीबी रिश्ते
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष व शिया धर्मगुरु डॉक्टर कल्बे सादिक का सम्मान सियासी दलों में भी खूब रहा है. फिर चाहे वे अटल बिहारी वाजपेयी रहे हों या मुलायम सिंह यादव. मौलाना सादिक ने 19 सितंबर 2009 को ईद के मौके पर कहा था 'लव इंडिया आर लीव इंडिया' यानी कि देश से प्यार करो अथवा देश छोड़ दो.
लखनऊ: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष व शिया धर्मगुरु डॉक्टर कल्बे सादिक का हिन्दू और मुस्लिम दोनों के बीच एक जैसा सम्मान था. आपसी सौहार्द के हिमायती डॉक्टर कल्बे सादिक का सम्मान सियासी दलों में भी खूब रहा है. सादिक के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई से लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह हों या फिर लखनऊ के कद्दावर नेताओं में शुमार रहे लालजी टंडन, सबसे बेहद करीबी रिश्ते रहे हैं. सपा के वरिष्ठ नेता मुलायम सिंह यादव से उनकी दोस्ती भी अच्छी रही है.
मजहब में बंधकर नहीं रहे सादिक
मौलाना सादिक कभी मजहब में बंधकर नहीं रहे. वह सर्व समाज के साथ खड़े रहे. यही वजह है कि उनके जाने का सभी को दुख है. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा की धर्मगुरु मौलाना कल्बे सादिक का निधन समाज के लिए बड़ा नुकसान है. उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति की कामना के साथ शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है. वहीं महापौर संयुक्ता भाटिया, धर्मगुरु व मनकामेश्वर मंदिर की महंत दिव्या गिरी और कैथेड्रल चर्च के फादर डोनाल्ड डिसूजा ने भी सादिक को नम आंखों से याद किया.
तालीम के क्षेत्र में किया बड़ा काम
योगी सरकार के अल्पसंख्यक राज्य मंत्री मोहसिन रजा कहते हैं वरिष्ठ शिया धर्मगुरु डॉ कल्बे सादिक का निधन दुखद है. उनका निधन देश के लिए बड़ी क्षति है. ईश्वर से प्रार्थना है कि उनके परिवार तथा सभी चाहने वालों को इस दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करे. डॉ कल्बे सादिक ने शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश के लिए बहुमूल्य योगदान दिया है. वह अपने आपको धर्मगुरु कहलाना कम पसंद करते थे. वह चाहते थे कि लोग उन्हें डॉक्टर कल्बे सादिक ही कहें और लिखें. वह सर्व समाज के लिए किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए हमेशा याद किए जाएंगे.