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लखनऊ: पर्यावरण के प्रति जागरूकता है जरूरी तभी बचेगा हमारा भविष्य - ग्रीन पीस इंडिया

लखनऊ में ग्रीन पीस इंडिया और गो ग्रीन सेव अर्थ फाउंडेशन की ओर से क्लाइमेट संवाद संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी का मकसद लोगों में जागरूकता पैदा करना है. वहीं पूर्व वैज्ञानिक अनूप कुमार ने कहा कि सभी लोगों को जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों के लिए खुद ही कदम उठाने होंगे, तभी देश और पर्यावरण को बचा सकते हैं.

क्लाइमेट संवाद संगोष्ठी का आयोजन
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Published : Apr 16, 2019, 9:50 AM IST

लखनऊ: जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को लेकर ग्रीन पीस इंडिया और गो ग्रीन सेव अर्थ फाउंडेशन की ओर से सोमवार को क्लाइमेट संवाद संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस संगोष्ठी में ग्रीनपीस और विजुअल के संयुक्त रिपोर्ट पर चर्चा की गई. इसमें पता चला कि विश्व के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 15 शहर भारत के हैं.

क्लाइमेट संवाद संगोष्ठी का आयोजन
  • कार्यक्रम की शुरुआत 'मैं हवा हूं हवा' गाने से की गई, जिसके तहत यह बताने की कोशिश की गई कि हवा ही जीवन का आधार है.
  • गो ग्रीन सेव अर्थ की सदस्य गीतांजलि ने कहा कि संगोष्ठी का मकसद लोगों में जागरूकता पैदा करना है. पर्यावरण सबसे पहला और अहम मुद्दा होना चाहिए, क्योंकि यही भविष्य है.
  • पूर्व वैज्ञानिक डॉ. अनूप कुमार ने कहा कि प्रदूषण एक ऐसी समस्या है, जिससे हर कोई ग्रसित है. हमारे कुछ प्रयास करने से खुद-ब-खुद प्रदूषण कम या खत्म हो सकता है.
  • छोटे-छोटे प्रयासों से हम पर्यावरण को बचा सकते हैं.
  • लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मुकुल श्रीवास्तव ने पर्यावरण और समुदाय विषय पर कहा कि भारत में जल, जंगल, जमीन और पर्यावरण बचाने के लिए जरूरी है.
  • क्लाइमेट संवाद में पर्यावरण संस्था गो ग्रीन सेव अर्थ फाउंडेशन के विमलेश निगम, लखनऊ विश्वविद्यालय जनसंचार विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट प्रोफेसर मुकुल श्रीवास्तव, सीमैप के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. अनूप कुमार समेत कई लोगों ने संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त किए.

भारत के ज्यादातर राज्य जलवायु परिवर्तन की वजह से वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, जल संकट, सूखा और मौसम में बदलाव जैसी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. इसलिए भारत के युवाओं समेत सभी लोगों को जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों के लिए खुद ही कदम उठाने होंगे, तभी देश और पर्यावरण को बचा सकते हैं.
-डॉ. अनूप कुमार, पूर्व वैज्ञानिक

लखनऊ: जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को लेकर ग्रीन पीस इंडिया और गो ग्रीन सेव अर्थ फाउंडेशन की ओर से सोमवार को क्लाइमेट संवाद संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस संगोष्ठी में ग्रीनपीस और विजुअल के संयुक्त रिपोर्ट पर चर्चा की गई. इसमें पता चला कि विश्व के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 15 शहर भारत के हैं.

क्लाइमेट संवाद संगोष्ठी का आयोजन
  • कार्यक्रम की शुरुआत 'मैं हवा हूं हवा' गाने से की गई, जिसके तहत यह बताने की कोशिश की गई कि हवा ही जीवन का आधार है.
  • गो ग्रीन सेव अर्थ की सदस्य गीतांजलि ने कहा कि संगोष्ठी का मकसद लोगों में जागरूकता पैदा करना है. पर्यावरण सबसे पहला और अहम मुद्दा होना चाहिए, क्योंकि यही भविष्य है.
  • पूर्व वैज्ञानिक डॉ. अनूप कुमार ने कहा कि प्रदूषण एक ऐसी समस्या है, जिससे हर कोई ग्रसित है. हमारे कुछ प्रयास करने से खुद-ब-खुद प्रदूषण कम या खत्म हो सकता है.
  • छोटे-छोटे प्रयासों से हम पर्यावरण को बचा सकते हैं.
  • लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मुकुल श्रीवास्तव ने पर्यावरण और समुदाय विषय पर कहा कि भारत में जल, जंगल, जमीन और पर्यावरण बचाने के लिए जरूरी है.
  • क्लाइमेट संवाद में पर्यावरण संस्था गो ग्रीन सेव अर्थ फाउंडेशन के विमलेश निगम, लखनऊ विश्वविद्यालय जनसंचार विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट प्रोफेसर मुकुल श्रीवास्तव, सीमैप के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. अनूप कुमार समेत कई लोगों ने संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त किए.

भारत के ज्यादातर राज्य जलवायु परिवर्तन की वजह से वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, जल संकट, सूखा और मौसम में बदलाव जैसी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. इसलिए भारत के युवाओं समेत सभी लोगों को जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों के लिए खुद ही कदम उठाने होंगे, तभी देश और पर्यावरण को बचा सकते हैं.
-डॉ. अनूप कुमार, पूर्व वैज्ञानिक

Intro:लखनऊ। जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को लेकर ग्रीन पीस इंडिया और गो ग्रीन सेव अर्थ फाउंडेशन की ओर से क्लाइमेट संवाद संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में ग्रीनपीस और विजुअल के संयुक्त रिपोर्ट की चर्चा भी की गई जिसमें पता चला था कि विश्व के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में 15 शहर भारत के थे क्लाइमेट संवाद के आयोजन में पर्यावरण संस्था गो ग्रीन सेव अर्थ फाउंडेशन के विमलेश निगम, लखनऊ विश्वविद्यालय जनसंचार विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट प्रोफ़ेसर मुकुल श्रीवास्तव, प्रोफ़ेसर मनीष हिंदवी, सीमैप के पूर्व वैज्ञानिक डॉक्टर अनूप कुमार समेत कई लोगों ने संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त किए और कुछ गीत संगीत के कार्यक्रम भी किए।


Body:वीओ1 कार्यक्रम की शुरुआत एक छात्रा के गाने 'मैं हवा हूं हवा' से की गई जिसके तहत ही बताने की कोशिश की गई कि हवा ही आपके जीवन का आधार है। इस अवसर पर गो ग्रीन सेव अर्थ की सदस्य गीतांजलि ने कहा कि इस संगोष्ठी का मेन मकसद हमें लोगों के बीच इस बात की जागरूकता पैदा करना है कि पर्यावरण ही हमारा सबसे पहला और अहम मुद्दा होना चाहिए क्योंकि यही हमारा भविष्य है सीमा के पूर्व वैज्ञानिक डॉ अनूप कुमार ने कहा कि प्रदूषण एक ऐसी समस्या है जिससे हर कोई ग्रसित है और हमारे आस-पास यदि हम चाहे तो कुछ ऐसे प्रयास कर सकते हैं जिससे खुद ब खुद प्रदूषण कमतर या खत्म हो सकता है। हमारे छोटे-छोटे प्रयासों से ही हम अपने पर्यावरण को भी बचा सकते हैं। उदाहरण के तौर पर यदि हम कहते हैं कि 2 घंटे बिजली चलाने का भुगतान हम कर देंगे तो वह भुगतान और बिजली की खपत दोनों में फर्क जताता है। 2 घंटे में बिजली की हुई खपत से पर्यावरण को काफी नुकसान होता है। उसके भुगतान से हम उस नुकसान की भरपाई नहीं कर सकते। लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर मुकुल श्रीवास्तव ने पर्यावरण और समुदाय विषय पर व्याख्यान दिया उन्होंने कहा कि भारत में जल, जंगल, जमीन और पर्यावरण बचाने के लिए जरूरी है इसलिए ऐसे कदम उठाए जाने चाहिए जो सामाजिक न्याय और समानता के सिद्धांतों के साथ हूं और पर्यावरण संकट से प्रभावित समुदायों का सहयोग कर सकें।


Conclusion:भारत के ज्यादातर राज्य जलवायु परिवर्तन की वजह से वायु प्रदूषण जल प्रदूषण जल संकट सूखा और मौसम में बदलाव जैसी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं इसलिए भारत के युवाओं समेत सभी लोगो को जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों के लिए खुद ही कदम उठाने होंगे तभी हम अपने देश और पर्यावरण को बचा सकते हैं। बाइट- डॉ अनूप कुमार , पूर्व वैज्ञानिक, सीमैप बाइट- गीतांजलि, गो ग्रीन सेव अर्थ फाउंडेशन की सदस्य रामांशी मिश्रा
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