लखनऊ: उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग (UP Public Works Department) में पदोन्नति में बड़ा खेल शुरू हो गया है. डिस्टेंस लर्निंग के जरिये इंजिनियरिंग की पढ़ाई करने वाले 68 बाबुओं को भी प्रस्तावित सूची में शामिल किया गया है. पहले भी ऐसा ही एक मामला अदालत में गया था. वहां से ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न होने का आदेश दिया गया था. मगर बड़ी संख्या फिर से प्रमोशन किए जा रहे हैं. इसको लेकर लोक निर्माण विभाग में फाइलों पर कार्रवाई शुरू हो गई है. करीब 200 बाबुओं (लिपिकों) को अभियंता बनाया जा रहा है.
इनमें से 68 लिपिक ऐसे हैं, जिन्होंने कि डिस्टेंस लर्निंग के जरिए इंजीनियरिंग का डिप्लोमा किया है. अब विभाग में यह सीधा आदेश हो चुका है कि डिस्टेंस लर्निंग से इंजीनियरिंग का डिप्लोमा करने वाले बाबुओं को अभियंता पद पर पदोन्नत (clerks being promoted as engineers) नहीं किया जाएगा. इसके बावजूद पदोन्नति की कार्रवाई जारी है. इसमें बड़ी संख्या में डिस्टेंस लर्निंग और सांध्य कालीन कक्षाओं से डिप्लोमा करके इंजीनियर बनने वाले बाबुओं की पदोन्नति करने की तैयारी की जा रही है.
गौरतलब है कि लोक निर्माण विभाग उत्तर प्रदेश में अवर अभियंताओं के रिक्त पदों को भरने के लिए एक विभागीय प्रक्रिया लंबे समय से बनी हुई थी. इस प्रक्रिया के तहत डिप्लोमा इंजीनियरिंग करने वाले बाबुओं की अभियंता पद पर पदोन्नति दी जाती रही है. 2015 में डिस्टेंस एजुकेशन के जरिए बड़ी संख्या में बाबू अभियंता बन गए थे. इसमें संबंधित यूनिवर्सिटी की मान्यता पर भी सवाल उठे थे. इसके बाद लोक निर्माण विभाग ने व्यवस्था को बदलते हुए डिस्टेंस लर्निंग और सांध्य कालीन कक्षाओं के जरिए डिप्लोमा इंजीनियर करने वाले बाबू को अभियंता पद पर पदोन्नत करने पर रोक लगा दी थी.
अब वही बाबू डिप्लोमा करके इंजीनियर बन सकते हैं, जिन्होंने सेवा में आने से पहले डिप्लोमा कर लिया हो या फिर आधा वेतन लेकर स्थाई कक्षाओं के जरिए डिप्लोमा कर रहे हों. ऐसे में बड़ा सवाल उठाया जा रहा है कि आखिर जो 200 की सूची है, उसमें 68 ऐसे बाबू क्यों हैं. इन सभी ने दूरस्थ शिक्षा के जरिए डिप्लोमा इंजीनियरिंग की है. इस बारे में लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता संदीप अग्रवाल ने बताया कि निश्चित तौर पर ये सूची चयनित अभियंताओं की नहीं है. यह जानकारी केवल इंजीनियरिंग के डिप्लोमा के संबंध में दी जा रही है. बाद में जो स्क्रीनिंग कमेटी बनेगी, वह डिस्टेंस लर्निंग वालों को हटा देगी.
मगर प्रस्तावित सूची में अपात्रों को क्यों शामिल किया, जवाब नहीं
मगर इस सूची में जो नाम प्रस्तावित हैं उसमें अपात्र को क्यों शामिल किया गया है, इसका जवाब किसी के पास नहीं है. जो पदोन्नति का पात्र ही नहीं है उसको प्रस्तावित सूची में शामिल करने का क्या अर्थ है. यह बात किसी के गले नहीं उतर रही. सूत्रों का कहना है कि इसी बहाने बड़ा खेल करने की तैयारी की जा रही है, ताकि अंदर खाने ही पात्रों को अभियंता बनाया जा सके.