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जिस शहर की संख्या एक लाख से ज्यादा वहां प्रदूषण रोकने के लिए 24 घंटे होगी बिजली आपूर्ति

एक तरफ उत्तर प्रदेश में भीषण गर्मी के चलते बिजली संकट चरम पर पहुंचने लगा है. वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश सहित देश के जिन शहरों की आबादी एक लाख या इससे अधिक है. वहां बिजली विभाग को 24 घंटे बिजली आपूर्ति करनी होगी.

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24 घंटे होगी बिजली आपूर्ति
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Published : Apr 23, 2022, 8:46 PM IST

लखनऊः यूपी में बिजली संकट चरम पर पहुंचने लगा है. वहीं यूपी सहित देश के जिन शहरों की आबादी एक लाख या इससे अधिक है वहां पर बिजली विभाग को 24 घंटे बिजली आपूर्ति करनी होगी. इसके पीछे अहम वजह है पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोकना. इसके पीछे की वजह ये है कि बिजली नहीं रहेगी तो जनरेटर का इस्तेमाल किया जाएगा. जिससे धुआं निकलेगा और वायु प्रदूषित होगी.

केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने बिजली उपभोक्ता अधिकार अधिनियम 2020 में संशोधन करते हुए पूरे देश में उपभोक्ता औसत विद्युत व्यवधान आवर्ती सूचकांक बनाने की नई अधिसूचना जारी की है. इसमें कहा गया है कि महानगरों सहित जिन भी शहरों की संख्या एक लाख या उससे अधिक है. वहां पर प्रदूषण स्तर की बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए 24 घंटे बिजली आपूर्ति करनी होगी. विद्युत व्यवधान के बाद डीजल जनरेटर न चले. केंद्र के बनाए गये इस कानून में इन सभी व्यवस्था को सुचारू रूप से लागू करने की जिम्मेदारी राज्यों के विद्युत नियामक आयोग की दी है, जो इससे संबंधित रेगुलेशन बनायेंगे.

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कानून में ये भी प्रावधान किया गया है कि पांच साल के अंदर डीजल जनित जनरेटर हटाने की दिशा में कदम उठाना है. उपभोक्ताओं को रिन्यूबिल बैटरी बैकअप पर जाना होगा. रेगुलेटर अपने नियम में इस टाइमलाइन में बदलाव कर सकता है. विद्युत व्यवधान पर सूचकांक की मॉनिटरिंग भी विद्युत नियामक आयोग को करनी होगी. तीन मिनट या उससे अधिक विद्युत ट्रिपिंग को व्यवधान के रूप में माना जाएगा. केंद्र के बनाये गये कानून में ये भी कहा गया है कि निर्माण क्रियाकलापों में डीजल जनित जनरेटर को रोकने के लिए जहां विद्युत वितरण मेन्स उपलब्ध हैं, अब वहां अस्थाई संयोजन 48 घंटे के भीतर देना होगा. जहां विद्युत वितरण मेंस उपलब्ध नहीं है. वहां पर सात दिन के अंदर कनेक्शन देना होगा.

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24 घंटे होगी बिजली आपूर्ति

राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि केंद्र द्वारा बनाये गये नये कानून से निश्चित ही बिजली कंपनियों पर बड़ा भार आयेगा. उत्तर प्रदेश में ज्यादातर मेट्रो और सिटी ऐसे हैं. जिनकी आबादी एक लाख या उससे अधिक है. ऐसे में ये कहना उचित होगा कि 24 घंटा विद्युत आपूर्ति और नो ट्रिपिंग जोन और प्रदेश के सभी मेट्रो और सिटी को बनाना होगा.

इसे भी पढ़ें- ऑक्सीजन प्लांट हमारे पास सबसे अधिक, पर चलाने के लिए एक्सपर्ट नहीं: मेनका गांधी

जहां तक सवाल है डीजल जनित जनरेटर को हटाकर पांच साल के अंदर रिन्यूएबल बैटरी बैकअप उपभोक्ताओं को लगाने का है, तो निश्चित ही यहां ये भी एक बड़ी समस्या होगी. आने वाले समय में जब विद्युत नियामक आयोग इस कानून के तहत रेगुलेशन बनायेगा और मॉनिटरिंग व्यवस्था को स्थापित करेगा तो उसमें सभी कठिनाइयों और व्यवहारिक पक्षों पर अध्ययन कर उपभोक्ता परिषद नियामक आयोग के समक्ष पेश करेगा.

उन्होंने कहा है कि जो भी रेगुलेशन और कानून बने उससे प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को कोई व्यहारिक कठिनाई न हो. इसके साथ ही उन्हें विद्युत आपूर्ति भी मिलती रहे.

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लखनऊः यूपी में बिजली संकट चरम पर पहुंचने लगा है. वहीं यूपी सहित देश के जिन शहरों की आबादी एक लाख या इससे अधिक है वहां पर बिजली विभाग को 24 घंटे बिजली आपूर्ति करनी होगी. इसके पीछे अहम वजह है पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोकना. इसके पीछे की वजह ये है कि बिजली नहीं रहेगी तो जनरेटर का इस्तेमाल किया जाएगा. जिससे धुआं निकलेगा और वायु प्रदूषित होगी.

केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने बिजली उपभोक्ता अधिकार अधिनियम 2020 में संशोधन करते हुए पूरे देश में उपभोक्ता औसत विद्युत व्यवधान आवर्ती सूचकांक बनाने की नई अधिसूचना जारी की है. इसमें कहा गया है कि महानगरों सहित जिन भी शहरों की संख्या एक लाख या उससे अधिक है. वहां पर प्रदूषण स्तर की बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए 24 घंटे बिजली आपूर्ति करनी होगी. विद्युत व्यवधान के बाद डीजल जनरेटर न चले. केंद्र के बनाए गये इस कानून में इन सभी व्यवस्था को सुचारू रूप से लागू करने की जिम्मेदारी राज्यों के विद्युत नियामक आयोग की दी है, जो इससे संबंधित रेगुलेशन बनायेंगे.

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24 घंटे होगी बिजली आपूर्ति

कानून में ये भी प्रावधान किया गया है कि पांच साल के अंदर डीजल जनित जनरेटर हटाने की दिशा में कदम उठाना है. उपभोक्ताओं को रिन्यूबिल बैटरी बैकअप पर जाना होगा. रेगुलेटर अपने नियम में इस टाइमलाइन में बदलाव कर सकता है. विद्युत व्यवधान पर सूचकांक की मॉनिटरिंग भी विद्युत नियामक आयोग को करनी होगी. तीन मिनट या उससे अधिक विद्युत ट्रिपिंग को व्यवधान के रूप में माना जाएगा. केंद्र के बनाये गये कानून में ये भी कहा गया है कि निर्माण क्रियाकलापों में डीजल जनित जनरेटर को रोकने के लिए जहां विद्युत वितरण मेन्स उपलब्ध हैं, अब वहां अस्थाई संयोजन 48 घंटे के भीतर देना होगा. जहां विद्युत वितरण मेंस उपलब्ध नहीं है. वहां पर सात दिन के अंदर कनेक्शन देना होगा.

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राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि केंद्र द्वारा बनाये गये नये कानून से निश्चित ही बिजली कंपनियों पर बड़ा भार आयेगा. उत्तर प्रदेश में ज्यादातर मेट्रो और सिटी ऐसे हैं. जिनकी आबादी एक लाख या उससे अधिक है. ऐसे में ये कहना उचित होगा कि 24 घंटा विद्युत आपूर्ति और नो ट्रिपिंग जोन और प्रदेश के सभी मेट्रो और सिटी को बनाना होगा.

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जहां तक सवाल है डीजल जनित जनरेटर को हटाकर पांच साल के अंदर रिन्यूएबल बैटरी बैकअप उपभोक्ताओं को लगाने का है, तो निश्चित ही यहां ये भी एक बड़ी समस्या होगी. आने वाले समय में जब विद्युत नियामक आयोग इस कानून के तहत रेगुलेशन बनायेगा और मॉनिटरिंग व्यवस्था को स्थापित करेगा तो उसमें सभी कठिनाइयों और व्यवहारिक पक्षों पर अध्ययन कर उपभोक्ता परिषद नियामक आयोग के समक्ष पेश करेगा.

उन्होंने कहा है कि जो भी रेगुलेशन और कानून बने उससे प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को कोई व्यहारिक कठिनाई न हो. इसके साथ ही उन्हें विद्युत आपूर्ति भी मिलती रहे.

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