लखनऊ: राजधानी लखनऊ में मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी ने मंगलवार को एक बैठक के दौरान प्रस्तावित उत्तर प्रदेश राज्य जैव ऊर्जा नीति के ड्राफ्ट का प्रस्तुतीकरण देखा. निदेशक नेडा भवानी सिंह खगरौत ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रस्तावित नीति के बारे में जानकारी दी, जिस पर बैठक में चर्चा की गई.
बैठक में इन मुद्दो पर हुई चर्चा
बैठक में विकासकर्ताओं के माध्यम से उत्पादित पैडी स्ट्रा आधारित विद्युत क्रय, सतत योजनान्तर्गत चयनित एलओआई होल्डर्स हेतू विशेष सुविधाएं, एमएनआरई द्वारा वेस्ट टू एनर्जी परियोजनाओं पर दी जा रही सब्सिडी के अतिरिक्त राज्य सरकार द्वारा टाॅप-अप सब्सिडी, बायो डीजल की प्रदेश में खुदरा बिक्री की व्यवस्था, विकासकर्ताओं का चयन, विकासकर्ताओं के साथ विद्युत क्रय अनुबन्ध, मस्ट-इन स्टेटस, ट्रांसमिशन लाइन की लागत के वहन, वाटर चार्जेज में छूट, भूमि संबंधी अनुमतियों का सरलीकरण, कृषि उपकरणों पर सब्सिडी, एफपीओ और एलओआई होल्डर्स के बीच दीर्घावधि बायोमास आपूर्ति अनुबन्ध, राजकीय भूमि को लीज रेंट के आधार पर बायोमास संग्रहण- भंडारण हेतू उपलब्ध कराए जाने जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की गई.
इन मुद्दों को पर भी हुई चर्चा
इसके अलावा प्लांट क्षमता के अनुसार आवश्यक बायोमास की पर्याप्त और निरंतर आपूर्ति हेतू भौगोलिक क्षेत्र का चिन्हांकन, नगरीय अपशिष्ट को सीबीजी संयंत्र परिसर तक उपलब्ध कराने, सुगर मिलों की फ्रेसमड की दीर्घावधि आपूर्ति, अनुबन्ध, राजकीय पशु आश्रय स्थलों से गोबर धन व कृषि उपज मंडियों के अपशिष्ट की सीबीजी संयंत्रों को आपूर्ति, पंजीकरण की प्रक्रिया आदि के संबंध में भी बैठक में विस्तार से चर्चा की गई.
मुख्य सचिव ने दिए निर्देश
मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी ने संबंधित विभागों एवं इंटरप्रेन्योर के साथ अलग से बैठक एवं प्रस्तावित नीति पर विचार-विमर्श कर अच्छी एवं प्रभावी नीति बनाने पर जोर दिया. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश भी दिए. बैठक में संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहें.