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Chhath Puja 2021: सोमवार से होगी महापर्व छठ की शुरुआत, जानें हर दिन की पूजा विधि - mahaparv chhath

लोक आस्था का महापर्व छठ की शुरुआत 8 नवंबर से हो रही है. नहाय-खाय के साथ शुरू होने वाले इस पर्व के चारों दिन विधि-विधान से पूजा होती है. सनातन धर्म में छठ पूजा का विशेष महत्व है. उत्तर भारतीय प्रांतों में इस पर्व को श्रद्धा-भाव से मनाया जाता है. यहां जानें छठ महापर्व से जुड़ी कुछ खास बातें...

छठ पूजा.
छठ पूजा.
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Published : Nov 7, 2021, 7:56 AM IST

हैदराबाद: देश के कुछ राज्यों में छठ पूजा (Chhath Puja 2021) का विशेष महत्व है और मान्यता है कि छठ पूजा का व्रत करने से संतान की लंबी उम्र होती है. इससे जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा को छठ पूजा करने की सलाह दी थी तभी से महिलाएं यह व्रत कर रही हैं. (Chhath Puja 2021 ka mahatva) छठ पूजा का त्योहार 4 दिनों तक चलता है और महिलाएं 36 घंटे निर्जला व्रत रखती हैं. छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है और (Chhath Puja 2021 Date and Timing) इस व्रत में सूर्य देवता का पूजन किया जाता है.

इस साल छठ पूजा का त्योहार 8 नवंबर 2021, सोमवार को है. 8 नवंबर से नहाय-खाय शुरू होगा और इसके अगले दिन 9 नवंबर को खरना और 10 नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद 11 नवंबर की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा का समापन किया जाता है.

पहला दिन: नहाय-खाय

छठ पूजा की शुरूआत नहाय-खाय के साथ होती है और इस दिन स्नान के बाद सूर्य देवता को साक्षी मानकर व्रती महिलाएं व्रत का संकल्प लेती है. इसके बाद चने की सब्जी, चावल और साग का सेवन करने के बाद व्रत की शुरुआत की जाती है.

दूसरा दिन: खरना

छठ पूजा के दूसरे दिन खरना होता हे और इस दिन महिलाएं व्रत करती हैं. शाम को इस दिन गुड़ की खीर बनाई जाती है और सबसे खास बात है कि इस खीर को मिट्टी के चुल्हे पर बनाने की परंपरा है.

तीसरा दिन: छठ

तीसरे दिन छठ होती है और इस दिन महिलाएं किसी तालाव, नदी या घाट पर जाती हैं. जहां छठी मैया की पूजा—अर्चना की जाती है. यह पूजा में महिलाएं पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं. इसके बाद वापस घर आकर कोसी भरने की परंपरा है.

चौथा दिन: पारण

छठ पूजा के चौथे दिन व्रत का पारण किया जाता है और छठ पर्व का समापन होता है. इस दिन महिलाएं सुबह सूर्यादय से पहले घाट पर जाकर पानी में खड़ी होती हैं और उगते सूर्य की पूजा कर अर्घ्य देती हैं. फिर प्रसाद खाकर व्रत का पारण किया जाता है.

इनका भी करें इंतजाम

इस खास पूजा के लिए 5 गन्ने जिसमें पत्ते लगे होना आवश्यक होता है. पानी वाला नारियल, अक्षत (चावल), पीला सिंदूर, दीपक, घी, बाती, कुमकुम, चंदन, धूपबत्ती, कपूर, दीपक, अगरबत्ती, माचिस, फूल, हरे पान के पत्ते, साबुत सुपाड़ी, शहद को भी एकत्रित कर लें. इसके साथ ही हल्दी, मूली और अदरक का हरा पौधा, बड़ा वाला मीठा नींबू, शरीफा, केला और नाशपाती भी पूजा के प्रयोग में आती है. इस पूजा में शकरकंदी और सुथवी का भी महत्व होता है. थेकुआ आदि बनाने के लिए गेहूं का आटा गुड़ , देसी घी भी चाहिए होता है.

इसे भी पढे़ं - धार्मिक सद्भाव की मिसाल बनीं मुस्लिम महिलाएं, छठ पूजा के लिए बनाती हैं चूल्हे

हैदराबाद: देश के कुछ राज्यों में छठ पूजा (Chhath Puja 2021) का विशेष महत्व है और मान्यता है कि छठ पूजा का व्रत करने से संतान की लंबी उम्र होती है. इससे जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा को छठ पूजा करने की सलाह दी थी तभी से महिलाएं यह व्रत कर रही हैं. (Chhath Puja 2021 ka mahatva) छठ पूजा का त्योहार 4 दिनों तक चलता है और महिलाएं 36 घंटे निर्जला व्रत रखती हैं. छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है और (Chhath Puja 2021 Date and Timing) इस व्रत में सूर्य देवता का पूजन किया जाता है.

इस साल छठ पूजा का त्योहार 8 नवंबर 2021, सोमवार को है. 8 नवंबर से नहाय-खाय शुरू होगा और इसके अगले दिन 9 नवंबर को खरना और 10 नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद 11 नवंबर की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा का समापन किया जाता है.

पहला दिन: नहाय-खाय

छठ पूजा की शुरूआत नहाय-खाय के साथ होती है और इस दिन स्नान के बाद सूर्य देवता को साक्षी मानकर व्रती महिलाएं व्रत का संकल्प लेती है. इसके बाद चने की सब्जी, चावल और साग का सेवन करने के बाद व्रत की शुरुआत की जाती है.

दूसरा दिन: खरना

छठ पूजा के दूसरे दिन खरना होता हे और इस दिन महिलाएं व्रत करती हैं. शाम को इस दिन गुड़ की खीर बनाई जाती है और सबसे खास बात है कि इस खीर को मिट्टी के चुल्हे पर बनाने की परंपरा है.

तीसरा दिन: छठ

तीसरे दिन छठ होती है और इस दिन महिलाएं किसी तालाव, नदी या घाट पर जाती हैं. जहां छठी मैया की पूजा—अर्चना की जाती है. यह पूजा में महिलाएं पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं. इसके बाद वापस घर आकर कोसी भरने की परंपरा है.

चौथा दिन: पारण

छठ पूजा के चौथे दिन व्रत का पारण किया जाता है और छठ पर्व का समापन होता है. इस दिन महिलाएं सुबह सूर्यादय से पहले घाट पर जाकर पानी में खड़ी होती हैं और उगते सूर्य की पूजा कर अर्घ्य देती हैं. फिर प्रसाद खाकर व्रत का पारण किया जाता है.

इनका भी करें इंतजाम

इस खास पूजा के लिए 5 गन्ने जिसमें पत्ते लगे होना आवश्यक होता है. पानी वाला नारियल, अक्षत (चावल), पीला सिंदूर, दीपक, घी, बाती, कुमकुम, चंदन, धूपबत्ती, कपूर, दीपक, अगरबत्ती, माचिस, फूल, हरे पान के पत्ते, साबुत सुपाड़ी, शहद को भी एकत्रित कर लें. इसके साथ ही हल्दी, मूली और अदरक का हरा पौधा, बड़ा वाला मीठा नींबू, शरीफा, केला और नाशपाती भी पूजा के प्रयोग में आती है. इस पूजा में शकरकंदी और सुथवी का भी महत्व होता है. थेकुआ आदि बनाने के लिए गेहूं का आटा गुड़ , देसी घी भी चाहिए होता है.

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