लखनऊ: पशुधन घोटाले को लेकर हजरतगंज में दर्ज की गई एफआईआर में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी है. एसीपी गोमती नगर ने ईटीवी भारत को जानकारी देते हुए बताया कि पशुधन घोटाले में लेकर गिरफ्तार 10 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी गई है. लखनऊ पुलिस ने रजनीश दीक्षित प्रधान सचिव, धीरज देव निजी सचिव, आशीष राय, सर्राफा व्यापारी सचिन वर्मा, सुरेश पांडे, रघुवीर, अनिल राय, एके राजीव, उमाशंकर, रूपक के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है.
बीते दिनों पशुधन विभाग में आटा सप्लाई को लेकर इंदौर के व्यापारी से हुई 9 करोड़ों 72 लाख की ठगी के मामले में जांचकर्ता अधिकारियों ने घोटाले के संदर्भ में राज्य मंत्री जयप्रकाश निषाद से पूछताछ की थी. विभाग में 292 करोड़ का ठेका दिलाने के नाम पर ठगी की गई थी. जांचकर्ता अधिकारी एसीपी गोमतीनगर श्वेता सिंह के नेतृत्व में एक टीम ने राज्य मंत्री जयप्रकाश निषाद से पूछताछ करने राजधानी लखनऊ स्थित उनके सरकारी आवास पहुंची थी. जहां पर मंत्री जयप्रकाश निषाद से टीम ने कई सवाल किए. मंत्री की ओर से सिर्फ यह जानकारी दी गई कि इस घोटाले को लेकर उन्हें कोई जानकारी नहीं है. जिसके 2 दिन बाद लखनऊ पुलिस ने इस मामले में 10 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है.
बताते, चलें राज्य मंत्री जयप्रकाश निषाद इस घोटाले को लेकर इसलिए सवालों के घेरे में थे, क्योंकि आरोपियों ने घोटाले को अंजाम देने के लिए जयप्रकाश निषाद के कार्यालय का प्रयोग किया था. इस बात का खुलासा पहले ही एसटीएफ कर चुकी है. इंदौर के व्यापारी की शिकायत पर एसटीएफ ने जांच की थी, जिसके बाद हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी.
एसटीएफ की जांच के बाद 13 जून को हजरतगंज थाने में इस ठगी को लेकर एफआईआर दर्ज की गई थी. एफआईआर में राज्य मंत्री जयप्रकाश निषाद के निजी प्रधान सचिव रजनीश, निजी सचिव धीरज देव, पत्रकार आशीष राय, अनिल राय, एके राजीव, उमाशंकर और रूपक को नामजद किया गया था. जिनको पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. पुलिस की जांच में अन्य सचिन वर्मा, त्रिपुरेष पांडे, होमगार्ड रघुवीर सिंह यादव की संलिप्तता सामने आई थी, जिनके खिलाफ भी पुलिस ने कार्रवाई करते हुए गिरफ्तार किया था.
यह दो आईपीएस हो चुके हैं निलंबित
पशुधन घोटाले को लेकर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 2 आईपीएस अधिकारियों को निलंबित कर दिया था. भ्रष्टाचार को लेकर योगी आदित्यनाथ की सरकार द्वारा की गई यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है. योगी आदित्यनाथ की सरकार ने पशुधन घोटाले में नाम सामने आने के बाद डीआईजी रूल्स और मैनुअल दिनेश दुबे और डीआईजी पीएसी अरविंद सेन को निलंबित कर दिया था.
मिली जानकारी के अनुसार घोटाले को लेकर गिरफ्तार किए गए शातिर अपराधियों की अधिकारियों से 144 बार बातचीत की जानकारी मिली थी. जिसमें पैसे के लेनदेन की बात हुई है. इस संदर्भ में सबूत मिलने के बाद योगी आदित्यनाथ की सरकार में दोनों आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए निलंबित कर दिया था.
पशुधन विभाग में ठेका दिलाने के नाम पर जालसाजों ने इंदौर के व्यापारी मनजीत सिंह से 9 करोड़ रुपये की ठगी कर डाली. ठगी को अंजाम देने वाले जालसाज आशीष राय ने व्यापारी से खुद को विभाग का निदेशक एके मित्तल बताकर ठगी को अंजाम दिया. एके मित्तल, आशीष राय ने व्यापारी मनजीत सिंह से 9 करोड़ रुपये लिए जिसके बदले में ठेका दिलाने का वादा किया गया था, लेकिन जालसाजी ने 9 करोड़ रुपये हजम कर लिए. इसके बाद व्यापारी मनजीत सिंह की तहरीर पर हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी.
पशुधन विभाग में जिस तरह से ठेका दिलाने के नाम पर 9 करोड़ रुपये की ठगी उजागर हुई है. ऐसे में इस ठगी के पीछे मंत्रियों के निजी सचिव और अधिकारियों की बड़ी भूमिका भी नजर आ रही है. साथ ही व्यापारी मनजीत सिंह का कहना है कि इस ठगी कि घटना को अंजाम देने के लिए तथाकथित पत्रकार संतोष मिश्रा, राजीव, अनिल राय ने साजिश रची थी. संतोष मिश्रा ने ही आशीष भाई को एसके मित्तल बनाकर व्यापारी मनजीत सिंह के सामने पेश किया था.
व्यापारी मनजीत सिंह ने बताया कि यह साजिद 2018 में रची गई थी, ठेका दिलाने के नाम पर 9 करोड़ लिए गए. लंबे समय से पीड़ित पैसे वापस करने की बात कह रहा है, लेकिन उसे पैसे वापस नहीं किए जा रहे हैं. जिसके बाद पीड़ित मनजीत सिंह ने 11 लोगों के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई है. जिसमें से 10 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है.