लखनऊ : प्रदेश में बिजली की दरों में 18 से 23 प्रतिशत की बढ़ोतरी के खिलाफ विद्युत नियामक आयोग में शुक्रवार को सुनवाई हुई. इस अवसर पर उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष की ओर से बिजली कंपनियों को आड़े हाथों लिया गया. परिषद अध्यक्ष ने उपभोक्ताओं के बिजली कंपनियों पर निकल रहे बकाये का मुद्दा भी उठाया. वहीं विद्युत नियामक आयोग चेयरमैन ने दर बढ़ोतरी के आसार बेहद कम होने संबंधी संकेत दिए हैं. इसके साथ ही स्मार्ट प्रीपेड मीटर का कोई भी खर्च उपभोक्ताओं पर नहीं लागू होगा. पुराने नियम पर ही तय टैरिफ लिया जाएगा.
मध्यांचल विद्युत वितरण निगम व पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन की आम जनता की सुनवाई विद्युत नियामक आयोग सभागार गोमतीनगर में सुबह शुरू हुई. करीब दो घंटे तक चली बैठक में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा सहित पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक पी गुरुप्रसाद, मध्यांचल प्रबंध निदेशक भवानी सिंह खंगारौत भी उपस्थित रहे. बैठक में बिजली दरों में बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर प्रेजेंटेशन दिया गया. उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष के सवालों के बीच बिजली कंपनियों के आला अधिकारी इस बात पर चुप्पी साध गए. बिजली दर की सुनवाई खत्म होने के बाद विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन ने कहा कि बिजली दरों को पुराने नियम के आधार पर ही इस बार भी सभी पक्षों को सुनने के बाद कार्रवाई की जाएगी. स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर जो 25 हजार करोड़ खर्च किया जा रहा, उसे पब्लिक पर पास नहीं किया जाएगा. इससे यह बात साफ हो गई कि बिजली दर बढऩे के आसार बहुत कम हैं.
मध्यांचल विद्युत निगम की बिजली दरों में प्रस्तावित वृद्धि
उपभोक्ता श्रेणी प्रस्तावित वृद्धि ( फ़ीसदी में)
एलएमवी-1 18.59
एलएमवी-2 11.55
एलएमवी-3 16.07
एलएमवी-4 17.62
एलएमवी-5 09.97
एलएमवी-6 15.22
एलएमवी-7 18.90
एलएमवी-9 18.90
एचवी -1 13.76
एचवी -2 16.25
एचवी - 3 17.85
एचवी - 4 16.26
बिजली कंपनियों पर 25133 करोड़ सरप्लस बकाया
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि वर्ष 2023-24 के लिए बिजली दरों में बढ़ोतरी की जो सुनवाई हो रही है, वह कानूनन सही नहीं है. जब प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 25 हजार 133 करोड़ सरप्लस निकल रहा है. ऐसे में दरों में बढ़ोतरी नहीं होनी चाहिए. एक साथ बिजली दरों में कमी की जाए तो 35 प्रतिशत कमी होनी चाहिए. ऐसे में आयोग अगले 5 वर्षों तक 7 प्रतिशत बिजली दरों में कमी करके प्रदेश की जनता को राहत प्रदान कराए.
हर साल 5019 करोड़ की बिजली चोरी
बैठक यह भी बताया गया कि पूरे प्रदेश में हर साल 5019 करोड़ की बिजली चोरी से जलाई जाती है. देश के पांच सबसे अधिक बिजली दर वाले राज्यों में कामर्शियल की बिजली यूपी में सबसे महंगी है. इसे कम किए जाने की बहुत जरूरत है. वही किसानों की बिजली दर में 10 फ़ीसदी की वृद्धि की बात क्यों की जा रही है. जबकि सरकार ने किसानों को फ्री बिजली देने की घोषणा कर रखी है. बैठक में उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने बिजली उपकेंद्र की खाली जमीनों पर कामर्शियल काॅप्लेक्स बनाने के निर्णय पर भी सवाल उठाए.
बैठक के दौरान मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने बिजली की दरों में 16 फ़ीसदी बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा. इस संबंध में निगम ने नियामक आयोग में बिजली दरों में हुई जनसुनवाई में बिजली दरों में बढ़ोतरी के प्रस्ताव के पक्ष में अपने खर्चों का विवरण भी प्रस्तुत किया. जिसमें उसने बताया कि मौजूदा बिजली दरों में सभी श्रेणी में करीब 15.85 फ़ीसदी की वृद्धि होनी चाहिए. निगम ने तर्क दिया कि बिजली की खरीद होने पर इस साल 72 हजार 873 रुपये का खर्च आएगा.
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