लखनऊः केजीएमयू के करीब 43 विभागों में लगभग 230 पदों पर शिक्षक भर्ती चल रही है. महीनों से मेडिकल संकाय में शिक्षक भर्ती के साक्षात्कार चल रहे हैं. इंटरव्यू के लिफाफे एक-एक कर ज्यों-ज्यों खुल रहे हैं. त्यों-त्यों विभिन्न विभागों की नियुक्तियों में कारनामे भी उजागर हो रहे हैं. नव नियुक्त शिक्षिकों के नाम सार्वजनिक होते ही भर्ती विवादों के घेरे में आ गई.
सबसे बड़ा धांधली का आरोप प्लास्टिक सर्जरी विभाग में शिक्षक भर्ती में लगा. इसमें सरकारी कॉलेज से सुपर स्पेशयलिटी डिग्री हासिल करने वाले मेधावियों को दरकिनार कर दिया गया. वहीं नेपाल से प्राइवेट डिग्री लेकर आए केजीएमयू के एक बड़े अफसर के बेटे को शिक्षक पद पर नियुक्त कर दिया गया है. ऐसे ही रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग में शिक्षक भर्ती में एक वरिष्ठ शिक्षक के चहेते को नौकरी देने की बिसात बिछा दी गई है. आलम यह है कि दूसरे विभाग का अनुभव प्रमाण पत्र लगाने वाले अभ्यर्थी को स्क्रीनिंग कमेटी ने साक्षात्कार के लिए वैध कर दिया. अभ्यर्थी का इंटरव्यू भी हो गया.
शासन ने तलब की है रिपोर्ट
वहीं प्रस्तावित कार्यपरिषद में नियुक्ति पर मुहर लगने की भी चर्चा है. विशेषज्ञों का कहना है कि दूसरे विभाग का अनुभव प्रमाण पत्र लगाना नियम विपरीत है. यह मान्य नहीं किया जा सकता है. उधर मंगलवार को ईटीवी भारत ने मामले को उजागर किया. संस्थान के एक अधिकारी के मुताबिक कुलपति सुबह राजभवन बुलाए गए थे. 11 बजे पहुंचे कुलपति आधा घंटे तक अंदर रहे. चर्चा है कि शिक्षक भर्ती और आरक्षण रोस्टर में गड़बड़ी पर सवाल-जवाब किए गए. वहीं कुलपति ले.जनरल डॉ. विपिन पुरी से संबंधित मसले पर कॉल की गई तो रिसीव नहीं किया. मैसेज का भी जवाब नहीं दिया. वहीं मीडिया प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने भी कुछ भी बोलने से इनकार किया.
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यह है मामला
मेरठ के सर्वेन्द्र चौहान ने एक मार्च को मुख्यमंत्री और राज्यपाल से शिकायत की है. आठ मार्च को अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा ने केजीएमयू के रजिस्ट्रार से मामले पर रिपोर्ट तलब की. सर्वेन्द्र के मुताबिक प्लास्टिक सर्जरी विभाग में दो असिस्टेंट प्रोफेसर (अन रिजर्व) भर्ती के लिए विज्ञापन निकला. इसमें छह अभ्यर्थी ने आवदेन किया था. सरकारी कॉलेज से एमसीएच पास आउट और नौकरी करने वाले अभ्यर्थियों को दरकिनार कर दिया गया. वहीं नेपाल से एमबीबीएस और केरल के प्राइवेट कॉलेज से डीएनबी कोर्स करने वाले केजीएमयू के एक बड़े अधिकारी के बेटे का शिक्षक पद पर चयन कर लिया गया है. ऐसे ही रेस्परेटरी मेडिसिन समेत कई विभागों में गलत अनुभव प्रमाण पत्र के जरिए चहेतों को नौकरी देने का षडयंत्र चल रहा है. स्क्रीनिंग कमेटी पर दबाव डालकर इनके दस्तावेज मान्य कराकर इंटरव्यू किए जा रहे हैं.
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ये सवाल मांग रहे जवाब
- प्लास्टिक सर्जरी में एमसीएच कोर्स की पढ़ाई होती है. ऐसे में डीएनबी कोर्स करने वाला शिक्षक छात्रों को सुपर स्पेशयलिटी एमसीएच कोर्स कैसे पढ़ाएगा.
- आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों ने सरकार द्वारा आयोजित एमबीबीएस-एमएस व एमसीएच प्रवेश परीक्षा में नेशनल लेवल मेरिट हासिल कर सरकारी कॉलेज से पढ़ाई की. मगर, उनका चयन नहीं हुआ.
- वहीं नेपाल के प्राइवेट कॉलेज से एमबीबीएस व डायरेक्ट केरल के प्राइवेट कॉलेज से 6 साल का डीएनबी कोर्स करने वाले अफसर के बेटे का चयन हो गया.
- खास बात यह भी है कि चयन से बाहर किया गया एक अभ्यर्थी एम्स ऋषिकेश में शिक्षक पद पर है. उसे भी नेपाली डिग्री वाले अफसर के बेटे के आगे नकार दिया गया.
- यही नहीं केजीएमयू से पास आउट, वहीं से सीनियर रेजीडेंट करने वाले भी अभ्यर्थी को नकार दिया गया. ऐसे में हताश मेधावी भी अब मामले की जांच की मांग कर रहे हैं.