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मंत्रिमंडल विस्तार में फंसा यह पेंच, अब क्या करेंगे योगी आदित्यनाथ

जल्द ही योगी सरकार (Yogi Government) का मंत्रिमंडल विस्तार (Cabinet Expansion) होने वाला है. योगी सरकार के लिए मिशन 2022 (Mission 2022) को देखते हुए मंत्रिमंडल विस्तार एक बड़ी चुनौती है. अब एक नया पेंच योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और मंत्रिमंडल विस्तार के आड़े आ रहा है. ऐसे में देखना यह है कि योगी आदित्यनाथ इसे कैसे साधते हैं.

योगी आदित्यनाथ
योगी आदित्यनाथ
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Published : Jul 26, 2021, 5:17 PM IST

Updated : Jul 26, 2021, 5:41 PM IST

लखनऊ : योगी सरकार (Yogi Government) का जल्द मंत्रिमंडल विस्तार (Yogi Cabinet Expansion) होने जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) का प्रदेश नेतृत्व मंत्रिमंडल विस्तार के लिए संभावित चेहरों और विधान परिषद के संभावित चेहरों के नामों की सूची केंद्रीय नेतृत्व को भेज चुका है. केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी मिलने के बाद प्रदेश नेतृत्व इस दिशा में आगे बढ़ेगा. मिली जानकारी के मुताबिक कुछ नामों पर सहमति नहीं बनने की वजह से रुकावट आ रही है. कांग्रेस से आये जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) भाजपा के दो पुराने नेताओं की राह का सबसे बड़ा रोड़ा बनकर उभरे हैं. जल्द इसका समाधान निकाल कर इसी सप्ताह योगी मंत्रिमंडल का विस्तर किया जाएगा.

यह है रणनीति

पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक छोटी से छोटी जातियों और उन जिलों को प्रतिनिधित्व दिये जाने की एक ठोस कार्य योजना तैयार की गई है. इसके मुताबिक जिन जिलों से योगी सरकार में मंत्री नहीं हैं, उन्हीं जिलों से मंत्री बनाया जाएगा. वहीं जातिगत समीकरण साधते हुए विधान परिषद सदस्य मनोनीत किया जाएगा. आगामी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने पूरी ठोस कार्य योजना तैयार की है. पार्टी हर मोर्चे पर विपक्ष की घेराबंदी करने में जुटी है. जातीय समीकरण भी इसी रणनीति का हिस्सा है.



...तो इस वजह से बढ़ गया है दबाव

बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के बाद अब भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) पर ब्राह्मण की सियासत को लेकर दबाव बढ़ गया है. बताया जा रहा है कि पार्टी के भीतर विधान परिषद और मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल किये जाने वाले चेहरों को लेकर काफी रस्साकसी चल रही है. ब्राह्मण चेहरों में कांग्रेस से आए जितिन प्रसाद और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी के बीच पेंच फंस गया है. पार्टी नेतृत्व असमंजस की स्थिति में है. एक तेजतर्रार और भाजपा का जमीनी नेता पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी हैं. गौरतलब है कि वाजपेयी के नेतृत्व में 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा गया था. तब चुनाव में पार्टी को 80 में से 71 सीटों पर जीत मिली थी. यह भाजपा के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी जीत है.

ऐसे फंसा पेंच

ब्राह्मणों को लेकर प्रदेश में हो रही सियासत से भाजपा पर भी दबाव बढ़ा है. वाजपेयी के समर्थकों का कहना है कि यदि उन्हें सरकार में स्थान दिया जाता है तो पश्चिम के साथ-साथ समूचे प्रदेश में सन्देश जाएगा. ब्राह्मण जाति के साथ-साथ भाजपा के कार्यकर्ताओं में भी इसका सकारात्मक संदेश जाएगा. इसलिए भाजपा उन्हें विधान परिषद में भेजकर मंत्री बना सकती है. लेकिन, वाजपेयी की राह में कांग्रेस से आए जितिन प्रसाद रोड़ा बनते नजर आ रहे हैं. पार्टी उन्हें विधान परिषद भेजकर मंत्री बनाने की तैयारी में थी, लेकिन अब पेंच फंस गया है.

संजय निषाद की भूमिका

जातीय समीकरण साधने को लेकर भारतीय जनता पार्टी लगातार प्रयास कर रही है. पार्टी की रणनीति को देखते हुए निषाद पार्टी (Nishad Party) के अध्यक्ष संजय निषाद (Sanjay Nishad) ने भी मंत्री पद की मांग करनी शुरू कर दी थी. उन्होंने डिप्टी सीएम का चेहरा बनाकर 2022 के विधानसभा चुनाव में उतरने की मांग भाजपा से की. हालांकि, संजय निषाद ने आगे चलकर यूटर्न ले लिया और अब भारतीय जनता पार्टी के साथ ही चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं. माना जा रहा है कि अंदरखाने भाजपा के साथ उनकी बात हो गयी है और अब वो फिलहाल पार्टी से नाराज नहीं हैं. भाजपा उन्हें विधान परिषद भेज सकती है. राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि विधान परिषद भेजकर मंत्री भी बनाया जा सकता है. संजय निषाद को चेयरमैन भी बनाया जा सकता है.

क्या होगा जेपीएस राठौर का ?

भाजपा के प्रदेश महामंत्री जेपीएस राठौर (JPS Rathore) को भी एमएलसी बनाये जाने की चर्चा तेज है. जेपीएस राठौर की राह में कांग्रेस से आये जितिन प्रसाद रोड़ा बन रहे हैं. दरअसल जेपीएस राठौर और जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) दोनों ही शाहजहांपुर से ताल्लुक रखते हैं. ऐसे में पार्टी के सामने असमंजस की स्थिति है कि एक जिले से दो लोगों को विधान परिषद कैसे भेजा जाए. लिहाजा जेपीएस की राह में सबसे बड़ा रोड़ा जितिन प्रसाद साबित हो रहे हैं.

कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहती भाजपा

विधान परिषद के लिए प्रदेश भाजपा नेतृत्व ने 10 नामों को भेजा है. वहीं मंत्रिमंडल विस्तार में स्थान देने के लिए सरकार और संगठन ने मिलकर करीब एक दर्जन नाम भेजे हैं. बताया जा रहा है कि छह से आठ मंत्री बनाए जा सकते हैं. केंद्रीय नेतृत्व से मंजूरी मिलने के बाद विधान परिषद के लिए नामों का मनोनयन और मंत्रिमंडल विस्तार किया जाएगा. हालांकि भाजपा और सरकार की तरफ से इस संबंध में अभी कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है. राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी कहते हैं कि अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं. इसलिए पार्टी कोई भी चूक नहीं करना चाहेगी. अगर सरकार मंत्रिमंडल विस्तार कर रही है तो उसे ठोक बजाकर ही नाम का चयन किया जाएगा. उसी तरह से विधान परिषद के लिए भी उन्हीं नामों का चयन किया जाएगा, जिनके माध्यम से प्रदेश की जनता के बीच एक सकारात्मक संदेश दिया जा सके.



इन्हें भी पढ़ें - सपा को भी समझ आयी ब्राह्मणों की अहमियत, बना रही 'सम्मोहन' की नई रणनीति

लखनऊ : योगी सरकार (Yogi Government) का जल्द मंत्रिमंडल विस्तार (Yogi Cabinet Expansion) होने जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) का प्रदेश नेतृत्व मंत्रिमंडल विस्तार के लिए संभावित चेहरों और विधान परिषद के संभावित चेहरों के नामों की सूची केंद्रीय नेतृत्व को भेज चुका है. केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी मिलने के बाद प्रदेश नेतृत्व इस दिशा में आगे बढ़ेगा. मिली जानकारी के मुताबिक कुछ नामों पर सहमति नहीं बनने की वजह से रुकावट आ रही है. कांग्रेस से आये जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) भाजपा के दो पुराने नेताओं की राह का सबसे बड़ा रोड़ा बनकर उभरे हैं. जल्द इसका समाधान निकाल कर इसी सप्ताह योगी मंत्रिमंडल का विस्तर किया जाएगा.

यह है रणनीति

पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक छोटी से छोटी जातियों और उन जिलों को प्रतिनिधित्व दिये जाने की एक ठोस कार्य योजना तैयार की गई है. इसके मुताबिक जिन जिलों से योगी सरकार में मंत्री नहीं हैं, उन्हीं जिलों से मंत्री बनाया जाएगा. वहीं जातिगत समीकरण साधते हुए विधान परिषद सदस्य मनोनीत किया जाएगा. आगामी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने पूरी ठोस कार्य योजना तैयार की है. पार्टी हर मोर्चे पर विपक्ष की घेराबंदी करने में जुटी है. जातीय समीकरण भी इसी रणनीति का हिस्सा है.



...तो इस वजह से बढ़ गया है दबाव

बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के बाद अब भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) पर ब्राह्मण की सियासत को लेकर दबाव बढ़ गया है. बताया जा रहा है कि पार्टी के भीतर विधान परिषद और मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल किये जाने वाले चेहरों को लेकर काफी रस्साकसी चल रही है. ब्राह्मण चेहरों में कांग्रेस से आए जितिन प्रसाद और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी के बीच पेंच फंस गया है. पार्टी नेतृत्व असमंजस की स्थिति में है. एक तेजतर्रार और भाजपा का जमीनी नेता पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी हैं. गौरतलब है कि वाजपेयी के नेतृत्व में 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा गया था. तब चुनाव में पार्टी को 80 में से 71 सीटों पर जीत मिली थी. यह भाजपा के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी जीत है.

ऐसे फंसा पेंच

ब्राह्मणों को लेकर प्रदेश में हो रही सियासत से भाजपा पर भी दबाव बढ़ा है. वाजपेयी के समर्थकों का कहना है कि यदि उन्हें सरकार में स्थान दिया जाता है तो पश्चिम के साथ-साथ समूचे प्रदेश में सन्देश जाएगा. ब्राह्मण जाति के साथ-साथ भाजपा के कार्यकर्ताओं में भी इसका सकारात्मक संदेश जाएगा. इसलिए भाजपा उन्हें विधान परिषद में भेजकर मंत्री बना सकती है. लेकिन, वाजपेयी की राह में कांग्रेस से आए जितिन प्रसाद रोड़ा बनते नजर आ रहे हैं. पार्टी उन्हें विधान परिषद भेजकर मंत्री बनाने की तैयारी में थी, लेकिन अब पेंच फंस गया है.

संजय निषाद की भूमिका

जातीय समीकरण साधने को लेकर भारतीय जनता पार्टी लगातार प्रयास कर रही है. पार्टी की रणनीति को देखते हुए निषाद पार्टी (Nishad Party) के अध्यक्ष संजय निषाद (Sanjay Nishad) ने भी मंत्री पद की मांग करनी शुरू कर दी थी. उन्होंने डिप्टी सीएम का चेहरा बनाकर 2022 के विधानसभा चुनाव में उतरने की मांग भाजपा से की. हालांकि, संजय निषाद ने आगे चलकर यूटर्न ले लिया और अब भारतीय जनता पार्टी के साथ ही चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं. माना जा रहा है कि अंदरखाने भाजपा के साथ उनकी बात हो गयी है और अब वो फिलहाल पार्टी से नाराज नहीं हैं. भाजपा उन्हें विधान परिषद भेज सकती है. राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि विधान परिषद भेजकर मंत्री भी बनाया जा सकता है. संजय निषाद को चेयरमैन भी बनाया जा सकता है.

क्या होगा जेपीएस राठौर का ?

भाजपा के प्रदेश महामंत्री जेपीएस राठौर (JPS Rathore) को भी एमएलसी बनाये जाने की चर्चा तेज है. जेपीएस राठौर की राह में कांग्रेस से आये जितिन प्रसाद रोड़ा बन रहे हैं. दरअसल जेपीएस राठौर और जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) दोनों ही शाहजहांपुर से ताल्लुक रखते हैं. ऐसे में पार्टी के सामने असमंजस की स्थिति है कि एक जिले से दो लोगों को विधान परिषद कैसे भेजा जाए. लिहाजा जेपीएस की राह में सबसे बड़ा रोड़ा जितिन प्रसाद साबित हो रहे हैं.

कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहती भाजपा

विधान परिषद के लिए प्रदेश भाजपा नेतृत्व ने 10 नामों को भेजा है. वहीं मंत्रिमंडल विस्तार में स्थान देने के लिए सरकार और संगठन ने मिलकर करीब एक दर्जन नाम भेजे हैं. बताया जा रहा है कि छह से आठ मंत्री बनाए जा सकते हैं. केंद्रीय नेतृत्व से मंजूरी मिलने के बाद विधान परिषद के लिए नामों का मनोनयन और मंत्रिमंडल विस्तार किया जाएगा. हालांकि भाजपा और सरकार की तरफ से इस संबंध में अभी कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है. राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी कहते हैं कि अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं. इसलिए पार्टी कोई भी चूक नहीं करना चाहेगी. अगर सरकार मंत्रिमंडल विस्तार कर रही है तो उसे ठोक बजाकर ही नाम का चयन किया जाएगा. उसी तरह से विधान परिषद के लिए भी उन्हीं नामों का चयन किया जाएगा, जिनके माध्यम से प्रदेश की जनता के बीच एक सकारात्मक संदेश दिया जा सके.



इन्हें भी पढ़ें - सपा को भी समझ आयी ब्राह्मणों की अहमियत, बना रही 'सम्मोहन' की नई रणनीति

Last Updated : Jul 26, 2021, 5:41 PM IST
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