लखनऊ : देश भर में अब तक 20 करोड 53 लाख प्रीपेड स्मार्ट मीटर रिवैंप डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम के तहत लगे हैं जिसमें से लगभग 70 लाख स्मार्ट मीटर व लगभग 22 लाख प्रीपेड मीटर देश के अनेकों राज्यों जिनमें उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, बिहार, जम्मू एंड कश्मीर में लग गए हैं. इसे लेकर पूरे देश में बड़े पैमाने पर उपभोक्ताओं को शिकायतें आ रही हैं.
फोन घुमाओ अभियान में कर्मचारी से लेकर चेयरमैन तक करेंगे उपभोक्ताओं को फोन
अगर आपके मोबाइल पर कोई ऐसा फोन आ जाए जो कहे कि मैं पाॅवर काॅरपोरेशन का अध्यक्ष बोल रहा हूं तो चौंकिएगा नहीं. इसे फ्रॉड मत समझिएगा. ये फ्रॉड कॉल न होकर हकीकत की कॉल होगी. वजह है कि पाॅवर काॅरपोरेशन ने फोन घुमाओ अभियान की शुरुआत की है. इसके तहत बिजली विभाग के कर्मचारी से लेकर बड़े अधिकारी तक उपभोक्ताओं को फोन मिलाकर बिजली से संबंधित जानकारी हासिल करेंगे. अधिकारियों और कर्मचारियों को दिन में कितने उपभोक्ताओं से संपर्क करना है इसकी भी लिमिट तय कर दी गई है. इस अभियान के तहत विद्युत उपभोक्तओं की समस्याओं के तेजी से निस्तारण, विद्युत कर्मचारियों और उपभोक्तओं के बीच बेहतर सम्बन्ध और बिजली आपूर्ति के सापेक्ष बिल हासिल करना शामिल है. अभियान एक सितम्बर से 30 सितम्बर तक चलेगा.
रेलवे की कमी से बिजलीघरों तक नहीं पहुंचा कोयला
मार्च 2024 तक केन्द्रीय विद्युत मंत्रालय ने सभी तापघरों में बिजली उत्पादन गृहों को चार प्रतिशत कोयला आयात करने का निर्देश जारी किया है. मंत्रालय की तरफ से जारी निर्देश में घरेलू कोयले की उपलब्धता में कमी की वजह रेल मंत्रालय की कमी बताया गया है. मंत्रालय के इस फैसले के बाद पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन ने कहा कि आयातित कोयले का अतिरिक्त खर्च केन्द्र सरकार उठाए.
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे का कहना है कि केंद्र सरकार के विद्युत मंत्रालय के आदेश में साफ शब्दों में लिखा गया है कि कोयला खदानों से ताप बिजलीघरों तक कोयला पहुंचने में आ रही दिक्कत का मुख्य कारण रेलवे के पास समुचित संख्या में कोयला रेक्स की कमी है और रेलवे के लाजिस्टिक कांस्ट्रेंट के चलते समुचित कोयला ताप बिजलीघरों तक नहीं पहुंच पा रहा है. आंकड़े देकर बताया गया है कि मार्च 2024 तक घरेलू कोयले से चलने वाले ताप बिजलीघरों को 404 मीट्रिक टन कोयले की जरूरत होगी, जबकि रेलवे के कंस्ट्रेंट के चलते और नेटवर्क की उपलब्धता और रेक्स की कमी के कारण 397 मीट्रिक टन कोयले की आपूर्ति ही की जा सकेगी. ऐसे में सभी ताप बिजलीघर कोयले का समुचित स्टाक बनाए रखने के लिए चार फीसद कोयला आयात करने के निर्देश दिए हैं. फेडरेशन ने कहा कि अगर रेलवे के कांस्ट्रेंट्स की वजह से ताप बिजलीघरों तक कोयला नहीं पहुंच पा रहा है तो आयातित कोयला जो बंदरगाह से लाना पड़ेगा, उसको ताप बिजलीघरों तक पहुंचाना और कठिन होगा.
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